सिंधी भाषा

सिंधी एगो भासा के नाँव छेकै जे भारत भारत केरौ पश्चिमी हिस्सा आरो मुख्य रूप सँ सिंध प्रांत मँ बोललौ जाबै छै। इ भासा भारतीय संविधान के आठमां अनुसूची मँ शामिल छै। इ हिन्द-आर्य भासा परिवार सँ छै। इ सिंधी हिन्दू समुदाय (समाज) क मातृ-भाषा छेकै। गुजरात केरौ जिला मँ सिंधी बोललौ जाबै छै आरो हुन्नअ हैय भाषा क 'कच्छी भाषा' कहै छै। एकरौ संबंध भाषाई परिवार केरौ स्तर प आर्य भाषा परिवार सँ छै। जेकरा मँ संस्कृत भाषा समेत हिन्दी भाषा, पंजाबी भाषा आरो गुजराती भाषा शामिल छै। अनेक मान्य विद्वानौ केरौ मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषा सिनी मँ, सिन्धी बोलै केरौ रूप मँ संस्कृत केरौ सर्वाधिक निकट छै। सिंधी केरौ लगभग 70 प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल केरौ छेकै।

सिंधी भाषा सिंध प्रदेश क आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा छेकै, जिसका संबंध पैशाची नाँव क प्राकृत आरो व्राचड नाँव क अपभ्रंश सँ जोड़ै जाबै छै। इ दोनो नाँवौ सँ विदित होबै छै कि सिंधी केरौ मूल मँ अनार्य तत्व पहले सँ विद्यमान छेलै, भले उ आर्य प्रभावौ केरौ कारण गौण होउ गेलौ हुअ। सिंधी केरौ पश्चिम मँ बलोची भाषा, उत्तर मँ लहँदी भाषा, पूर्व मँ मारवाड़ी भाषा आरो दक्षिण मँ गुजराती क क्षेत्र छै। इ बात उल्लेखनीय छै कि इस्लामी शासनकाल मँ सिंध आरो मुलतान (लहँदीभाषी) एगो प्रांत रहलौ छै आरो 1843 सँ 1936 ई. तक सिंध, बम्बई प्रांत क एगो भाग होने केरौ नाते गुजराती केरौ विशेष सम्पर्क मँ रहलौ छै।

पाकिस्तान मँ सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) मँ लिखलौ जाबै छै। जबकि भारत मँ एकरौ लेली देवनागरी आरो नस्तालिक लिपि दोनो प्रयोग करलौ जाबै छै।

भासाई उत्पत्ति आरो इतिहास

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विदेशी ध्वनियाँ

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