योगेश चन्द्र चटर्जी (1895 - 1969) बंगाल कै एक्ठु खास क्रान्तिकारी रहें। वय बंगाल कै अनुशीलन समिति अव संयुक्त प्रान्त (अब उत्तर प्रदेश) कै हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन कय सक्रिय सदस्य रहें। कुल मिलाइके वय आजादी के लड़ाई कै सच्चा सेनानी रहें। बंगाल कै अनुशीलन समिति म काम करत उनका पुलिस कयिउ परकार कै अमानुषिक यातनायें दीन गयीं लिकिन वंय टस से मस नही भयें। उनका काकोरी कांड मा उमरकइद कै सजा मिली रही। आजाद भारत म वंय राज्य सभा मा सांसदव रहें। योगेश दा कुछ किताबव लिखे रहें जिनमा अंगरेजी किताब इन सर्च ऑफ फ्रीडम उल्लेखनीय है।[१]
योगेश चन्द्र चटर्जी कै जनम ढाका जिला के गावदिया गाँव म 1895 मा भा रहा। 1916 म वय पहली बार गिरफ्तार भा रहें। वह्य समय वय अनुशीलन समिति कय सक्रिय सदस्य रहें। पुलिस द्वारा भयंकर यातनायें दी गयीं किन्तु वे एक ही उत्तर देते रहे - "मुझे कुछ नहीं मालूम।" मारपीट का कोई असर नही हुआ। अन्त म उनकय हाथ गोड़ कसके बाँध दीन गा औ दुइ सिपाही ने उनका गुप्तांग पकडकर हस्तमैथुन द्वारा अप्राकृतिक ढँग से एतनी वार वीर्य निकाले कि खून आवय लाग। वोहके बाद गुह मूत से भरी बल्टी उनके उप्पर उड़ेर देहें। शरीर धोवय की ताईं पानी तक न दीन गा। मुँहे मा गुह चला गा लिकिन योगेश फुरै "योगेश" होइ गये। ई निमुछिये नौजवान मूछ वालेन तक का पस्त कै दिहिस।[१]
1924 म थापित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के संस्थापक सदस्यन म योगेश दा कै खास योगदान रहा। इहै संस्था बाद म हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन म तब्दील होइ गय।[२] उनका क्रान्तिकारी हलचल मा शामिल होय के कारण कयिउ बार गिरफ्तार कीन गा। काकोरी कांड के मुकदमे कय फैसला म उनका 1926 मा पहिले 10 साल कय सजा सुनाई गय रही जेहका बाद मा बदलि के उमर कैद कय दीन गा हा।
1937 मा जेल से छूटिके आये के बाद वय पहिले कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनायें। कुछय साल बाद उनकै वहि पार्टी से मोहभंग होइ गवा अउर वय 1940 म रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी बनयेन। 1940 से लइके 1953 तक लगातार वय एहकै जनरल सेक्रेटरी रहें। 1949 मा खाली एक साल के बरे यूनाइटेड सोशलिस्ट ऑर्गनाइजेशन कै वाइस प्रेसीडेण्ट[३] रहय के बाद वय आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस कै, जौन रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टिन कै मलकई मा संगठन रहा, 1949 से लइके 1953 तक लगातार वाइस प्रेसीडेंट रहें।[३]
आजाद भारत मा उनकै झुकाव कांग्रेस की ओरी होइगा अउर वै उत्तर प्रदेश से राज्य सभा कै सांसद चुना गयें। 1956 से 1969 तक अपनी मौत तक वय लगातार 14 साल राज्य सभा कय सदस्स रहें।[४]
योगेश दा काकोरी कांड से पहिलेनय हावड़ा रेलवे स्टेशन पय गिरफ्तार कय लीन गा रहें। नजरबन्दिव की हालत म उनका काकोरी कांड के मुकदमा म घसीट लीन गा रहा। वैं जेल से छूटे के बाद बिआह नही केहें, जिंदगी भय बिनबिआहा रहें। वइ कुछ किताबव लिखे रहें जिनमा उनकै अंगरेजी मा लिखी किताब इन सर्च ऑफ फ्रीडम कै काफी चर्चा भय ।[१] योगेश दा कै एक अउर किताब इण्डियन रिव्यूलूशनरीज़ इन कॉन्फ्रेंस अंग्रेजिन म प्रकाशित भय। उनकय लिखी गय द्विनव किताबन कै का बिबरन एस अहै:
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