पुराजलवायुबिज्ञान (अंग्रेजी: Paleoclimatology) बिज्ञान के एक ठो शाखा हवे जे पुराना समय के जलवायु के अध्ययन करे ला, जवना समय के मौसम के यंत्र द्वारा नापल आँकड़ा न मौजूद होखे।[1] पृथ्वी के इतिहास में कवना जुग में कइसन जलवायु रहल बा एकर अनुमान लगावे, आँकड़ा जुटावे आ आँकड़ा सभ के बिस्लेषण से ओह दौर के जलवायु के बारे में बतावे के कोसिस करे ला।
काफी हद तक ई बिज्ञान जलवायु बदलाव से संबंधित बाटे, जहाँ जलवायु बदलाव, मनुष्य के पर्यावरण पर परभाव के रूप में जलवायु में होखे वाला अध्ययन आ बिस्लेषण हवे, पुराजलवायु बिज्ञान एही चिंता सभ के कारण जनमल शाखा हवे जे पृथ्वी के पूरा इतिहास में भइल जलवायु बदलाव सभ के अध्ययन करे ला ताकि मानव द्वारा होखे वाला जलवायु बदलाव के बिलगा के बूझल जा सके।
हालाँकि, पृथ्वी के इतिहास में कई बेर तापमान के भारी उतार चढ़ाव भइल बा आ एकर प्रमाण भी मौजूद रहे आ बर्फानी जुग के कारण के ब्याख्या करे वाला सिद्धांत भी दिहल गइल रहे, 1960 के दशक ले बैज्ञानिक लोग के ई बिस्वास भी ना रहल कि मनुष्य के रहन-सहन से पूरा पृथ्वी के जलवायु में बदलाव हो सके ला।[2] स्वान्ते अर्रेनियस 1895 में ई प्रस्तावित कइलेन कि पृथ्वी के ताप में कमी के कारण बर्फानी जुग आवे के कारण कार्बनडाईआक्साइड के मात्रा में बदलाव हो सके ला। तबो पृथ्वी के प्राचीन काल के जलवायु के बारे में समझे के जरूरत तब ज्यादा समझे जाए लागल जब 1960 के दशक के बाद ई सवाल खड़ा भइल कि मनुष्य के क्रिया-कलाप से जलवायु में बदलाव हो सके ला भा ना।
पुराजलवायुबिज्ञान अपना अध्ययन आ बिस्लेषण खाती कुछ खास किसिम के आँकड़ा सभ के प्रयोग करे ला जिनहन के पुराजलवायु आँकड़ा या प्रॉक्सी आँकड़ा भी कहल जाला।[3] एह आँकड़ा सभ के स्रोत, पेड़न के तना मैं मौजूद छल्ला आ समुंद्री जीव जइसे मूँगा के आवास के अध्ययन से ले के आर्कटिक आ अंटार्कटिक क्षेत्र में हजारन साल से जमा हो रहल बरफ के नमूना वगैरह प्रमुख बाटे।[4]
ई जलवायु बिज्ञान/मौसम बिज्ञान–संबंधित लेख एगो आधार बाटे। जानकारी जोड़ के एकरा के बढ़ावे में विकिपीडिया के मदद करीं। |