भारत के जलवायु एह देस के बिसाल इलाका में भरपूर बिबिधता लिहले बा जहाँ टोपोग्राफी आ अउरी परभाव मिल के भारतीय जलवायु के बर्गीकरण के मुश्किल बना देलें। कर्क रेखा एह देस के लगभग बीचोबीच से हो के गुजरेले जे आमतौर पर उष्णकटिबंध के उत्तरी सीमा मानल जाले, हालाँकि हिमालय के परभाव जे उत्तरी हवा सभ के भारत में प्रवेश करे से रोक देला, लगभग एह पूरा देस के जलवायु के उष्णकटिबंधी जलवायु बना देला। खुद हिमालय के ऊँच अल्पाइन टुंड्रा जलवायु वाला इलाक के छोड़ दिहल जाय तब पूरा भारत गरम जलवायु वाला क्षेत्र में आ जाला जेह में थार के रेगिस्तान से ले के पूर्वोत्तर आ केरल के खूब बरखा वाला इलाका सामिल बाड़ें। एह तरीका से इहाँ उष्णकटिबंधी जलवायु में बरखा के मात्रा आ सीजनल पैटर्न के चलते बिबिधता देखे के मिले ला। मानसूनी परभाव इहाँ बरखा के सीजनल बितरण के परभावित करे ला। एही कारण भारत के जलवायु के कुछ लोग उष्णकटिबंधी मानसूनी जलवायु के रूप में जनरलाइज करे ला।
कोपेन के वर्गीकरण के हिसाब से इहाँ छह गो मुख्य जलवायु प्रकार बाने जेह में पच्छिमी सूखा आ अधसूखा इलाका, आ उत्तर में हिमालय के अल्पाइन टुंड्रा वाला इलाका के अलावा बाकी सगरी जलवायु प्रदेश गर्म प्रदेश में रखल जालें जिनहन के वर्गीकरण में बरखा के भूमिका बा।
भारतीय मौसमबिज्ञान बिभाग (IMD) चार गो जलवायु सीजन चिन्हित करे ला:[2]
हिमालय परबत के राज्य सभ में एगो अउरी बेसी सीजन होला, बसंत (Spring) जे जाड़ा के बाद, ओह समय होला जब बाकी भारत में गर्मी के सीजन के शुरुआती कुछ हप्ता के समय होला।
परंपरागत रूप से उत्तर भारत के लोग छह गो ऋतु में साल के बाँटे ला: बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत[3] आ शिषिर। ई छहों रितु हिंदू महीना सभ के आधार पर बाँटल जाला। हर रितु के दू गो महीना होला।