अबजद भा अब्जद (अंग्रेजी: abjad; /ˈæbdʒæd/,[1] ऍबजॅद) लिखाई के अइसन सिस्टम होलें जिनहन में खाली व्यंजन सभ लिखल जालें आ पढ़े वाला स्वर ध्वनि के अंजाद खुद लगावे ला। ई अउरी दूसर वर्णमाला सभ से उल्टा इस्थिती बाटे काहें कि बाकी वर्णमाला सभ व्यंजन आ स्वर दुनों खातिर ग्राफीम उपलब्ध करावे लीं। ई शब्द 1990 में पीटर टी. डेनियल्स द्वारा पेश कइल गइल। एही कांसेप्ट खातिर अंग्रेजी में अउरियो शब्द सभ बाड़ें: पार्शियल फोनेमिक, सेगमेंटली लीनियर डिफेक्टिव फोनोग्राफिक स्क्रिप्ट, आ कान्सोनेंटल वगैरह।
अशुद्ध अबजद भी होखे लीं जिनहन में कुछ हद ले स्वर सभ के चीन्हा चाहे वैकल्पिक डायक्रिटिक होखे लन, या सीमित संख्या में अलग-अलग स्वर ग्लिफ होखे लें, या फिर दुनों होखे लें। अबजद नाँव अरबी वर्णमाला के पहिला (अपना मूल क्रम में) चार गो अक्षर सभ पर आधारित हवे।
अशुद्ध अबजद (impure abjad) सभ में कुछ स्वर, वैकल्पिक स्वर डायाक्रिटिक (मात्रा नियर) भा दुनों खातिर अच्छर होखे लें। शुद्ध अबजद ओह वर्णमाला सभ के कहल जाला जिनहन में स्वर के चीन्हा के एकदम्मे से अभाव होखे।[2] हालाँकि, ज्यादातर आधुनिक अबजद, जइसे कि अरबी, हिब्रू, अरामी, आ पहलवी, "अशुद्ध" अबजाद हवें – मने कि इनहन में कुछ स्वर ध्वनि सभ खातिर चीन्हा होखे लें, हालाँकि, बतावल नॉन-डायाक्रिटिक (मात्रा) सभ के अलावा कुछ अच्छरो होखे लें, बहुधा दीर्घ स्वर सभ खातिर। "शुद्ध" अबजद के उदाहरण (शाइद) प्राचीन फोनेशियन के बहुत सुरुआती रूप सभ से रहल, हालाँकि, कौनों पुराने समय (कम से कम 9वीं सदी ईसा पूर्व ले) एहू में आ अधिकतर समकालीन सेमिटिक अबजद सभ में कुछ चीन्हा सभ के इस्तेमाल होखे शुरू भ गइल रहे। ई स्वर चीन्हा के रूप में सेकेंडरी कामकाज, जेकरा के मीटरी लेक्शनिस कहल जाला, खातिर रहलें।[3] ई प्रथा पहिले कंचित-कला आ बहुत सीमित दायरा में रहल बाकी बाद के समय में ई तेजी से बढ़ि के आम चलन के चीज बन गइल आ अउरी बिकसितो भ गइल।
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