आदिवासी भारतीय उपमहादीप में कुछ बिबिध बिसमरुपी जनसमूह सभ के कहल जाला।[1][2][3][4] ई शब्द संस्कृत के हवे जे 1930 के दशक में राजनीतिक कार्यकर्ता लोग द्वारा एह समूह सभ के लोगन के मूल-निवासी होखला के दावा करे आ भारत के मूल-निवासी पहिचान देवे खातिर गढ़ल गइल।[5] ई शब्द कई ठे जातीय (एथनिक) अल्पसंख्यक लोग खातिर भी प्रयोग होला, जइसे कि बांग्लादेश के चकमा, नेपाल के भूमिपुत्र खस, आ श्रीलंका के वेद्दा। भारत के संविधान में आदिवासी शब्द के प्रयोग कतहीं ना कइल गइल बा, एकरे बजाय अनुसूचित जनजाति आ जनजाति के जिकिर कइल गइल बा।[6] भारत सरकार जनजाति (ट्राइब) के मूल-निवासी (इंडीजीनस) के रूप में आधिकारिक तौर प मान्यता ना देवे ले। ई देस संयुक्त राष्ट्र के मूल निवासी आ आदिवासी लोग पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन 107 (1957) के अनुमोदन कइलस आ ILO कन्वेंशन 169 पर हस्ताक्षर करे से इनकार क दिहलस।[4] एह में से ज्यादातर समूह सभ के भारत में संवैधानिक प्रावधान सभ के तहत अनुसूचित जनजाति श्रेणी में सामिल कइल जाला।[6]
Widely addressed as tribals, Adivasis are heterogeneous groups spread all over the nation having different languages and group identities.
'Adivasi' literally means 'original inhabitant', and it refers to heterogeneous tribal groups living all over the subcontinent.
The Concept of the Adivāsi: According to the political activists who coined the word in the 1930s, the 'adivāsis' are the original inhabitants of the Indian subcontinent ...
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