प्रयागराज
इलाहाबाद (पूर्व नाम) | |
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मेट्रोशहर | |
Nicknames: | |
देस | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | प्रयागराज |
Government | |
• Body | प्रयागराज नगर निगम |
• मेयर | अभिलाषा गुप्ता[3] |
Area | |
• मेट्रोशहर | 70.5 किमी2 (27.2 बर्ग मील) |
Elevation | 98 m (322 ft) |
Population (2011)[4] | |
• मेट्रोशहर | 1,117,094 |
• Rank | 36वाँ |
• Density | 16,000/किमी2 (41,000/बर्ग मील) |
• Metro | 1,216,719 |
• मेट्रो | 23वाँ |
Demonym | प्रयागराजी |
Time zone | UTC+5:30 (IST) |
पिनकोड | 211001-18 |
टेलीफोन कोड | +91-532 |
Vehicle registration | UP-70 |
लिंगानुपात | 978 ♂/1000♀ |
ऑफिशियल भाषा | हिंदी |
अन्य आधिकारिक भासा | उर्दू[6] |
Website | prayagraj |
प्रयागराज (पूर्व नाँव:ईलाहाबाद) भारत देस के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा, यमुना अउरी पौराणिक सरस्वती की संगम पर बसल एगो दसलाखी शहर बा आ ई प्रयागराज जिला क मुख्यालय हउए। एकर प्राचीन नाँव प्रयाग हवे आ ई हिंदू धर्म क एगो बहुत महत्वपूर्ण तीरथ अस्थान हऽ। हर बारिस इहाँ माघ की महीना में माघ मेला लागेला आ हर बारहवाँ बारिस कुंभ मेला, आ हर कुंभ की छह साल बाद अर्धकुंभ मेला लागेला। कुंभ मेला विश्व क सबसे बड़हन मेला हवे।
प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय एगो विश्वप्रसिद्द इन्वरसिटी बा जेवन ए शहर के शिक्षा की क्षेत्र में बहुते ऊँच अस्थान दिहले बा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 'पूरुब क आक्सफोर्ड' कहल जाला। एकरी आलावा इहँवा इलाहाबाद हाइकोर्ट बा जेवन उत्तर प्रदेश के हाइकोर्ट हवे। ए॰ जी॰ आफिस आ मिलिट्री पेंशन के आफिस भी इहाँ बा जेवना से ए शहर क महत्व बढ़ जाला।
अंग्रेजन की समय में सन 1902 से 1920 ले ई शहर संयुक्त प्रांत क राजधानी रहल आ 1958 ई॰ में भारत क राजधानी रहल। प्रयागराज भारत की स्वतंत्रता संग्राम में ए शहर क बहुत महत्व क अस्थान रहे आ काँग्रेस क चौथा अधिवेशन इहँवा भइल रहे। भारत क पहिला परधानमंत्री पं॰ जवाहिरलाल नेहरू के जनम इहँवे भइल रहे। उहाँ के घर आनंद भवन अब एगो संग्रहालय की रूप में बा।
अकबर क बनवावल इलाहाबाद किला, खुसरो बाग, कंपनी बाग, मिंटो पार्क, थोर्नहिल माएन मेमोरियल, भारती भवन पुस्तकालय, हिंदी साहित्य सम्मलेन, हिन्दुस्तानी एकेडमी, प्रयाग संगीत समिति वगैरह ए शहर क प्रमुख आकर्षण आ महत्व के अस्थान बा।
प्रयागराज शहर क प्राचीन नाँव प्रयाग हवे। पौराणिक आख्यान की हिसाब से ब्रह्मा जी इहाँ बहुत विशिष्ट प्रकार क यज्ञ कइलें जेवना कारण एकर नाँव प्रयाग पड़ल।[7] एकर नाँव इलाहाबाद पड़ला के दू गो कारण बतावल जाला। कहल जाला कि अकबर ए शहर क नाँव अल्लाह आ आबाद शब्दन के आधार पर कइलें जेवना क मतलब होला अल्लाह द्वारा बसावल नगर। दुसरका मत ई कहेला कि प्राचीन काल में प्रतिष्ठानपुर (वर्तमान में झूँसी) चंद्रवंशीय राजा पुरुरवा क राजधानी रहे आ उहाँ के अपनी माता इला खातिर एगो आवास संगम पर बनववले रहलीं जेवना से ए जगह क नाँव इला आवास पड़ल आ एही के अपभ्रंस इलाहाबास पहिले से मौजूद रहे जेवना के अकबर बदल के इलाहाबाद कइ दिहलें।[8][9] ए दूनो की अलावा एगो मत इहो बा कि ए शहर के नाँव बनाफर योद्धा अल्लाहा की नाँव पर पड़ल [10]।
प्रयाग क अस्तित्व वैदिक काल से बा आ वैदिक साहित्य में एकर वर्णन ब्रह्मा जी की यग्य की भूमि की रूप में भइल बा आ एही क समर्थन मत्स्यपुराण आ लिंगपुराण में भी मिलेला। इहवाँ पुरातात्विक खोदाई में पालिशदार उत्तरी काला मृदभाण्ड मिलल बा जेवन 600 ईपू से 700 ईपू के बतावल जाला। पुराणन में वर्णन मिलेला कि राजा ययाति जेवन प्रयाग से जा के सप्तसैन्धव प्रदेश पर विजय प्राप्त कइलें उनहीं के पाँच पुत्रन (यदु, द्रुह्य, पुरु, अनु, आ तुवर्शु) की नाँव पर ऋग्वेद की मुख्य जन क नाँव पड़ल।[11] जब आर्य लोग मध्यदेश में आपना प्रभुत्व अस्थापित कइलें तब कौशाम्बी-प्रयाग क क्षेत्र उनहन लोगन की अधिकार में महत्वपूर्ण क्षेत्र रहल। कुरु लोग हस्तिनापुर की बाढ़ में बह गइला की बाद कौशाम्बी नगरी क अस्थापना कइलें जेवन ऋषि कोसंब की नाँव पर बसल[12]। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण में श्री राम के इहवाँ आगमन के वर्णन बा जब ऊ बनवास कि समय दक्षिण की ओर जात घरी इहँवा भारद्वाज ऋषि की आश्रम में रुकल रहलें। इहाँ से श्री राम भरद्वाज ऋषि की सुझाव के मानि के चित्रकूट की ओर गइलें आ उहाँ कुटी बना के रहे लगलें।
महाजनपद काल में प्रयाग के ई इलाका वत्स राज्य की अन्दर आवे जेकर राजधानी कौशाम्बी रहे। एकरी बाद भगवान बुद्ध के इहवाँ आगमन के वर्णन मिलल बा जब 450 ईपू मगध में अजातशत्रु के शासन रहे [13]। 319 ईपूमें चंद्रगुप्त मौर्य कौशाम्बी पर अधिकार क लिह्लें आ प्रयाग भी उनकी अधिकार में आ गइल। 273 ई॰ में सम्राट अशोक की शासन काल में इहँवा एगो कीर्ति स्तंभ लगवावल गइल जेवन आज भी अशोक स्तंभ की नाँव से इलाहाबाद में अकबर की किला में सुरक्षित बा। ए पर उत्कीर्ण लेख के प्रयाग प्रशस्ति की नाँव से जानल जाला। प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त द्वारा 326 ई. में अश्वमेध यग्य कइला क वर्णन लिखल बा आ ए शिला लेख के रचयिता हरिषेण के मानल जाला। समुद्रगुप्त के खोदवावल कुआँ इलाहाबाद की बगल में झूँसी की लगे बा जेवना के समुद्रकूप कहल जाला।
एकरी बाद 525 ई॰ में प्रयाग आ एकरी आसपास की इलाका पर कन्नौज की राजा यशोवर्मन क अधिकार हो गइल। सम्राट हर्षवर्द्धन की बारे में कहल जाला कि उहाँके हर कुंभ मेला में आपन सबकुछ दान क दीं। चीनी यात्री ह्वेन सांग के आगमन हर्षवर्धन की समय में भइल रहे आ ऊ प्रयाग के यात्रा कइलें आ अपनी बर्णन में लिखलें कि गंगा आ यमुना नदी जहाँ मिलेलीं उहाँ एगो बड़ा मंदिर आ विशाल पेड़ बा। उ इहो लिखलें कि ए पेड़ (अक्षयवट) से बहुत लोग कूदि के जान दे देला काहें की ई मान्यता बा कि ए परम पबित्र जगह पर मरला से स्वर्ग मिल जाई।[14] हर्षवर्द्धन की बाद क लगभग 200 बारिस क इतिहास नामालूम बा। लगभग 810 ई. की बाद कन्नौज क शासन प्रतिहार राजपूत लोगन की द्वारा भइल आ 1090 ई॰ की आसपास कड़ा के इलाका चंद्रदेव गहड़वाल की कब्ज़ा में आ गइल। ए समय प्रयाग के शासन कड़ा से चले आ लगभग सारा जानकारी कड़ा की पुरालेख से प्राप्त होला।
मुहम्मद गोरी 1194 ई॰ में एक कि बाद एक दिल्ली आ कन्नौज पर अधिकार करत बनारस ले हमला कइलस आ प्रयाग की इलाका पर भी ओकर प्रभुत्व हो गइल। ओह समय से लेके अकबर की समय तक प्रयाग क प्रशासनिक महाव बहुत काम हो गइल रहे आ ई कड़ा से शासित इलाका में आवे। 1567 ई॰ में कड़ा के गवर्नर अली कुली खान की बागी हो गइला पर अकबर इहवाँ आ के ओ के हरा दिहलें आ पहिली बार प्रयाग के यात्रा कइलें अउरी ए अस्थान की सैनिक महत्व के महसूस कइलें। 1574 ई॰ अपनी दूसरी यात्रा की दौरान अकबर इहँवा इलाहाबाद शहर के अस्थापना कइलें आ किला के नीव रखलें।
औरंगजेब की शासन काल में फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर बनारस जात समय एक दिन खातिर (6 दिसंबर, 1665 ई॰) इलाहाबाद में रुकल रहलें आ ए शहर क वर्णन एगो बड़ा आ ख़ूबसूरत शहर की रूप में कइलें।[13] सन 1739 ई॰ में मराठा सरदार राघोजी भोंसले इलाहाबाद पर आक्रमण करि के शहर में लूटपाट कइलस[14]। सन 1759 ई॰ में इलाहाबाद शुजाउद्दौला की कब्ज़ा में आ गइल आ अंततः सन 1764 ई॰ की बक्सर की लड़ाई कि बाद इलाहाबाद के दीवानी अधिकार अंग्रेजन के मिल गइल आ सन 1801 ई॰ की बाद ई अंग्रेजन की राज्य में शामिल हो गइल।
अंग्रेज इलाहाबाद पर अपनी अधिकार की बाद इहाँ एगो गैरीसन के अस्थापना कइले आ इलाहाबाद के प्रमुख सैनिक केन्द्र की रूप में महत्व दिहलें। अकबर की समय में इलाहाबाद सूबा में 12 गो सरकार आ 177 परगना क इलाका आवे जेवन ब्रिटिश काल में कम हो के 5 आ 23 बचल। सन 1825 में फतेहपुर ज़िला इलाहाबद से अलग कइल गइल आ सन 1842 ई॰ से 1862 ई॰ की बीच में कई बार मिर्जापुर आ इलाहाबाद की बीछ में जिला क सीमा में बदलाव भइल।
सन 1829 ई॰ में इलाहाबाद में कमिश्नरी के अस्थापना भइल आ मिस्टर राबर्ट बार्लो इलाहाबाद के पहिला कमिश्नर नियुक्त भइलें, इलाहाबाद के पहिला कलेक्टर मिस्टर ए. अहमुट्टी रहलें जिनकी नाँव पर मोहल्ला मुट्ठीगंज बसल। 1834 ई॰ में इहँवा गवर्नर के आसन आइल आ 1858 ई में ई संयुक्त प्रान्त क राजधानी बन गइल। इहंवे लार्ड कैनिंग महारानी क घोषणापत्र पढ़ी के सुनावलें आ भारत के शासन ईस्ट इण्डिया कंपनी कि हाथ से महारानी की हाथ में चलि गइल। थोड़ा समय खातिर इलाहाबाद एह समय पूरा ब्रिटिश भारत क राजधानी रहल।
एक तरह से देखल जाय त शहर क वर्तमान स्वरूप अंग्रेजन की समय में बनल। मुट्ठीगंज कीडगंज कोतवाली लूकरगंज, जार्जटाउन, एलनगंज, म्योराबाद जइसन मोहल्ला एही समय बसल। वर्तमान चौक मोहल्ला अंग्रेजन की समय से पाहिले तक एगो गड़ही की रूप में रहे जेवना की आसपास कुछ सागसब्जी आ अनाज के दूकान लगे। लार्ड कैनिंग की नाँव पर सिविल स्टेशन क विकास भइल आ ओ समय ए के कैनिंग टाउन कहल जाय जेवना के वर्तमान नाँव सिविल लाइन्स बा। वर्तमान महात्मा गाँधी मार्ग के ओ समय नाँव कैनिंग रोड रहे।
सन 1866 ई. में इलाहाबाद में हाइकोर्ट के अस्थापना भइल आ ठीक बाद में एक साल खातिर आगरा भेज दिहल गइल लेकिन फिर 1868 ई. में वापस इलाहाबाद आ गइल आ तब से इहंवे बा। सन 1887 ई. में म्योर सेन्ट्रल कालेज के इलाहाबाद विश्वविद्यालय की रूप में मान्यता दिहल गइल आ ई भारत क चौथा सभसे पुरान विश्विद्यालय बनल।
प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में इलाहाबाद के महत्वपूर्ण योगदान रहे। इहँवा ग़दर के नेतृत्व मौलवी लियाक़त अली कइलें। इहाँ 6 जून 1957 के बगावत शुरू भइल आ जल्दिये बागी सिपाही आ जनता रेलवे आ टेलीग्राफ पर कब्ज़ा क लिहलें। दारागंज में नाव की पुल पर बागी लोगन क कब्ज़ा हो गइल। मौलवी साहब, जेवन स्कूल के अध्यापक रहलें खुसरू बाग़ से आपन कमान सम्भाले शुरू कइलें। लगभग एक हफ्ता बाद 12 जून के कर्नल नील के पलटन बनारस से इहँवा पहुँचल आ दारागंज क पुल पर आपन कब्जा वापस लिहलस। एकरी बाद शहर में लड़ाई भइल आ तब मौलवी साहब अपनी लोगन की साथ शहर छोड़ के बाहर से लड़ाई करे लगलन। अंग्रेज सेना शहर पर वापस कब्ज़ा कइला की बाद लोगन पर बहुत अत्याचार कइलस। समदाबाद आ रसूलपुर नाँव क दू गो गाँव त पूरा क पूरा जरा दिहल गइलन। एही गाँवन की ज़मीन पर अल्फ्रेड पार्क के निर्माण भइल जेवना के आजकाल आज़ाद पार्क कहल जाला।
भारत की स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद क योगदान हमेशा महत्वपूर्ण मानल जाला। इहाँ काँग्रेस क चौथा अधिवेशन लार्ड वेडरबर्न की अध्यक्षता में सन 1888 ई॰ में भइल। एकरी आलावा आठवाँ आ पचीसवाँ अधिवेशन क्रम से 1892 ई॰ आ 1910 ई॰ में भइल। सन 1920 ई॰ में आल-इण्डिया-खिलाफत कांफ्रेंस इलाहाबाद में आयोजित भइल।
आज़ादी की लड़ाई में इलाहाबाद के नेता लोगन क लिस्ट भी बहुत लंबा बा। ए में से प्रमुख लोग रहे पं॰ अयोध्या नाथ, सुरेन्द्र नाथ सेन, पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टंडन, सी॰ वाई॰ चिंतामणि, हृदय नाथ कुंजरू, तेजबहादुर सप्रू, जवाहरलाल नेहरू वगैरह। सुन्दरलाल आ मनाज़िर अली सोख्ता क्रांतिकारी दल क सदस्य रहे लोग। महान क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आजाद इहँवे अल्फ्रेड पार्क में शहीद भइलें आ उनकी नाँव पर अब ए पार्क के चंद्रशेखर आजाद पार्क कहल जाला।
भूगोलीय रूप से प्रयागराज मध्य गंगा मैदान क हिस्सा बा आ पूरब-पच्छिम बिस्तार की हिसाब से ए मैदान की ठीक बिचा में पड़ेला। गंगा आ यमुना नदियन की बिचा में बसल ए शहर क लोकेशन सैनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाला आ व्यापर की दृष्टीकोण से भी। निर्देशांक की हिसाब से प्रयागराज क लोकेशन 25.45 डिग्री उत्तर अक्षांश आ 81.85 डिग्री पूरबी देशांतर पर बा आ ए शहर में नगर निगम की अन्दर में क कुल क्षेत्रफल 94 वर्ग किलोमीटर बा। इतिहासी जी.टी.रोड जेवन अब स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की तहत बिकसित भइल बा ए शहर के दिल्ली आ कलकत्ता से जोड़ेला। प्रयागराज अपनी आसपास कि अन्य शहरन से भी सड़क आ रेल मार्ग से जुडल बा।
प्रयागराज शहर के समुद्र तल से औसत ऊंचाई 90 मीटर मानल जाला। हालाँकि कुछ इलाका 105 मीटर से अधिक ऊँच बा आ नदी की ओर ई ऊंचाई कम हो के 80 मीटर से नीचे चल जाला। बाढ़ के लेवल 81 मीटर मानल गइल बा। प्रयागराज शहर में सबसे ढेर ऊँच इलाका इलाहाबाद इन्वार्सिटी की लगे बा। दारागंज आ कटरा भी ऊंचाई पर बसल बा। परेड ग्राउंड के इलाका नीचे बा आ अल्लापुर, सलोरी, छोटा बघाड़ा, टैगोर टाउन, एलनगंज के कुछ न कुछ इलाका बाढ़ कि लेवल 81 मीटर से नीचे पड़ेला।
प्रयागराज | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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जलवायु सारणी (व्याख्या) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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प्रयागराज नम उपोष्ण जलवायु की प्रकार में आवेला। कोपेन की बर्गीकरण की हिसाब से Cwg प्रकार के जलवायु पावल जाला जे में जाड़ा, गर्मी, वसंत आ बरसात चार गो ऋतु होलीं। बरखा की ऋतु से ठीक पाहिले भीषण गर्मी आ शुष्क हवा ए जलवायु प्रकार के बिसेसता बा। औसत सालाना तापमान 26.1 °C होला आ सबसे गरम महीना मई-जून होला जेवना समय तापमान 40 °C के पार क जाला आ 18 जून की बाद मानसून के बारिश शुरू होले। पूरा मई में आ जून की पहिला पाख में गरम हवा लूहि बहेले आ मानसून से पहिले आन्ही-अंधड़ की साथ झंझावाती बरखा होला। जनवरी क महीन सबसे ठंढा होला जेवना में शीतलहरी चलला पर कौनो-कौनो दिन न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल जाला। लूहि आ शीतलहरी छोड़ि के बाकी समय मौसम सुहावन रहेला। अब तक ले सबसे अधिक तापमान 48 °C आ सबसे कम -2 °C रेकार्ड कइल गइल बा ।
औसत सालाना बरखा 1027 मिलीमीटर बतावल जाला आ साल में औसतन 50 दिन बरखा वाला होला जहिया कम से कम 2.5 मिलीमीटर या अधिका बरखा होला। हालाँकि ई औसत पिछला कुछ साल में कम भइल बा। बरखा ऋतु के आरम्भ 18 जून से होला आ अक्टूबर ले चलेला। मानसून की अइला से पाहिले अप्रैल मई में झंझावाती बरखा होला जेवन तेज आन्ही की साथ दुपहरिया बाद नाहीं त राति में आवेला। सबसे ढेर बरखा जुलाई अगस्त में (सावन-भादों) में होले। जाड़ा के बरखा भूमध्य सागर की ओर से उठे वाला चक्रवात पच्छिमी विक्षोभ से होले आ रबी की फसल खातिर बहुत फ़ायदा करेले। सबसे सूखा महीना अप्रैल क होला जे में 5 मिमी से कम बरखा होले।
बदरी वाला मौसम बरसात में होला आ जाड़ा में पच्छिमी विक्षोभ की सामय होला। जाड़ा में कुहासा पड़ेला आ कौनो कौनो दिन घाम ना होला। तेज हवा खाली लूहि की समय चलेला। पुरुआ हवा चलला पर वातावरण में नमी के मात्रा बढ़ि जाला।
दस लाखी नगर होखला की बावजूद अबहिन प्रयागराज में पेड़-पौधा के संख्या बढियाँ बा लेकिन जेवना तेजी से पुरान मज़बूत पेड़ गिरत जात बाडेन ऊ चिंता क बिषय बा। नीबि, इमिली आम, बरगद, पीपल आ पाकड़ के बहुत पुराण पुराण पेड़ प्रयागराज शहर में बा। नया वृक्षारोपण में अधिकतर पेड़ शिरिष, सप्तपर्णी, गुलमोहर आ अमलताश के लागल बा। सहजन के बहुत पेड़ शहर में बा। सेना की अधिकार में काफ़ी इलाका अइसन बा जेवना में पेड़ संरक्षित बाड़ें। परेड ग्राउंड की ओर पीपल आ पकड़ के पेड़ भी लगावल गइल बा ई सुखद बाति बा।
सन 2011 की जनगणना की अनुसार प्रयागराज शहर के कुल जनसंख्या 12,16,719 बा। जनसंख्या घनत्व 1,087 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर बा जेवन 2001 में 901 रहे। प्रयागराज में साक्षरता दर 86.50% बा जेवन राष्ट्रिय औसत 74% से अधिक बा। पुरुष जनसंख्या में साक्षरता दर 90.21% बा जबकि महिला साक्षरता दर 82.17% बा। प्रयागराज में लगभग 78% हिंदू, 20% मुसलमान, आ 1.8% जैन लोग बा।
प्रयागराज शहर एगो प्राचीन शहर होखला की वजह से ई अपनी आसपास की इलाका खातिर बाजार केन्द्र की रूप में सुविधा उपलब्ध करावेला। उद्योग की दृष्टि से इलाहाबाद के उपनगर नैनी आ थोड़ी दूर पर फूलपुर में आधुनिक उद्योग के अस्थापना भइल बा। नैनी में भारत पम्प एंड कम्प्रेसर्स, अरेवा, आई टी आई, रेमंड, वैद्यनाथ, त्रिवेणी शीट ग्लास लिमिटेड, जीप इंडस्ट्रीज, इफको आदि के औद्योगिक इकाई बा। फूलपुर में इफको खाद बनावे वाली फैक्टरी हवे।
माघ मकरगत रवि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।। देव दनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।। तुलसीदास, राम चरितमानस, बालकाण्ड, 43।।
प्रयागराज क शिक्षा की क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण अस्थान बा। ए के उत्तरी भारत क शैक्षणिक राजधानी भी कहल जा सकेला। इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत क चौथा सबसे पुरान विश्वविद्यालय हवे। म्योर सेन्ट्रल कालेज के अस्थापना 1872 ई॰ में भइल रहे जेवना के 1887 ई॰ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय बना दिहल गइल। बिच में इ राज्य सरकार की शासन में चलि गइल रहे लेकिन अब सन 2003 ई से फिर एकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय क दर्जा बहाल हो गइल बा। एकरी आलावा इहँवा तीन गो मानद विश्वविद्यालय आ एगो मुक्त विश्व विद्यालय बा। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रिय प्रौद्योगिकी संस्थान एगो मानद विश्वविद्यालय आ राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बा। सैम हिग्स्बाटम कृषि, प्रौधोगिकी एवं बिज्ञान संस्थान (कृषि विश्विद्यालय, नैनी) पूरा दक्षिणी एशिया के सबसे पुरान आधुनिक विश्वविद्यालय मानल जाला।
राष्ट्रिय स्तर पर ख्याति प्राप्त शिक्षा संस्थान की सूची में अउरी गो कई नाँव बा – ट्रिपल आई टी IIIT-A, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, हरीशचन्द्र शोध संस्थान, गोविन्द वल्लभ पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान, आई ई आर टी, यूइंग क्रिश्चियन कालेज इत्यादी।
साहित्य की क्षेत्र में प्रयागराज क योगदान अदभुत रहल बा। इहँवा हिंदी उर्दू आ अंग्रेजी के पत्र-पत्रिका के प्रकाशन आ किताबन की प्रकाशन क एगो बहुत पुराना इतिहास बा। हिंदी की साहित्यकारन में महादेवी वर्मा , सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पन्त, हरिवंशराय बच्चन, धर्मवीर भारती, मार्कंडेय, अमरकांत, रवीन्द्र कालिया जइसन मूर्धन्य साहित्यकार लोगन क कर्मभूमि रहल बा। उर्दू शायरी के महाकवि फ़िराक़ गोरखपुरी के इहँवे रहि के आपन योगदान दिहलीं। अकबर इलाहाबादी, राज़ इलाहाबादी, तेग़ इलाहाबादी, नूह नारवी, आदिल रशीद, एजाज़ हुसैन, अकील रिज़वी, इब्ने-शफी वगैरह लोग उर्दू के प्रमुख साहित्यकार इलाहाबाद से रहल। अंग्रेज़ी साहित्यकार रुड्यार्ड किपलिंग इहवाँ पायोनियर अखबार के सह संपादक की रूप में रहलें।
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