भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन | |
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Agency overview | |
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Formed | 15 अगस्त 1969 (1962 में INCOSPAR के नाँव से) |
Type | Space agency |
Headquarters | बंगलौर, कर्नाटक, भारत |
Motto | मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (हिंदी) |
Primary spaceport | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश |
Owner | भारत सरकार |
Annual budget | ₹10,783.42 करोड़ (US$1.5 बिलियन)(2018–19 est.)[1] |
Website | www![]() |
इसरो (पूरा नाँव भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च संगठन) भारत सरकार के अंतरिक्ष एजेंसी हवे। एकर मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में बा। एह एजेंसी के मकसद "राष्ट्रीय बिकास खातिर अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी के सदुपयोग" कइल बा, जेवना खातिर ई अंतरिक्ष बिज्ञान में रिसर्च आ ग्रह-उपग्रह सभ पर खोज के काम करे ले।[2]
साल 1969 इसरो के गठन भइल आ ई 1962 में भारत के पहिला परधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आ उनके नजदीकी रहल बैज्ञानिक विक्रम साराभाई के कोसिस से 'अंतरिक्ष रिसर्च खातिर भारतीय राष्ट्रीय कमेटी' (INCOSPAR) के जगह लिहलस। एही से बैज्ञानिक विक्रम साराभाई के इसरो का संस्थापक मानल जाला।[3][4]इसरो के गठन से भारत में अंतरिक्ष रिसर्च के संस्थागत रूप मिल गइल।[5] ई भारत सरकार के अंतरिक्ष बिभाग के अधीन काम करे ले आ अंतरिक्ष बिभाग खुद सीधे परधानमंत्री के रिपोट करे ला।
इसरो भारत के पहिला अंतरिक्ष यान "आर्यभट" बनवलस, जेकरा के सोवियत यूनियन के द्वारा 19 अप्रैल 1975 के छोड़ल गइल। एह यान के नाँव भारतीय गणितज्ञ आर्यभट के नाँव पर रखल गइल रहे। 1980 में 'रोहिणी' पहिला अइसन उपग्रह रहे जेकरा के भारतीय लॉन्च वीकल एसएलवी-3 से अंतरिक्ष में भेजल गइल। एकरे बाद इसरो द्वारा पीएसएलवी आ जीएसएलवी के निर्माण भइल जे क्रम से उपग्रह सभ के ध्रुवीय कक्षा आ धरती समकालिक कक्षा में स्थापित करे खातिर बनावल गइल बाने। इसरो इनहन के मदद से कइयन ठे देसी आ बिदेसी उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित कऽ चुकल बाटे। साल 2014 में इसरो सफलता के साथ देसी क्रायोजेनिक इंजन (सीई-20) के इस्तेमाल जीएसएलवी-5 में कइलस आ जीसैट-14 के अंतरिक्ष में पहुँचावे में सफल भइल।[6][7]
इसरो आपन चंद्रपरिकरमा यान चंद्रयान-1 के 22 अक्टूबर 2008 के आ एक ठो मंगलपरिकरमा यान, मंगलयान भेजलस जे 24 सितंबर 2014 के मंगल के कक्षा में स्थापित भइल आ भारत अइसन पहिला देस बनल जे अपने पहिले बेर के कोसिस में ई सफलता पा लिहलस।[8][9]
इसरो द्वारा भबिस्य में जीएसएलवी एमके III के निर्माण के योजना बा जवना से कि अउरी भारी वजन वाला उपग्रह छोड़ल जा सकें। एकरे अलावा यूएलवी, दुबारा इस्तमाल लायक लॉन्च बिमान, मानवसहित अंतरिक्षबिमान, चंद्रयान-2, अंतरग्रहीय प्रोब, सूर्य मिशन (आदित्य) वगैरह के भी योजना बाटे।[10] 18 जून 2016 इसरो एक्के साथ 20 गो उपग्रह अंतरिक्ष में भेज के अपना तरह के एक ठो रेकार्ड बना दिहलस, एह बीस गो में एक ठो उपग्रह गूगल के भी रहल।[11] एकरे बाद 15 फरवरी 2017 के इसरो एक्के साथ 104 उपग्रह सभ के एक्के रॉकेट (पीएसएलवी–सी37) से अंतरिक्ष में भेज के बिस्व रेकार्ड बना दिहलस।[12][13]
18 मई 2017 के इसरो के इंदिरा गाँधी शांति पुरस्कार दिहल गइल। ई पुरस्कार साल 2014 खातिर, दिल्ली में पूर्व परधानमंत्री मनमोहन सिंह, 'इंदिरा गाँधी ट्रस्ट' के ट्रस्टी के हैसियत से एक ठो समारोह में दिहलें।[14][15]
23 अगस्त 2023 के साँझ बेर 6:04 बजे चंद्रमा पर इसरो के चंद्रयान प्रोग्राम के तहत भेजल चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम सफल सॉफ्ट लैंडिंग क लिहलस आ एह तरीका से भारत चंद्रमा के दक्खिनी ध्रुव इलाका में अइसन लैंडिंग करे वाला दुनियाँ के पहिला देस बन गइल, आ चंद्रमा पर अंतरिक्ष बिमान उतारे वाला भारत चउथा देस बन गइल।[16][17]
2 सितंबर 2023 के इसरो के आदित्य-एल1 मिशन भेजे के प्लान बा जे सुरुज के अध्ययन करी आ सुरुज के अध्ययन करे वाला पहिला भारतीय मिशन होखी।
फेसलिटी | लोकेशन | बिबरन |
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विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर | तिरुअनंतपुरम | The largest ISRO base is also the main technical centre and the venue of development of the SLV-3, ASLV, and PSLV series.[18] The base supports India's Thumba Equatorial Rocket Launching Station and the Rohini Sounding Rocket programme.[18] This facility is also developing the GSLV series.[18] |
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर | तिरुअनंतपुरम आ बंगलौर | The LPSC handles design, development, testing and implementation of liquid propulsion control packages, liquid stages and liquid engines for launch vehicles and satellites.[18] The testing of these systems is largely conducted at ISRO Propulsion Complex at Mahendragiri.[18] The LPSC, Bangalore also produces precision transducers.[19] |
फिजिकल रिसर्च लैब (पीआरएल) | अहमदाबाद | Solar planetary physics, infrared astronomy, geo-cosmo physics, plasma physics, astrophysics, archaeology, and hydrology are some of the branches of study at this institute.[18] An observatory at Udaipur also falls under the control of this institution.[18] |
सेमी कंडक्टर लैबोरेट्री | चंडीगढ़ | Research & Development in the field of semiconductor technology, micro-electro mechanical systems and process technologies relating to semiconductor processing. |
नेशनल एटमास्फियरिक रडार लैबोरेट्री (एनएआरएल) | तिरुपति | The NARL carries out fundamental and applied research in Atmospheric and Space Sciences. |
स्पेस एप्लिकेशन सेंटर | अहमदाबाद | The SAC deals with the various aspects of practical use of space technology.[18] Among the fields of research at the SAC are geodesy, satellite based telecommunications, surveying, remote sensing, meteorology, environment monitoring etc.[18] The SAC additionally operates the Delhi Earth Station, which is located in Delhi and is used for demonstration of various SATCOM experiments in addition to normal SATCOM operations.[20] |
पूर्वोत्तर स्पेस एप्लिकेशन सेंटर | शिलांग | Providing developmental support to North East by undertaking specific application projects using remote sensing, GIS, satellite communication and conducting space science research. |
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