ओजोन कटाव आ ओजोन छेद

ग्लोब पर एनीमेशन
दक्खिनी गोलार्ध में 1957–2001 के बीच ओजोन छेद के स्थिती देखावत एनीमेशन

ओजोन कटाव या ओजोन क्षय (ozone depletion) आ ओजोन छेद (ozone hole), एक दूसरा से जुड़ल दू तरह के घटना बाड़ी, पृथ्वी के वायुमंडल में स्ट्रेटोस्फीयर नाँव के परत (ऊँचाई 10 या 18 किलोमीटर से 50 किलोमीटर) में पावल जाए वाला ओजोन के कुल मात्रा में 1970 के दशक के बाद आइल कमी, आ दक्खिनी ध्रुव के ऊपर बसंत के सीजन में ओजोन के परत में भारी कमी। एह में दुसरका के ओजोन छेद भी कहल जाला।

एकर मुख्य कारण मनुष्य के कामकाज आ उद्योग द्वारा निकले वाला बिबिध प्रकार के गैस सभ के मानल जाला जे ऊपर वायुमंडल में जा के ओजोन में कमी के कारण बने लीं। एकरा के एक ठो प्रमुख पर्यावरणी समस्या मानल जाला।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एगो इंटरनेशनल संधि (ट्रीटी) हवे जेकर मकसद अइसन केमिकल सभ के उत्पादन आ इस्तेमाल पर नियंत्रण कइल हवे जिनहन से पृथिवी के ओजोन परत के नोकसान पहुँचे ला।[1][2] एह संधि पर सहमती 16 सितंबर 1987 के भइल आ 1 जनवरी 1989 से ई परभाव में आ गइल।

इहो देखल जाय

[संपादन करीं]
  1. Environment, U. N. (29 अक्टूबर 2018). "About Montreal Protocol". unep.org (अंग्रेजी में). Retrieved 1 मार्च 2022.
  2. "Montreal Protocol | Definition, Timeline, & Facts | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेजी में). Retrieved 1 मार्च 2022.