ओजोन परत (Ozone layer; ओज़ोन लेयर), जेकरा के ओजोन शील्ड (Ozone shield; अरथ: ओजोन के बनल सुरक्षा ढाल) भी कहल जाला, पृथ्वी के वायुमंडल में एगो अइसन परत (लेयर) हवे जहाँ ओजोन गैस (O3) के घऽन मौजूदगी बाटे आ ई परत सुरुज से आवे वाला ज्यादातर अल्ट्रावायलेट किरन सभ के सोख ले ले। ओजोन गैस ऑक्सीजने के एगो रूप हवे जेह में ऑक्सीजन के तीन गो मॉलिक्यूल होखे लें, खुद ई गैस तीखा गंध वाली आ बिसैला होखे ले बाकी धियान देवे वाली बात ई बा कि सुरुज से आवे वाला अल्ट्रावायलेट रेडिएशन पृथ्वी पर के जिया-जंतु खाती नोकसानदेह होला जेकरा के ई ओजोन परत सोख के पृथ्वी पर जीवन के बचाव करे ले।
ओजोन परत के नाँव से कभीकभार लोगन के ई भरम हो जाला कि एह परत में खाली ओजोने गैस बाटे, चाहे एह लेयर में ओजोन गैस के मात्रा बाकी सभ गैसन से बेसी बाटे; हालाँकि, अइसन ना बा। एह परत में बस बाकी के वायुमंडल से तुलना कइल जाव तब ओजोन गैस अधिका पावल जाले, जबकि बाकी गैस सभ के तुलना में ई एहिजो बहुत कम्मे मिले ले। एह परत में ओजोन के मात्रा लगभग 10 पार्ट पर मिलियन (दस लाख कन में से दस गो) होले जबकि पूरा वायुमंडल में देखल जाय तब ओजोन के घनापन बस 0.3 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) बाटे। ए से अंजाद लगावल जा सके ला कि एह परत के नाँव बाकी वायुमंडल के तुलना में इहाँ बेसी ओजोन के पावल जाए के कारण रखल गइल हवे, ना कि इहाँ औरियो गैसन के तुलना में बेसी ओजोन मिले ला।
ओजोन गैस के ई, अउरी बाकी वायुमंडल के तुलना में, बेसी जमाव वायुमंडल के स्ट्रेटोस्फियर के निचला हिस्सा में सभसे बेसी मिले ला। एक ऊँचाई पृथ्वी के सतह से लगभग 15 से 35 किलोमीटर (9 से 22 मील) के बीचा में बतावल जाले; हालाँकि, ई सीजन आ जगहा (भूगोल) के हिसाब से बदले ले आ पूरा पृथ्वी पर आ साल के हर सीजन में एक्के नियर ना मिले ले।[1]
ओजोन परत के खोज 1813 में फ्रांसीसी भौतिक बिग्यानी चार्ल्स फैब्रे आ हेनरी बुईस्सन द्वारा भइल, जब ऊ लोग ई देखल की पृथ्वी पर आवे वाला अल्ट्रावायलेट रेडियेशन के कौनों चीज सोख ले रहल बा।[2] एह परत के अउरी लच्छन सभ के खोज ब्रिटिश मौसमबिग्यानी जी. एम. बी. डाॅब्सन द्वारा कइल गइल जे एगो सिंपल किसिम के स्पेक्ट्रोमीटर बनवलें जवना से कौनों जगह के ऊपर के वायुमंडल में केतना ओजोन बा ई नापल जा सके। एही के चलते, उनुके सम्मान में आ ओजोन के घनापन बतावे वाला इकाई के डाॅब्सन इकाई (डाॅब्सन यूनिट) कहल जाला।
ओजोन परत लगभग सुरुज के अल्ट्रावायलेट रेडिएशन (लगभग 200 nm से 315 nm वेवलेंथ) के लगभग 97 से 99 परसेंट हिस्सा के सोख लेवे ले, नाहीं त ई पृथ्वी पर चहुँप के इहाँ के जिया-जंतु के नोकसान करित।[3] 1976 में वायुमंडल संबंधी रिसर्च सभ में ई जाहिर भइल कि एह ओजोन परत में कटाव भा क्षय हो रहल बाटे जे पृथ्वी पर मनुष्य, अउरी जानवरन आ इकोसिस्टम खातिर खतरा के रूप में देखल गइल।[4] एकर प्रमुख कारन क्लोरोफ्ल्यूरोकार्बन (सीएफसी गैस) सभ के वायुमंडल में प्रवेश मानल गइल आ आगे चल के इनहन पर पूरा दुनियाँ में रोक आ प्रतिबंध लगावल गइल। 16 सितंबर 1987 के ओजोन के संरक्षण के दिसा में मांट्रियल प्रोटोकाल लागू कइल गइल आ एही के उपलक्ष में ई दिन अब हर साल बिस्व ओजोन दिवस के रूप में मनावल जाला।
पृथ्वी के अलावा अउरी ग्रह सभ में से शुक्र के बारे में मालुम बा कि एकरो सतह से करीबन 100 किलोमीटर के ऊँचाई पर ओजोन के परत पावल जाले।[5]
ओजोन लेयर के कुछ तत्वन के चलते कटाव भा क्षय होखे ला; एह तत्व सभ में फ्री रैडिकल कैटालिस्ट सामिल बाड़ें, जइसे कि नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रॉक्सिल, एटामिक क्लोरीन आ एटामिक ब्रोमीन। एह सगरी केमिकल प्रजाति सभ के प्राकृतिक स्रोत बाड़ें जहाँ से ई वायुमंडल में प्रवेश क सके लें हालाँकि, क्लोरीन आ ब्रोमीन के कंसंट्रेशन मनुष्य के बनावल चीजन के चलते हाल के दशक सभ में बहुत बढ़ल बाटे। ऑर्गैनोहैलोजन कंपाउंड, बिसेस रूप से क्लोरोफ्ल्यूरोकार्बन आ ब्रोमोफ्ल्यूरोकार्बन्स के मनुष्य द्वारा वायुमंडल में प्रवेश एह में सभसे प्रमुख बाटे।[6] ई सगरी बहुत स्टेबल कंपाउंड हवें एह मामिला में कि ई वायुमंडल में स्ट्रेटोस्फियर तक ले पहुँच के ओहिजे लमहर समय ले रुकल रहि सके लें। क्लोरीन आ ब्रोमीन के रैडिकल सभ ओहिजे अल्ट्रावायलेट (पराबैंगनी) किरन सभ से टकरा के टूट के फिरी हो जालें आ ओकरे बाद ई फिरी रैडिकल सभ चेन रिएक्शन शुरू कइ देवे लें; एक ठो अइसन रैडिकल 1,00,000 ओजोन मॉलिक्यूल सभ के तूरे में सच्छ्म होखे ला। 2009 तक ले नाइट्रस ऑक्साइड मनुष्य द्वारा वायुमंडल में छोड़ल जाए वाला ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ओजोन-दिप्लेटिंग सब्सटेंस) में सभसे पहिला नंबर पर रहल।[7]
ओजोन के स्ट्रेटोस्फियर में एह तरीका के क्षय भा घटती (डिप्लेशन) के परिणाम ई होखे ला कि अल्ट्रावायलेट रेडियेशन के सोखल जाए वाला मात्रा में कमी आवे ले।[8] एकर रिजल्ट ई होला कि बिना सोखल अल्ट्रावायलेट किरन सभ पृथ्वी के सतह तक ले पहुँचे में सक्षम हो जाला आ सतह पर आवे वाला एह किसिम के रेडिएशन के इंटेंसिटी बढ़ जाला। 1970 के दशक के अंतिम सालन से अबतक ले, पूरा दुनियाँ भर में, औसतन 4 परसेंट के कमी ओजोन लेवल में दर्ज कइल गइल बाटे। पृथ्वी के ध्रुवीय 5 परसेंट सतह के ऊपर सीजनल तरीका से एह ओजोन परत के क्षय बहुते बेसी पैमाना पर देखे में आवे ला, इनहन के "ओजोन छेद" (ओजोन होल) कहि के बोलावल जाला।[9] अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के अइसन कटाव के पहिली बेर घोषणा जोए फारमैन, ब्रायन गार्डनर आ जोनाथन शैंकलिन द्वारा एगो रिसर्च पेपर में कइल गइल जे 16 मई 1985 के नेचर जर्नल में छपल रहे।[10]
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विकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया Ozone layer पर मौजूद बा। |
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विकिसोर्स पर एह लेख से जुड़ल मूल चीज मौजूद बा: |