कुबेर नाथ राय | |
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जनम | मत्सा गाँव, दिलदार नगर कमसर, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, ब्रिटिश भारत | 26 मार्च 1933
निधन | 5 जून 1996 | (उमिर 63)
पेशा | निबंधकार |
राष्ट्रियता | भारतीय |
प्रमुख रचना | गंध मादन, प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, विषाद योग |
प्रमुख सम्मान | भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार |
कुबेर नाथ राय (26 मार्च 1933 – 5 जून 1996), जिनके कुबेरनाथ राय के नाँव से भी लिखल जाला, हिंदी आ संस्कृत के लेखक आ बिद्वान रहलें। मुख्य रूप से निबंध बिधा में लेखन करे वाला राय के भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार आ अउरियो कई ठे पुरस्कारन से सम्मानित कइल गइल।
कुबेर नाथ राय के जनम भारत के उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के मत्सा गाँव में भइल रहे। उनकर पिता के नाम वैकुण्ठ नारायण राय रहे। उनकर शुरुआती पढ़ाई गाँव मत्सा से भइल। हालांकि उ आपन मैट्रिक बनारस के क्वींस कॉलेज से कइलन। ऊँच दर्जा के पढ़ाई खातिर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में नामांकन करा लिहले। कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री लिहलन। एगो शिक्षाविद के रूप में ऊ आपन कैरियर के शुरुआत विक्रम विश्वविद्यालय से कइलन बाकी कुछे समय बाद उ अंग्रेजी साहित्य के लेक्चरर के रूप में असम के नलबारी चल गइलन। स्वामी सहजानंद महाविद्यालय, गाजीपुर से ओकर प्रिंसिपल के रूप में रिटायर हो गइलन।
1958 से 1986 तक नलबारी कॉलेज, असम में अंग्रेजी विभाग में लेक्चरर के रूप में काम कइलन। 1986 से 1995 तक स्वामी सहजानंद सरस्वती पीजी कॉलेज, गाजीपुर, यूपी में प्राचार्य के रूप में रहलन। भारतीय ज्ञानपीठ[1] से मूर्तिदेवी पुरस्कार आ यूपी,[1][2] पच्छिम बंगाल[1] [2] आ असम सरकार से कई गो पुरस्कार मिलल।[1][2]
कुबेर नाथ राय आपन लेखन पूरा तरह से निबंध के रूप में समर्पित कइलन।[3]
उनकर निबंध संग्रह गांधमादन, प्रिया नील-कांति, रस आखेटक, विषाद योग, निषाद बांसुरी, प्राण मुकुट निबंध के रूप के बेहद समृद्ध कइले बा।[3] भारतीय संस्कृति आ पाश्चात्य साहित्य के विद्वान, उनुका भारतीय विरासत पर गर्व रहे। [3] प्राकृतिक सुंदरता आ भारतीय लोक साहित्य से उनकर प्रेम आ मशीन के जमाना अधिका कृषि समाज के वरीयता, उनकर रोमांटिक दृष्टिकोण, सौंदर्य संवेदना, समकालीन वास्तविकता आ शास्त्रीय शैली पर उनकर तीक्ष्ण नजर के चलते हिंदी के समकालीन निबंधकारन में उनकर बहुत ऊँच स्थान मानल गइल बा।[3][4]