कुशीनगर
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कसबा | |
Coordinates: 26°44′28″N 83°53′17″E / 26.741°N 83.888°Eनिर्देशांक: 26°44′28″N 83°53′17″E / 26.741°N 83.888°E | |
देस | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | कुशीनगर |
Population (2011)[1] | |
• Total | 22,214 |
भाषा | |
• ऑफिशियल | हिंदी |
• अन्य | भोजपुरी, अंग्रेजी |
Time zone | UTC+5:30 (IST) |
पिनकोड | 274403 |
Website | www |
कुशीनगर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के उत्तरी पूरबी हिस्सा में एगो शहर, पर्यटन स्थल आ बौद्ध तीरथ बा। अपनहीं नाँव के जिला में मौजूद ई शहर उत्तरी-पूरबी उतर प्रदेश के प्रमुख शहर गोरखपुर से करीबन 50 किलोमीटर पूरुब ओर नेशनल हाइवे 28 पर पड़े ला। एकरा के कुछ बड़हन आकार नजदीकी दूसर शहर पड़रौना बा।
कुशीनगर के प्राचीन नाँव "कुशीनारा" बतावल जाला। एकर पहिचान ओह जगह के रूप में कइल जाला जहाँ भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण भइल। एहीसे ई जगह बौद्ध धर्म माने वाला लोगन क चारि गो सबसे पबित्र तीरथ अस्थानन में गिनल जाला, बाकी तीन गो जगह लुम्बिनी, बोधिगया, आ सारनाथ हवें। भारत से बाहर के लोग खाती ई एगो अंतरराष्ट्रीय पर्यटन आ तीरथ के जगह हवे। खासतौर से एशियाई देसन के लोग, जहाँ बौद्ध धर्म के प्रचलन बहुत बा, अपना जिनगी में कम से कम एक बेर इहाँ के जातरा जरूर कइल चाहे ला।
परिनिर्वाण मंदिर, रामभर स्तूप आ अन्य प्राचीन बिहार के अवशेष इहाँ के देखे लायक चीज बाने। परिनिर्वाण मंदिर में गौतम बुद्ध के लेटल मुद्रा में मूर्ती बा। एकरे अलावे कई गो नया मंदिर आसपास के बड़हन बिस्तार में स्थापित भइल बाने। कई सारा मंदिर सभ के नाँव ओह देस के नाँव पर बा जहाँ के लोग इनहन के बनवावल हवे। सरकार इहाँ मैत्रय परियोजना के तहत एगो बिसाल मूर्ती स्थापित करावे के घोषणा भी कइले बा।
एक ठो मत के मोताबिक एह जगह के पुराना नाँव कुशीनारा भा कुशवती रहल आ ई नाँव कोशल के राजा, प्रसिद्ध हिंदू देवता, श्री रामचंद्र के बेटा कुश द्वारा स्थापित कइल गइल आ उनके राजधानी रहल।
दूसर मत के अनुसार एह इलाका में पावल जाए वाली "कुश" घास के कारन एकर नाँव कुशवती पड़ल हवे। दुसरे वाली परंपरा, जेकरा के बौद्ध लोग माने ला, के मोताबिक एकर नाँव कुशवती, राम के लइका कुश से काफी समय पहिले से इहे रहल।
वास्तविक भूगोलीय लोकेशन के हिसाब से कुशीनगर, 24.74 डिग्री उत्तर अक्षांस आ 83.88 डिग्री पूरबी देशांतर पर मौजूद बा। अन्य शहर आ कस्बा सभ के सापेक्ष एह कस्बा के लोकेशन बतावल जाय त गोरखपुर महानगर से लगभग 50 किलोमीटर पूरुब ओर नेशनल हाइवे 27 (नया नंबरिंग में) पर पड़े ला। एकरे लगहीं कसया नाँव के बजार आ कस्बा बा जहाँ से उत्तर ओर पड़रौना (लगभग 15 किलोमीटर), आ रामकोला (18 किलोमीटर) पर बाने, दक्खिन में देवरिया शहर आ पूरुब ओर तमकुही राज नाँव के जगह पड़े ला।
भौतिक भूगोल के हिसाब से ई गंगा के बिचला मैदानी हिस्सा के उत्तरी इलाका हवे आ सरजू आ गंडक नदिन के बीचोबीच में पड़े ला। खुद कुशीनगर से कुछे दूरी पर पच्छिम ओर छोटी गंडक नदी बहे ले। खनुआ नदी नाँव क एक ठो पातर धारा कुशीनगर से हो के गुजरे ले जे आगे जा के छोटी गंडक में मिले ले, छोटी गंडक खुद आगे जा के भाटपार रानी, सलेमपुर हो के गोठिनी के लगे सरजू नदी में मिले ले। एह तरीका से कुशीनगर सरजू नदी के बेसिन के हिस्सा हवे, जवन कि खुद गंगा नदी के थाला के उत्तरी भाग हऽ।
पूरा इलाका के जलवायु कोपेन के बर्गीकरण के हिसाब से Cwa प्रकार के हवे, यानी कि नम उष्णकटिबंधी जलवायु हवे। जनवरी सभसे ठंढा महीना होला आ औसत तापमान लगभग 4 से 6 डिग्री सेंटीग्रेड रहे ला, मई-जून में सभसे ढेर गर्मी पड़े ले आ एह दौरान दिन अधिकतम तापमान 40 डिग्री C तक पार क जाला। बरखा मुख्य रूप से बीच जून से ले के सितंबर ले होले जब दक्खिनी-पच्छिमी मानसून के बंगाल के खाड़ी वाली शाखा से अह इलाका में बरखा होले। ई जिला उत्तर प्रदेश के सभसे सुदूर उत्तर पूरुब में हवे आ एही कारण इहाँ सभसे ढेर बरखा होले। कुछ बरखा जनवरी के अंत आ फरवरी में होले जे चक्रवाती बरखा होले। कुल मिला के ई तराई के दक्खिनी इलाका हवे आ माटी में हमेशा भरपूर नमी मौजूद रहे ले।
वर्तमान कुशीनगर के कुशवती (बुद्ध पूर्व काल में) आ कुशीनारा (बुद्ध-बाद के काल में) के रूप में पहिचानल जाला। कुशीनारा मल्ल लोग के राजधानी रहल। मल्ल, छठईं सदी में एगो महाजनपद रहे। बाद में ई मौर्य साम्राज्य, शुंग साम्राज्य, कुषाण, गुप्त आ हर्ष के साम्राज्य के हिस्सा बनल।
मध्यकाल में, कुशीनगर कलचुरी राजपूत लोग के अधीन आइल। मानल जाला कि बारहवीं सदी तक ले कुशीनारा शहर के रूप में मौजूद रहल ओकरे बाद उपेक्षा के शिकार भइल आ धीरे-धीरे इतिहास में गायब हो गइल। एकरे बगल में मौजूद शहर पड़रौना के बारे में अनुमान बा कि पनरहवीं सदी में इहाँ राजपूत मदन सिंह के राज रहे।
आधुनिक जमाना में, कुशीनगर के महत्व बढ़ल 19वीं सदी में, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहिला सर्वेयर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम आ इनके बाद ए॰सी॰एल॰ कार्लाइल के खोज के दौरान मुख्य स्तूप के खोज भइल आ 6.10 मीटर लमहर बुद्ध के लेटल प्रतिमा 1876 में मिलल। खोदाई आ खोज के काम सुरुआती बीसवीं सदी ले जारी रहल। बाद के खोदाई डच पुरातत्वबिद जीन फिलिप वोगल (J. Ph. Vogel) के निर्देश में भइल।[2] इनके अगुआई में 1904-5, 1905-6 आ 1906-7 में पुरातत्वी खोज के अभियान चलल आ भारी मात्रा में बौद्ध संपदा मिलल।
1903 में बर्मा के एगो भिक्षु चंद्रा स्वामी इहाँ अइलें आ परिनिर्वाण मंदिर के दुबारा पूजा ध्यान के अस्थान के रूप में स्थापित कइलेन।
आजादी के बाद कुशीनगर देवरिया जिला के हिस्सा बनल रहल आ 13 मई 1994 के नया जिला पडरौना जिला के नाँव से बनल जेकरा नाँव बाद में कुशीनगर जिला क दिहल गइल।[3]
1896 में, वैडल नाँव के बिद्वान ई सुझाव दिहलें कि बुद्ध के निधन के अस्थान रामपुरवा के इलाका में कहीं होखे के चाहीं।[4] हालाँकि, बौद्ध परंपरा के ग्रंथ महापरिनिर्वाणसुत्त के मोताबिक, गौतम बुद्ध कुशीनारा के जात्रा कइलें, ओही जे उनके निधन भइल आ ओहिजे अंतिम संस्कार भइल।[5][6] आधुनिक बिद्वान लोग के राय, पुरातत्व के सबूत के आधार पर, ई बाटे कि बुद्ध के निधन वर्तमान कसया के लगे मौजूद एही कुशीनगर में भइल।[7][8][9][10]
बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल पर अशोक द्वारा स्तूप बनवावल गइल आ एह जगह के तीरथ के रूप में परतिष्ठा भइल।[11] गुप्त बंस (4थी से 7वीं सदी) के हिंदू शासक लोग एह स्तूप के बड़ करावल आ परिनिर्वाण मंदिर में लेटल बुद्ध के मुर्ती अस्थापित करावल।[12][13] बौद्ध भिक्षु लोग द्वारा ई तीरथ छोड़ दिहल गइल जब 1200 ईस्वी के आसपास मुस्लिम सेना के बचे खाती ई लोग भाग चलल, बाद के इस्लामी शासन काल में ई जगह धीरे-धीरे भुला दिहल गइल।[14][15]
ब्रिटिश पुरातत्वबिद अलेक्जेंडर कनिंघम एह जगह के 19वीं सदी में दुबारा खोजलें आ इनके सहजोगी ए॰सी॰एल॰ कार्लाइल इहाँ खोदाई करवलें आ लगभग 1500 बरिस पुरान बुद्ध के मुर्ती मिलल।[13][16][17] एकरे बाद ई जगह बौद्ध तीर्थ आ पर्यटन केंद्र के रूप में फिर से महत्व पा गइल।[5][18] तीसरी सदी ईसा पूर्व के पुरातात्विक अवशेष सभ से ई पता चले ला कि ई जगह प्राचीन काल में बौद्ध तीर्थ रहे।[5]
भारत के जनगणना 2011 के अनुसार, कुशीनगर नगर पंचायत के कुल जनसंख्या 22,214 रहल[1][19] आ कुल 3462 परिवार इहाँ निवास क रहल रहलें। एह में पुरुष वर्ग के जनसंख्या के हिस्सा 52% (11,502 मरद) आ औरत बर्ग के हिस्सा 48% (10,712 औरत) रहल। कुशीनगर के औसत साक्षरता दर 78.43% रहल जे भारत के राष्ट्रीय औसत 74% से ढेर रहल, मरदाना लोग के साक्षरता 85% आ मेहरारू लोग के साक्षरता 72% दर्ज कइल गइल। कुशीनगर में 11% जनसंख्या 10 साल से कम उमिर वाला वर्ग में रहल आ कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति के हिस्सा 5.03% आ अनुसूचित जनजाति के हिस्सा 2.39% रहल।[1]
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