ग़ज़ल

ग़ज़ल (غزل‎) जेकरा भोजपुरी में बहुधा गजल लिखल बोलल जाला, एक किसिम के कबितई हवे जेकर मुख्य बिसय प्रेम ह आ एकर उत्पत्ती अरबी कबिताई से भइल। प्रेम के अलाव ग़ज़ल के बिसय अध्यात्मदार्शनिकता हो सके ला हालाँकि, बहुधा एकर बिसय प्रेम के प्रकटीकरण आ प्रेम में बियोग के दुःख दरद के अभिब्यक्ति होला।

ग़ज़ल के रूप बहुत पुरान हवे आ एकर इतिहास 7ईं सदी के अरबी कबिता से शुरू होखे ला। ग़ज़ल बाद में 12वीं सदी में भारतीय उपमहादीप में चलन में आइल जे में सूफ़ी रहस्यबादी संत लोगन के आ नया इस्लामी सल्तनत क योगदान रहल, आ अब ई वर्तमान में भारतीय उपमहादीप के कई ठे भाषा सभ आ तुर्की भाषा के कबिताई के खास बिसेसता बन गइल बाटे।

ग़ज़ल दू-दू लाइन के पद्य रचना सभ के सीरीज होखे ला, दू लाइन वाला ई कबिता शे'र कहालें; एक ठो ग़ज़ल में आमतौर प पाँच से ले के पनरह गो ले शे'र हो सके लें। ई शे'र बहुधा अपने आप में पूरा आ एक दुसरे से आजाद होखे लें बाकी - अमूर्त रूप से, थीम के सहारे आपस में जुड़ल भी हो सके लें, जबकी कबिताई के रूप आ छंद-बिधान के आधार प बेसी कड़ाई से जुड़ल होखे लें। इनहन के ढाँचा बह्रवज़्न के आधार पर तय होला आ एह नियम के कड़ाई से पालन कइल जाला। संजुक्त रूप से एह नियम सभ के अरूज़ कहल जाला। केहू एगो शायर के ग़ज़ल सभ के संकलन के दीवान कहल जाला, आमतौर प अइसन संकलन जेह में हर अक्षर से (अंत होखे वाला) शे'र सभ के एकट्ठा लिखल गइल होखे।

दू लाइन वाला होखे के चलते शे'र के हिंदी के दोहा के करीब मानल जा सके ला हालाँकि, छंद बिधान में ई बहुते अलग होला आ लंबाई अलग-अलग होखे लीं। अंग्रेज़ी में ई पेट्रारकन सॉनेट के करीब मानल जाला।

हिंदुस्तान में जब ग़ज़ल के रचना शुरू भइल तब ई अधिकतर फ़ारसी भाषा में रचल जाय। बाद में एकर चलन उर्दू शाइरी में नया आ बहुते ऊँच मोकाम हासिल कइलस। हिंदी, अवधी नियन अउरियो भाषा-बोली सभ में ग़ज़ल कहल गइलिन आ आजकाल्ह भोजपुरी भाषा में बहुत कबी लोग ग़ज़ल के रचना क रहल बाटे। संस्कृतअंग्रेजी भषवन में भी ग़ज़ल के रचना भइल बाटे।

कबिताई के रूप के अलावा ग़ज़ल के गायकी के एगो बिधा के रूप में मान्यता हासिल बाटे। बहुत सारा गायक-गायिका लोग ग़ज़ल गायकी के शैली के चलते परसिद्धि पावल आ एह बिधा के कलाकार के रूप में बिख्यात भइल।