गोमती | |
नदी | |
लखनऊ में गोमती नदी
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देस | भारत |
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उदगम | गोमत ताल फुलहर झील ग्राम फुलहर |
- लोकेशन | पीलीभीत जिला, बिचला गंगा मैदान |
- ऊँचाई | 200 मी (656 फीट) |
लंबाई | 900 किमी (559 मील) approx. |
जलनिकास | for सैदपुर, गाजीपुर |
- औसत | 234 m3/s (8,264 cu ft/s) |
गोमती नदी भारत में गंगा क एगो सहायक नदी बा। ई औड़िहार की लगे गंगाजी में मिलेले आ लखनऊ आ जौनपुर नियर शहर एकरी तीरे बसल बाटें। उत्तर प्रदेश के अधिकतर प्रमुख नदी सभ हिमालय से निकले लीं बाकी गोमती नदी पहाड़ी नदी ना हवे। ई उत्तर प्रदेश के तराई के इलाका में, पीलीभीत जिला में मौजूद गोमतताल नाँव के झील से निकसे ले। सई नदी एकर प्रमुख सहायिका नदी बा। नदी क कुल लंबाई लगभग 900 किलोमीटर बा आ गंगा में मिले के समय ई भरपूर चाकर पाट वाली नदी हो जाले।
हिंदू धर्म में एह नदी के महत्व बा आ पुराण में बर्णित कथा सभ के मोताबिक ई वशिष्ठ मुनि के बेटी हई। मानल जाला कि एकादशी के गोमती नदी में नहान करे से पाप के नाश हो जाला। एह नदी में एगो खास किसिम के घुँघुँची मिले ले जेकरा के गोमती चक्र कहल जाला। एकरे दुर्लभ होखे के कारण एकर तांत्रिक पूजा आ टोटका सभ में इस्तेमाल होला।[1]
गोमती नदी पहाड़ के ग्लेशियर से ना निकसे ले। ई बरखा के पानी आ जमीनभीतरी पानी से निकसे ले आ गोमत नाँव के एगो ताल से एकर उद्गम होला जेकरा के पहिले फुलहार झील कहल जाय। ई ताल पीलीभीत जिला में माधो ताल के बगले में बाटे। इहाँ से निकल के गोमती नदी अपना पूरा लंबाई 960 किलोमीटर (600 मील) भर उत्तर प्रदेश में बहे ले आ गाजीपुर जिला में सैदपुर आ औडिहार के लगे कैथी में गंगा में मिले ले।
गोमती अपना उदगम के 20 किलोमीटर (12 मील) आगे बढ़े पर गैहाई नदी से मिले ले। गोमती एगो पातर धारा के रूप में बहे ले जबतक कि ई लखीमपुर खीरी जिला में मोहमदी खीरी ले ना चहुँप जाले (अपना उद्गम से करीबन 100 किलोमीटर), एहिजा के बाद एह में सुखेता, चोहा आ अन्हरा चोहा नियर सहायिका नदी आ के मिले लीं। एकरे बाद ई नदी पूरा तरीका से नदी के रूप धारण क लेले। मैलानी में कठिना आ सीतापुर जिला में सारयाँ नदी आ के एह में मिले लीं। सई नदी एकर सभसे लमहर सहायिका नदी हवे जे जौनपुर के लगे एह में आ के मिले ले।
अपना उद्गम से 240 किलोमीटर (150 मील) ई नदी लखनऊ पहुँचे ले जे उत्तर प्रदेश के राजधानी हवे।[2] एह शहर के किनारे ई नदी लगभग बारह किलोमीटर के दूरी तय करे ले आ करीब 25 नाला बिना सफाई के सीवर के पानी एह नदी में छोड़े लें। एह्करे बाद नदी पर एगो बैराज बना दिहल गइल बा जेकरे कारण ई एगो झील नियर हो गइल बा।
लखनऊ के अलावा एह नदी के तीरे बसल शहर सभ में लखीम पुर खीरी, सुल्तानपुर, केराकत आ जौनपुर बाड़ें। सुल्तानपुर आ जौनपुर जिला के ई नदी बीच से बाँटत गुजरे ले। जौनपुर एगो इतिहासी शहर हवे आ इहाँ गोमती नदी पर बनल शाही पुल इतिहासी धरोहर के रूप में बा।
आगे जा के कैथी में जहाँ ई नदी गंगा में मिले ले एह संगम पर मार्कंडेय महादेव के मंदिर बा। ई हिंदू लोग खाती पवित्र तीरथ मानल जाला।
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