ङ अक्षर

भारतीय अबुगीडा लिपि सभ के पाँचवा व्यंजन वर्ण हऽ आ क-वर्ग के पाँचवा (क-वर्ग= क, ख, ग, घ, ङ) अक्षर ह। ई अशोक के धम्मलिपि के अक्षर ng से गुप्ता लिपी के बनल आ फेर बाकि भारतीय लिपियन मे बदलल।

भोजपुरी भाषा में अक्षर के ध्वनी बहुत प्रचलित ह। हिंदी के परभाव में शब्दन के लिखे के तरीका बदल गइल बा आ एह आवाज के अक्सर एह अक्षर के इस्तेमाल द्वारा अब लिखल छोड़ दिहल गइल बा। संस्कृत में कई शब्दन के एह अक्षर के सहायता से लिखल जाला आ एकर प्रयोग शुद्ध मानल जाला। ङ से कौनो शब्द के शुरुआत ना होखेला।

हिंदी में (खासतौर से पछाहीं हिंदी में) एह अक्षर के उच्चारण लगभग गायब हो चुकल बा आ एकरे जगह अं के मात्रा के बाद ग अक्षर के उच्चारण नियर बोलल जाए लागल बा। उदाहरण खातिर संस्कृत के गङ्गा अब हिंदी में गंगा के रूप में लिखल जाला। भोजपुरी में देखा-देखी गंगा लिखल जाला बाकिर अभिन भी बिहारी भाषा सभ (भोजपुरी, मैथिली, मगही) में ठेठ उच्चारण गङा भा गङ्ङा नियर होला।

निचे के उदाहरण में देखीं ङ के इस्तेमाल कहाँ होला:

रङ = रंग
रङ्ग = रंग
बङ्गाल = बंगाल
अङरेज = अंग्रेज