दुर्गा पूजा | |
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![]() दुर्गा पूजा | |
ऑफिशियल नाँव | दुर्गा पूजा |
अन्य नाँव | अकाल बोधन |
मनावे वाला | हिंदू |
प्रकार | हिंदू |
सुरू | कुआर महीना के अँजोर पाख के छठ से[1] |
अंत | कुआर के अँजोर पाख के दशमी तिथि के[1] |
समय | Ashvin Shukla Pratipada, Ashvin Shukla Dwitiya, Ashvin Shukla Tritiya, Ashvin Shukla Chaturthi, Ashvin Shukla Panchami, Ashvin Shukla Shashthi, Ashvin Shukla Saptami, Ashvin Shukla Ashtami, Ashvin Shukla Navami, Ashvin Shukla Dashami |
केतना बेर | सालाना |
संबंधित बा | महालय, नवरात्र, दशहरा |
दूर्गा पूजा, जौना के दुर्गोत्सव आ नवरातर के नाँव से भी जानल जाला, चाहे शरदोत्सव, पुरा दक्खिनी एशिया में मनावल जाए वाला एगो सालाना हिंदू तिहुआर ह जे में हिंदू देवी दुर्गा के पूजा कइल जाले। ए में छः दिन के महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी आ विजयदशमी के रूप में मनावल जाला। दुर्गा पूजा मनावे के तिथि सब पारम्परिक हिंदू पतरा की हिसाब से आवे लीं आ ए तिहुआर से जुड़ल कुआर महीना की अँजोर पाख के देवी पक्ष, देवी पखवाड़ा के नाँव से भी जानल जाला।
दुर्गा पूजा के ई पर्व हिंदू देवी दुर्गा के बुराई के चीन्हा राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनावल जाला। एही से दुर्गा पूजा के ई पर्व बुराई पर भलाई के बिजय के रूप में भी मानल जाला।
दुर्गा पूजा भारतीय राज्य असम, बिहार, झारखण्ड, मणिपुर, ओडिशा, त्रिपुरा आ सभसे ढेर पश्चिम बंगाल में व्यापक रूप से मनावल जाला है जहाँ ए समय पांच-दिन के सालाना छुट्टी रहे ले।[2] बंगाली हिंदू आ आसामी हिन्दुअन के बहुलता वाला क्षेत्र जइसे की पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा में ई साल के सभसे बड़हन उत्सव मानल जाला। ई ख़ाली हिंदू लोगन के तिउहार ना हवे बलुक ई बंगाली हिंदू समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से सबसे महत्व वाला तिहुआर भी हवे। पश्चिमी भारत के अलावा दुर्गा पूजा के उत्सव दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, कश्मीर, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक आ केरल में भी मनावल जाला। दुर्गा पूजा के तिहवार 91% हिंदू आबादी वाले नेपाल आ 8% हिंदू आबादी वाले बांग्लादेश में भी एगो बड़ परब के रूप में मनावल जाला। वर्तमान में विभिन्न प्रवासी आसामी आ बंगाली सांस्कृतिक संगठन, संयुक्त राज्य अमेरीका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैण्ड, सिंगापुर आ कुवैत सहित अलग-अलग देसवन में भी धूमधाम से ई तिहवार मनावे ला लोग। साल 2006 में ब्रिटिश संग्रहालय में एगो बिसाल दुर्गापूजा के उत्सव के आयोजन भइल रहे।[3]
दुर्गा पूजा के परचार आ एकर परसिद्धि ब्रिटिश राज में बंगाल आ भूतपूर्व असाम में धीरे-धीरे बढ़ल।[4] हिंदू सुधारक लोग दुर्गा के भारत में एगो नया पहिचान दिहल आ एकरा के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के चीन्हा भी बनावल।
बंगाल, आसम, ओडिशा में दुर्गा पूजा के अकालबोधन ("दुर्गा के असामयिक जागरण"), शरदियो पुजो ("शरत्कालीन पूजा"), शरोदोत्सब (बंगाली: শারদোৎসব ("पतझड़ का उत्सव"), महा पूजो ("महा पूजा"), मायेर पुजो ("माँ की पूजा") या खाली पूजा यापुजो भी कहल जाला। पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) में, दुर्गा पूजा के भगवती पूजा के रूप में भी मनावल जाला। एकरा के पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा, दिल्ली आ मध्य प्रदेश में दुर्गा पूजा भी कहल जाला।
पूजा के गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल अउरी महाराष्ट्र में नवरात्रि के रूप में[5] कुल्लू घाटी, हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरा,[6] मैसूर, कर्नाटक में मैसूर दशहरा,[7] तमिलनाडु में बोमाई गोलू आ आन्ध्र प्रदेश में बोमाला कोलुवू के रूप में भी मनावल जाला।[8]
जाड़ा के सुरुआत के समय दुर्गा के पूजा बंगाल में सबसे बड़हन हिंदू पर्व ह। दुर्गा पूजा नेपाल आ भूटान में भी स्थानीय परम्परा अउरी बिबिध रूप की साथे मनावल जाला। पूजा के अरथ हवे "आराधना" अउरी दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छठवाँ महीना कुआर (अश्विन) में बढ़त चान की छठवीं तिथि से दसिमी ले मनावल जाला। हालाँकि, कबो-कब, सौर माह में आ चन्द्रमाह में अंतर होखला पर ई बाद वाले महीना कातिक में भी मनावल जाला। ग्रेगोरी कैलेण्डर की हिसाब से ई तिहवार के तिथि कुल सितंबर आ अक्टूबर महीना में पड़े लीं।
कृत्तिबास रामायण में राम, रावण से युद्ध के दौरान देवी दुर्गा के आवाहन करे लें। जबकि परम्परा में दुर्गा के पूजा बसंत में होखे। लड़ाई में अचानक ई जरूरत पड़ले की कारन, राम की द्वारा देवी दुर्गा के बेसमय आवाहन कइल गइल आ एही से एकरा के अकाल बोधन भी कहल जाला।
बंगाल, असम, ओडिशा में दुर्गा पूजा के अकालबोधन ("दुर्गा के असमय जागरण"), शारदियो पुजो ("शरद ऋतु के पूजा"), शारदोत्सब (बंगाली: শোরদদোটব ("शरद ऋतु के उत्सव"), महापूजो ("महान पूजा" के नाँव से जानल जाला"), एकरा के मेयर पुजो ("माई के पूजा") या बस पूजा भा पुजो भी कहल जाला। पूर्वी बंगाल (बांगलादेश) में भी दुर्गा पूजा भगवती पूजा के रूप में मनावल जाला। पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिशा, दिल्ली आ मध्य प्रदेश में एकरा के दुर्गा पूजा भी कहल जाला। सालन के दौरान दिल्ली-एनसीआर में 250 से ढेर अलग-अलग पंडाल सभ में दुर्गा पूजा के आयोजन होला।