नायक | |
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डाइरेक्टर | एस॰ शंकर |
प्रोड्यूसर | A.M. Rathnam |
लेखक | Story and Screenplay: S. Shankar Dialogues: Anurag Kashyap |
आधार | Mudhalvan by S. Shankar and Sujatha Rangarajan |
कलाकार | अनिल कपूर रानी मुखर्जी अमरीश पुरी परेश रावल जॉनी लीवर |
संगीतकार | ए आर रहमान |
सिनेमैटोग्राफी | K. V. Anand |
संपादक | B. Lenin V. T. Vijayan |
प्रोडक्शन कंपनी | श्री सुर्या मूवीज़ |
रिलीज के तारीख |
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लंबाई (समय) | 187 मिनट |
देस | भारत |
भाषा | हिंदी |
नायक: द रियल हीरो एगो साल 2001 के भारतीय हिंदी भाषा मे बनल एगो फिल्मकार एस॰ शंकर के बनावल एगो राजनीतिक फिल्म हऽ, जेकरा मे अनिल कपूर, रानी मुखर्जी, अमरीश पुरी, परेश रावल आ जॉनी लीवर जइसन अभिनेता लोग कीरदार कइले बा।[1][2][3] ई एगो तमिल फिलिम मुतालवां (1999) के रिमेक हऽ। एह फिलिम के संगीत ए आर रहमान के दिहल हऽ, जेकरा मुतालवां से उठा के हिंदी बोल संगे एह फिलिम मे प्रयोग कइल गइल।
शिवाजी राव (अनिल कपूर) एगो एगो टीवी पत्रकार हऽ, जे आपन संघतिया टोपी (जॉनी लीवर) संगे क्यू टीवी नांव के चैनल मे काम करेला। एक दिन, ऊ राज्य के मुख्यमंत्री बलराज चौहान (अमरीश पुरी) संगे एगो साक्षात्कार कइलस, जेकरा मे ऊ आपन वोट बैंक ना जाए के चलते कॉलेज छात्र के बीच मे भइल दंगा के रोके के प्रयास ना करे के बाति से मुकर गइलन।
साक्षात्कार मे शिवाजी के सरकार के नाकामी प सवाल उठवला प बलराज चौहान कहलें जे उनकर काम ओतना सरल नइखे, बहुत बोझ होला कपार प, आ शिवाजी के एक दिन बदे मुख्यमंत्री बन के देखे के चुनौती दिहलें। शिवाजी बहुत सोचला के बाद चुनौती सकार लिहलस। शिक्षित आ सतर्क, शिवाजी रोज रोज जनता के प्रभावित करे वला मुद्दन के सम्हरलस, आ सभ खातिर रहे आ नौकरी के व्यवस्था कइलस आ संगे संगे भ्रष्ट अधिकारी सभ के निलंबित कइलस। ई सभ काम मे ओकर साथ ओकर सचीव बंसल (परेश रावल) दिहलस। आपन एक दिन के अंतिम काम के रूप मे शिवाजी बलराज चौहान के गिराफ्तर करऽता एह से की ऊ सवसे भ्रष्टाचार के जड़ रहे। बाद मे बलराज चौहान बेल प छूट जाताडें आ शिवाजी के सभ आदेसन के रद्द कई दिहऽताडें। बलराज चौहान शिवाजी के मारहुं के प्रयास करत हवें बाकिर सफल नइखन हो पावत।
शिवाजी के गाँव के एगो लईकी मंजरी (रानी मुखर्जी) से प्रेम हो जाता, जब ऊ मंजरी के बाबू जी लगे बियाह के प्रस्ताव लेवे जाता तऽ ऊ ई कहि के मना कई दिहऽताड़ें की शिवाजी लगे सरकारी नौकरी नइखे। एही से शिवाजी यूपीएससी के परीक्षा के तेयारी करे लागत बा। एने बंसल, शिवाजी के बतावत बा कि कइसे शिवाजी बहुते परसिद्ध हो गइल आ लोग ओकरा मुख्यमंत्री बनावे के चाहत बा। पहिले तऽ शिवाजी मना कइलस बाकिर बादि मे ऊ मान जाता।
चुनाव मे शिवाजी बिसाल बहुमत से जीत जाता, काहे कि चौहन के राजनीतिक सहजोगी लोग उनका के छोड़ देता। शिवाजी के मुख्यमंत्री बने आ चुनाव लड़े के फैसला से मंजरी के बाबूजी खिसिया जाताड़न आ मंजरी से ओकर बियाह करे से मना कई दीहऽताड़न। मुख्यमंत्री बनला के बाद शिवाजी के काम बहुते नीमन रहल आ लोग ओकरा सराहे लागल। ओकर प्रसिद्धि से परेसान चौहान ओकर छबी बिगाड़े के प्रयास करत बा, बाकिर शिवाजी एह सभ के ठीक कर लेता। चौहान एक दिन शिवाजी के मारे ला ओकर घरे बॉम्ब लगवा दीहलन बाकिर प्रयास असफल रहल, बाकिर धमाका मे ओकर माई बाबू के देहांत हो जाता।
अंतिम प्रयास मे, चौहान आपन अदिमी से नगर के न्याय व्ययस्था ध्वस्त कर के सा जगह जगह बॉम्ब लगावे के कहऽता। बाकिर बॉम्ब लगावे के मय बाति एगो पुजारी सुन लेता आ शिकायत बिभाग मे चिट्ठी दाल के शिवाजी के बता देता। चौहान के अदिमी पांडुरंग के गिरफ्तार कइल जाता जहाँ ऊ बॉम्ब लगावे से स्थान बता देता। चार गो मे से तीन गो बॉम्ब के निष्क्रिय कइ दिहल जाता बाकिर चउथा फाट जाता। बाकिर एह सफलता प चौहान कहत बा जे शिवाजी आपन छबी बनावे ला अपनहीं बॉम्ब लगवावेला आ फेर जोहेला। चौहान के राह से हटावे के कौनो राहि ना लउकत देखि, शिवाजी चौहान के अपना दफ्तर मे बोलावत बा, आ आपन हाथ मे गोली मार के कट्टा चौहान के हाथे दे देता, ओतना मे अंगरक्षक लोग आ जाता आ देखला से ई लागत बा जे चौहान शिवाजी के गोली मरले बा। एह जाल मे फँस गइला प चौहान खिसे शिवाजी प गोली चला देता बाकिर गोली ओकरा लाग नइखे पावत, आ अंगरक्षक लोग चौहान मे गोलियन से भुन देता। मुअत घड़ी चौहान ओह दिन के साक्षात्कार के मने पारत बा आ कहऽता "ऊ एगो बढ़िया साक्षात्कार रहल" आ मू जाता। शिवाजी बंसल के सांच बतावत बा आ कहऽता "रउवा सभे मिल के हमरो राजनीतिज्ञ बनाइए दिहनी"। बंसल चौहान मौत के जरूरी मानत कहलस "ऊ भर जीनगी गलत काम करे बदे राजनीति कइलस, बाकिर रउवा खाली एक बेरा कइनी उहो सही खातिर"। मंजरी के बाबू जी के आभास होता की शिवाजी एगो कर्मठ बेकत हऽ, जे कवनो चीझ से पहिले आपन कर्तव्यन के आगे राखेला, आ मंजरी के बियाह शिवाजी से करे ला मान जात बाड़ें।