पड़रौना
پڈرونا | |
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कस्बा | |
Nickname: पड़ौना | |
Country | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | कुशीनगर |
Population (2001) | |
• Total | 44,357 |
भाषा | |
• ऑफिशियल | हिंदी |
• लोकल | भोजपुरी, उर्दू |
Time zone | UTC+5:30 (IST) |
पिनकोड | 274304 |
फोन कोड | 05564 |
लिंगानुपात | 950 ♂/♀ |
Website | www |
पड़रौना या पडरौना भारत देश की उत्तर प्रदेश राज्य की उत्तरी पूरबी सीमान्त इलाका में एगो शहर बा जेवन जिला कुशीनगर के मुख्यालय हवे। ए शहर के प्राचीन नाँव पावा बतावल जाला[1] जेवन मल्ल क्षत्री लोगन क राजधानी रहे। इहंवे से कुछ दूरी पर भगवान बुद्ध चुन्द नाँव की लोहार की घरे आपन आखिरी भोजन कइला की बाद बीमार पड़ल रहलें। प्राचीन पावा क अवशेष वर्तमान फाजिलनगर से थोड़ी दूर पर मानल जाला। एकरी नाँव की बारे में इहो मान्यता बा कि भगवान राम इहँवा कुछ समय बितावलें आ भगवान राम की पद से रौंदा अस्थान पदरौना आ फिन बाद में पडरौना हो गइल।
वर्तमान समय में ई शहर कुशीनगर जिला के मुख्यालय बा आ आसपास की इलाका की लोगन के बाज़ार से ले के शिक्षा आ रोजगार के मौका उपलब्ध करावत बा। इहाँ एगो चीनी मिल बा जेवन गन्ना उद्योग खातिर महत्वपूर्ण बा। उदित नारायण पोस्ट ग्रेजुएट कालेज ए इलाका में शिक्षा के महत्वपूर्ण केन्द्र बाटे।
पड़रौना या पडरौना क प्राचीन नाँव पावा बतावल जाला। प्राचीन काल में पावा (वर्तमान पड़रौना) मल्ल गणराज्य के राजधानी रहे आ इहँवा एगो संसद जइसन संथागार से ए इलाका क शासन चलावल जाय।
भगवान बुद्ध मल्ल लोगन के आमंत्रण पर इहँवा आ के उपदेश दिहलीं आ इहंवे चुन्द नाँव की लोहार की घरे आपन आखिरी भोजन ग्रहण कइलिन। एकरी बाद उहाँ के कुशीनारा या कुशवती की जंगल तक पहुँच के ककुत्था नदी पार क के तबियत खराब हो गइल। हालाँकि गौतम बुद्ध आनंद से कहलीं कि चुन्द से कहि दें कि ओकरी दिहल भोजन में कौनो खराबी ना रहल ह आ अब हमार परिनिर्वाण के समय आ गइल बा। एकरी बाद भगवान बुद्ध आपन अन्तिम उपदेश दिहलें आ परिनिर्वाण प्राप्त कइलें। जहाँ भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण (देह त्याग) भइल ओ अस्थान के अब कुशीनगर की नाँव से जानल जाला आ इहँवा परिनिर्वाण मंदिर आ रामभर स्तूप आज की समय में बौद्ध धर्म के तीर्थ आ पर्यटन केन्द्र की रूप में बा।
महाजनपद काल में ई इलाका कोसल की अंतर्गत आवे आ महाराजा प्रसेनजित की मरला की बाद ए क्षेत्र में छोट-छोट राज्य अस्थापित हो गइलें। मगध साम्राज्य की विस्तार की बाद ई क्षेत्र मगध की शासन में चलि गइल। मध्यकाल आ एकरी बाद के इतिहास बहुत न मालूम बा।
पड़रौना की नाँव के एगो अउरी उत्पत्ति बतावल जाला। कहल जाला कि भगवान राम ए क्षेत्र में कुछ समय रहलें आ उनकी पद से रौंदल इलाका के पद+रौंदा कहल गइल आ इहे बाद में पड़रौना हो गइल।
पड़रौना शहर क भूगोलीय अवस्थिति 26.9 उ. अक्षांश आ 83.98 पू. देशांतर पर बा। गोरखपुर से लगभग 75 कि.मी. पुरुब ओर आ देवरिया से ## कि.मी. उत्तर ओर स्थित बा।
भूआकृति विज्ञान की हिसाब से ई शहर मध्य गंगा मैदान की उत्तरी हिस्सा में बा आ एकरी कुछे उत्तर में तराई क इलाका शुरू हो जाला। जमीन जलोढ़ चट्टान से बनल बा आ ई जलोढ़ हिमालयी नदियन की द्वारा ले आवल अवसाद की निक्षेप से बनल बा। ज़मीन क सामान्य ढाल दक्खिन-पच्छिम से उत्तर-पूरुब ओर बा। पड़रौना से सटले उत्तर ओर वाणी नदी बहत रहे जेवना के धारा चीनी मिल बनवावे खातिर मोड़ दिहल गइल। वाणी नदी पच्छिम से पूरुब ओर बहे आ फिर उत्तर की ओर मुड़ के बेलवाँ जंगल कि लगे झरही नदी में मिल जाय। पड़रौना से थोड़ी दूर पहिले पच्छिम ओर ए में से एगो नाला खनवा के एकर पानी पहिलहीं झरही की ओर मोड़ दिहल गइल बा। लेकिन तबो अभिन ले एकर पुरान थाला मौजूद बा आ बरखा भइला पर पानी से भर जाला। चीनी मिल क ठंढा करे वाला फौवारा तालाब (cooling pond) आ दरबार क रामधाम पोखरा एही वाणी नदिए क हिस्सा हउवे।
जलवायु नम शीतोष्ण प्रकार के बा। जाड़ा, बसंत, गर्मी, बरसात क ऋतु पावल जालिन। मई के महीना में लूहि बहला पर प्रचंड गर्मी पड़ेले। तराई क इलाका नज़दीक रहला से इहाँ बरखा पहिले शुरू हो जाले आ ढेर होले। मानसून क आगमन लगभग 10 जून के। होला जाड़ा में कुहरा पड़ेला आ शीतलहरी की समय न्यूनतम तापमान 5 °C से नीचे भी चलि जाला। लूहि आ शीतलहरी की चरम तापमान की अलावा बरसात के उमस भरल गर्मी भी बहुत कष्टदायक होले। बाकी समय मौसम सुहावन रहेला।
माटी में नमी बहुत समय ले रहेले आ जमीन की नीचे पानी क लेवल (जल-स्तर) अबहिन बहुत नीचे नइखे गिरल। पड़रौना की दक्खिन ओर से बड़की नहर गुजरेले जेवना से जल स्तर सामान्य से ऊपर रहेला।
मुख्य फसल गन्ना आ धान बा। व्यापारिक कृषि की रूप में हरदी, पपीता, केला इत्यादी क खेती भी होला।
पड़रौना नगर पालिका क्षेत्र में कुल 25 ठे वार्ड बा आ कुल जनसंख्या 47,723 बाटे।[2]
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