बोड़ो बंगाल, नेपाल आऊर उत्तर पूरबी भारत में बोले जाए वाला एगो भाषा हऽ। बोड़ो भारत में राज काज खातिर इस्तेमाल होखे वाला बाईस गो भासा सभ में से एगो बा। १९६३ के बाद से हेकरा देवनागरी लिखाई में लिखल जला। पहिले हकरा लैटिन आ असमिया लिखाई में लीखल जात रहे। कुछ लोग इहो राय दिहले बाड़न की हेकरा एगो डियोधी नाम के भुलाइल लिखाई में लिखे के चाही।
बोडोलैंड जिला क्षेत्र अउर ऐतिहासिक क्षेत्र
1913 से अलग-अलग बोरो संगठनन के ओर से सामाजिक-राजनीतिक जागरण आ आंदोलन के परिणाम के रूप में 1963 में बोरो प्रधान इलाका के प्राथमिक स्कूलन में एह भाषा के पढ़ाई के माध्यम के रूप में शुरू भइल। आज बोरो भाषा माध्यमिक स्तर तक के शिक्षा के माध्यम के काम करेले अवुरी असम राज्य में एकरा से जुड़ल राजभाषा बा। 1996 से गुवाहाटी विश्वविद्यालय में बोरो भाषा आ साहित्य के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के रूप में पेश कइल जा रहल बा।एह में बहुत संख्या में कविता, नाटक, लघुकथा, उपन्यास, जीवनी, यात्रा-वृत्तांत, बाल साहित्य, आ साहित्य-समीक्षा पर बोरो किताब बाड़ी सऽ। हालांकि अलग-अलग बोली मौजूद बा, लेकिन कोकराझार जिला के आसपास प्रयुक्त पश्चिमी बोरो बोली स्वनाबरी रूप मानक के रूप में उभरल बा।[1]
बतावल जाला कि बोरो आ डिमासा भाषा सभ में देवधाई नाँव के लिपि के इस्तेमाल भइल जेकर प्रमाण अब नइखे। भाषा के लिखे खातिर सबसे पहिले लैटिन लिपि के इस्तेमाल भइल, जब 1843 में एगो प्रार्थना के किताब छपल, आ फिर एन्डल द्वारा 1884 के सुरुआत आ 1904 में जब एह लिपि के इस्तेमाल लइकन के पढ़ावे खातिर भइल तब एकर बहुत इस्तेमाल भइल। असमिया/बंगाली लिपि के पहिला प्रयोग 1915 में भइल (बोरोनी फिसा ओ आयन) आ पहिला पत्रिका बिबर (1924-1940) बोरो, असमिया आ बंगाली में त्रिभाषी रहे, जवना में बोरो असमिया/बंगाली लिपि में लिखल गइल रहे। 1952 में बोडो साहित्य सभा असमिया लिपि के खास तौर पर एह भाषा खातिर इस्तेमाल करे के फैसला कइलस।[9] 1963 में स्कूलन में बोरो के पढ़ाई के माध्यम के रूप में पेश कइल गइल, जवना में असमिया लिपि के इस्तेमाल भइल। 1960 के दशक में बोरो भाषा मुख्य रूप से असमिया/बंगाली लिपि में लिखल गइल, हालाँकि ईसाई समुदाय बोरो खातिर लैटिन के प्रयोग जारी रखलस।
ई भाषा-संबंधी लेख एगो आधार बाटे। जानकारी जोड़ के एकरा के बढ़ावे में विकिपीडिया के मदद करीं। |