महावीर जयंती | |
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अन्य नाँव | महावीर जन्म कल्याणक |
मनावे वाला | जैन लोग |
प्रकार | धार्मिक |
महत्त्व | भगवान महावीर के जनम के उपलक्ष में |
मनावे के तरीका | जैन मंदिर में जाइल |
Observances | प्रार्थना, पूजा आ धार्मिक करमकांड |
समय | चइत सुदी तेरस (वीर निर्वाण संवत) |
केतना बेर | सालाना |
महावीर जयंती, भा महावीर जन्म कल्याणक जैन धर्म के माने वाला लोग के एगो तिहुआर हवे जे भगवान महावीर के जनम के उपलक्ष में मनावल जाला। ई तिहुआर चइत महीना के अँजोर पाख के तेरस तिथी के मनावल जाला आ आमतौर प अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से मार्च भा अप्रैल के महीना में पड़े ला।[5] महावीर, जैन धर्मं के 24वाँ आ अंतिम तीर्थंकर[नोट 1] रहलें।
परंपरा अनुसार महावीर के जनम वज्जि गणराज्य के वैशाली के लगे कुंडग्राम में मानल जाला।[6] ज्यादातर इतिहासकार लोग वसुकुंड के रूप में एकर पहिचान करे ला।[7] जैन ग्रंथ सभ के मोताबिक इनके जनम चैत्र मास शुक्लपक्ष के त्रयोदशी (चइत सुदी तेरस) के भइल आ साल 599 ईसा पूर्व रहल।[8][9]
महावीर के नाँव वर्धमान रखल गइल रहे, अरथ "बढ़े वाला", काहें कि इनके जनम के समय राज्य में धन-संपति के बढंती होखत रहे।[10] वासोकुंड में, गाँव-गिराँव के लोग महावीर के बहुत माने ला; एगो परिवार के जमीन "अहल्या भूमि" (जेपर हर न चलावे के होखे) के रूप में लगभग चार सौ बरिस से बिना जोतले रखल गइल बा जे महावीर के जनमभूईं मानल जाले।[6]