रामचरितमानस | |
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जानकारी | |
धरम | हिंदू धर्म |
लेखक | तुलसीदास |
भाषा | अवधी |
छंद | 10,902 |
रामचरितमानस अवधी में लिखल एगो महाकाव्य[1] आ धार्मिक ग्रंथ हवे, एकर रचयिता तुलसीदास (c.1532–1623) हवें आ ई भारतीय भक्ति साहित्य के सभसे प्रमुख रचना सभ में से एक मानल जाला; भारतीय संस्कृति पर परभाव छोड़े वाला रचना सभ में भी एकर स्थान प्रमुख बा। राम-चरित-मानस के शाब्दिक अरथ हवे "श्री राम के चरित यानि उनके द्वारा कइल गइल आचरण के सरोवर भा झील"। एकरा के तुलसी रामायण भी कहल जाला।
रामचरितमानस के बिसय हिंदू देवता राम के जीवन के कथा के बिबरन हवे जेह में राम के जनम से ले के बियाह, बन जाए आ सीता के हरण अउरी रावण से जुद्ध आ बिजय के कथा सात हिस्सा (कांड) में में बिभाजित क के लिखल गइल बा। मूल रूप में रामकथा के बिबरन देवे वाला एह ग्रंथ में अउरी कई गो कथा भी समाहित बाड़ी स।
साहित्यिक रचना के रूप में ई महाकाव्य खाली हिंदी साहित्य आ भारतीय साहित्य के ना बलुक बिस्व साहित्य के श्रेष्ठ रचना सभ में गिनल जाला। रचयिता तुलसीदास के सबसे बेहतरीन रचना मानल जाला आ बाद के हिंदी साहित्य आ भारतीय साहित्य पर एकर परभाव महत्व के चीज बा। धार्मिक ग्रंथ के रूप में एकर पाठ भगवान राम के पूजा खाती कइल जाला। लगभग पूरा उत्तरी भारत में मानसपाठ भा अखंड रामायण पाठ के नाँव से प्रचलित पूजा में एह ग्रंथ के लगातार बिना बेवधान के पाठ कइल जाला आ अंत में हवन वगैरह कइल जाला; पूरा अनुष्ठान में लगभग चउबिस घंटा के समय लागे ला। एकरे अलावा महीना भर में (मासपारायण) भा नौ दिन में (नवाह्न पारायण) पाठ भी कइल जाला। एकरे एक ठो हिस्सा सुंदरकांड के अलग से पाठ भी कइल जाला आ ई राम के भक्त आ हिंदू धर्म में एगो प्रमुख देवता हनुमान के खुस करे खाती कइल जाए वाली पूजा के रूप में कइल जाला।
तुलसीदास एह काब्य के रचना अजोध्या में विक्रम संवत 1631 (1574 CE) में शुरू कइलें।[n 1] [4] रचना शुरू करे के तिथी एही काब्य में बर्णित बाटे, चइत महीना के नउमी तिथी जे राम के जनम दिन मानल जाला।[4] रामचरितमानस रचना अजोध्या, बनारस आ चित्रकूट में भइल।[5] भारत ओह समय अकबर के शासन (1556-1605 CE) में रहल। एह तरीका से तुलसीदास शेक्सपियर के समकालीन ठहरे लें।[n 2][n 3]
... It was on a Tuesday, the ninth day of Chaitra in the Samvat year 1631, that Tulsidas started writing the Ramcharitmanas in the city of Ayodhya on the banks of the sacred Saryu. The place and date are significant, Ayodhya being the birthplace and the day being the birthday of Sri Rama ...
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