लाल चंदन | |
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तालकोना जंगल, चित्तूर जिला, आंध्र प्रदेश, भारत. | |
बैज्ञानिक वर्गीकरण ![]() | |
किंगडम: | प्लेंटाई (Plantae) |
क्लैड (Clade): | एंजियोस्पर्म (Angiosperms) |
क्लैड (Clade): | यूडिकॉट्स (Eudicots) |
क्लैड (Clade): | रोसाइड (Rosids) |
ऑर्डर (Order): | Fabales |
परिवार: | Fabaceae |
उपपरिवार: | Faboideae |
जाति (Genus): | Pterocarpus |
प्रजाति: | P. santalinus |
दूपद नाँव | |
Pterocarpus santalinus L.f. | |
अउरी दूसर नाँव[2] | |
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लाल चंदन भा रक्त चंदन (अंग्रेजी: Pterocarpus santalinus) टेरोकार्पस जाति के फेड़ सभ के एगो प्रजाति हवे। ई दक्खिनी भारत के पूर्बी घाट के पहाड़ सभ के इलाका के मूल निवासी पौधा हवे। एह फेड़ के एकरे गहिरा लाल रंग के लकड़ी खातिर बहुत कीमती मानल जाला। परंपरागत रूप से ई चंदन कहल जाला हालाँकि एकरे लकड़ी में ओइसन गमक आ सुगंध ना होखे ला। एकरा के चंदन नाँव के कारन भारतीय चंदन के फेड़ से भरम में ना पड़े के चाहीं काहें से की ई दुसरे जाति के फेड़ हवे। हालाँकि, परंपरा में एकरा के गंध के बिना मानल जाला हाल के सालन में एकरे लकड़ी से अर्क निकाले आ एकरे इस्तेमाल के महत्व बढ़ल बाटे, खास क के पच्छिमी देसन में।
एकर लकड़ी बहुत कीमती होखे ले आ एकरा से कई किसिम के सजावटी सामान, बाजा आ अउरी चीज बनावल जाला। एकरे लकड़ी के रोजवुड के लकड़ी नियर होखे के कारन भरम पैदा हो सके ला।
एकरा के भारतीय चंदन से अलग बूझे के चाहीं।