लोक संगीत (अंग्रेजी:Folk music) कवनो भी संस्कृति में आम जनता द्वारा पारंपरिक रूप से प्रचलित गीत-संगीत के कहल जाला।[1] सामान्यतः ई गाँव-गिरांव में खुद से प्रचलित आ अनाम रचनाकार लोगन द्वारा बनावल रचना होले। लोकगीतन क धुन भी पारंपरिक होले। सामान्य रूप से ई शास्त्रीय संगीत की विपरीत स्वतः उत्पन्न मानल जाला।
नया समय में मेन संगीत से अलग हटिके कम प्रचलित भाषा बोली में रचना के भी लोग संगीत कहल जात बाटे।
भोजपुरी लोकगीत में होली (फगुआ), कजरी, बिरहा, सोहर, बियाह क गीत वगैरह अइसने कुल गीत आवेलें। सोरठी, पूरबी, कहारऊ धुन भी लोकगीत से जुडल बा आ ए धुनन पर होखे वाली वर्तमान रचना कुल के भी लोकगीत कहल जाला। मनोज तिवारी, भरत शर्मा, कल्पना पटवारी, शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, निरहुआ, खेसारी, कल्लू, पवन सिंह, गोपाल राय, मदन राय ,आभास चतुर्वेदी, दामोदर राव लोकगीत के अलग अलग विधा के गायक बाढन।
पाश्चात्य लोकगीत में ज्यादातर रचना अकेले आ एगो बाजा कि संघे गावल जाला।[2]
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