छ्त्रपती शिवाजीराजे भोसले | |
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1st Sovereign (Chhatrapati) of the Maratha Realm | |
Reign | 1674–1680 CE |
Coronation | 6 जून 1674 |
Successor | संभाजी |
Born | c. अप्रैल 1627 / 19 फरवरी 1630]][1] शिवनेरी किला, (वर्तमान में महाराष्ट्र, भारत) |
Died | 3 अप्रैल 1680 रायगड किला, रायगड (वर्तमान में महाराष्ट्र में) |
Spouse | सईबाई (निंबालकर) सोयाराबाई (मोहिते) पुतलीबाई (पालकर) सक्वारबाई (गायकवाड) काशीबाई (जाधव) लक्ष्मीबाई (विचारे) सगुनाबाई (विचारे) गुनवतीबाई (ईगळे) सकवारबाई (गायकवाड)[2] |
Issue | संभाजी, बेटा राजाराम, बेटा सखुबाई निंबालकर, बेटी रानुबाई जाधव, बेटी अंबिकाबाई महाडिक, बेटी राजकुमारी बाई शिर्के, बेटी |
Father | शाहजी भोंसले |
Mother | जीजाबाई |
शिवाजी भोंसले (c. 1627/1630 – 3 अप्रैल 1680), जिनके छत्रपति शिवाजी महाराज के नाँव से भी जानल जाला, भोंसले मराठा बंस के भारतीय योद्धा राजा रहलें। बीजापुर के आदिलशाही सल्तनत से एक ठो हिस्सा जीत के आपन राज कायम कइलें जे बाद में मराठा साम्राज्य के नेंई बनल। रायगड में, साल 1674 उनके अपने राज के औपचारिक रूप से छत्रपति घोषित कइल गइल।
शिबाजी एक ठो बढ़ियाँ से प्रशासित संस्था वाला, अनुशासित सेना वाला आ प्रगतिवादी नागरिक शासन के स्थापना कइलें। ऊ कई ठे मलेटरी रणनीति सभ के ईजाद कइलेन जेह में भूगोलीय स्थिति, गति आ अचरज के इस्तेमाल क के युद्ध में बिपक्षी पर लाभ के स्थिति हासिल करे के गैर-परंपरागत तरीका शामिल रहे। ऊ अपना से बड़ सेना पर सटीक जगह पर हमला का के जीत हासिल करे के कला बिकसित कइलेन। कई ठे प्राचीन हिंदू राजनीतिक आ दरबारी प्रथा सभ के दोबारा जिंदा कइलेन आ दरबारी कामकाज में फ़ारसी के जगह, मराठी आ संस्कृत के आगे बढ़ावे में प्रोत्साहन दिहलें।
शिवाजी के विरासत के ढेर महत्व तब मिलल जब भारत के आजादी के लड़ाई में कई नेता लोग उनके राष्ट्रवादी आ हिंदू नेता के रूप में स्थापित कइल लोग। खासतौर से महाराष्ट्र में उनके इतिहास आ इतिहास में उनके भूमिका पर बहुत भावनात्मक जोर रहल बा।
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