सल्फर डाइऑक्साइड चाहे सल्फर डायॉक्साइड (Sulfur dioxide चाहे Sulphur dioxide) एगो गैस हवे। रासायनिक रूप से ई एगो कंपाउंड हऽ जेकर रासायनिक फार्मूला SO2 होला। ई गैस जरल माचिस के काठी नियर महके ले। एकर तेज गंध साँस लेवे में दिक्कत करे ला आ ई जहरीली गैस भी हवे। एह तरीका से ई एगो प्रदूषणकारी गैस हवे आ हवा प्रदूषण में एकरो हिस्सेदारी बा।
सल्फर यानी की गंधक (तेज गंध के कारन ई नाँव पड़ल हवे) के जरावे से सल्फर डाइऑक्साइड हासिल होले। प्राकृतिक रूप से ई पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखी सभ से निकले ले आ वायुमंडल के हिस्सा बने ले। मनुष्य के बिबिध औद्योगिक कामकाज सभ से भी एह गैस के निकास होला आ वायुमंडल में पहुँचे ले काहें से कि ई फॉसिल फ्यूल सभ के दहन से निकले वाली गैस हवे। मने कि उद्योग-धंधा सभ में जरावल जाए वाला कोइला, पेट्रोलियम वगैरह से आ गाड़ी सभ से निकले वाला धुँआ में ई गैस पावल जाले अगर एह ईंधन सभ में गंधक के कंपाउंड मिलल होखें।
सल्फर डाइऑक्साइड पानी के साथे मिल के सल्फ्यूरिक एसिड (गंधक अम्ल) बनावे ले। आक्सीजन के साथे जब मिले ले आ एकर आक्सीडेशन होखे ला तब सल्फर ट्राइऑक्साइड बने ले जवन कि सल्फ्यूरिक एसिड में घुल के अउरी सल्फ्यूरिक एसिड बनावे ले। एकर इस्तेमाल सल्फाइड बनावे में होला।
हाल के खबरन के मोताबिक भारत एह गैस के वायुमंडल में निकास करे वाला सभसे प्रमुख देस बन रहल बा।[1][2]
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