सिंधु जल संधि पानी के बँटवारा खातिर लिए भारत आ पाकिस्तान के बीच भइल एगो दू पक्ष वाली अंतर्राष्ट्रीय संधि (समझौता) हवे। एह संधि में बिस्व बैंक (ओह समय "पुनर्निर्माण आ विकास खाती अंतर्राष्ट्रीय बैंक") बीचा में मध्यस्थता कइलस।[1][2] एह संधि पर कराची में 19 सितंबर 1960 के भारत के प्रधान भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आ पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान दस्खत कइल लोग।
एह समझौता के हिसाब से तीन ठे "पूरबी" नदी सभ — ब्यास, रावी आ सतलज — के कंट्रोल भारत के, आ तीन "पच्छिमी" नदी सभ — सिंधु, चेनाब आ झेलम — के कंट्रोल पाकिस्तान के मिलल।
जब 1960 ई लागू भइल तबसे ले अबतक ले भारत आ पाकिस्तान कौनों पानी संबंधी संघर्ष में ना अझुरइलन सऽ। अगर कौनों असहमती चाहे बिबाद भइल तब उहो ओही लीगल फ्रेमवर्क के तहत सलटा लिहल गइल जेकर बेवस्था एह समझौते में बाटे।[3] एह तरीका से देखल जाय तब ई समझौता दुनिया के सभसे सफल जल समझौता सभ में गिनल जा सके ला, हालाँकि कुछ बिस्लेष्ण करे वाला लोग एह बात पर जोर देले बा कि एकरे परबिधान में कुछ टेकनीकल चीज अपडेट करे के जरूरति बा आ एकरे स्कोप के बिस्तार कइल चाहत बा जवना से कि जलवायु बदलाव के सामिल कइल जा सके।[4] एह संधि के परबिधान के अनुसार, भारत द्वारा सिंधु नदी सिस्टम क्र कुल पानी के (घरेलू इस्तेमाल, उद्योगिक आ अउरी अइसन इस्तेमाल जेह में पानी खरच न होखे अइसन इस्तेमाल के पच्छिमी नदी सभ में सीमित छोड़ के) लगभग 20% इस्तेमाल क सके ला आ बाक़ी पानी पाकिस्तान खाती हवे।[5][6][7]
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