अपना सभसे ब्यापक रूप में, हिंदी साहित्य में, खड़ी बोली के मानकीकरण से बनल वर्तमान हिंदी भाषा, आ उत्तरी भारत के मैदानी इलाका के बिसाल हिस्सा में बोलल जाए वाली कई बोली सभ[1] में लिखल गइल साहित्य के सामिल कइल जाला। कई बिद्वान लोग सातवीं सदी ईसवी के दौर में अपभ्रंश में रचल गइल साहित्य के भी हिंदी साहित्य में सामिल करे ला, आ एकरा के पुरानी हिंदी कहे ला,[2] हालाँकि एह बारे में कौनों एकमत नइखे।[3]
हिंदी साहित्य के काल बिभाजन चार हिस्सा में कइल जाला[नोट 1]: (1) वीरगाथा काल, (2) भक्ति काल, (3) रीतिकाल आ (4) आधुनिक काल अउरी उत्तर आधुनिक काल।
कम से कम आधुनिक काल से पहिले के काल सभ में उत्तरी भारत के बिचला हिस्सा में बोलल जाए वाली बोली सभ में रचल गइल सगरी साहित्य के हिंदी साहित्य में रक्खल जाला। एह बोली सभ में ब्रज, अवधी, बुंदेली, कन्नौजी, खड़ी बोली, मारवाड़ी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका बज्जिका आ छत्तीसगढ़ी सामिल बाड़ी स। हलाँकि, बीसवीं सदी के बाद के हिंदी साहित्य में खाली हिंदीभाषा के रचना सभ के सामिल कइल जाला।
{{cite book}}
: Invalid |ref=harv
(help){{cite book}}
: Invalid |ref=harv
(help)</ref>{{cite book}}
: Invalid |ref=harv
(help){{cite book}}
: Invalid |ref=harv
(help){{cite book}}
: Invalid |ref=harv
(help)ई साहित्य-संबंधी लेख एगो आधार बाटे। जानकारी जोड़ के एकरा के बढ़ावे में विकिपीडिया के मदद करीं। |