अंजलि मुद्रा (संस्कृत: अञ्जलि मुद्रा), मुख्य रूप से भारतीय धर्मों और कलाओं से जुड़ी एक हस्त मुद्रा है, जिसका साक्षात पूरे एशिया और उसके बाहर होता है। यह भरतनाट्यम्, योगाभ्यास जैसी भारतीय शास्त्रीय नृत्य मुद्राओं और अभिवादन नमस्ते का भाग है।[1] प्रदर्शन कलाओं में, अंजलि मुद्रा दर्शकों के लिए गैर-मौखिक, दृश्य संचार का एक रूप है। यह भारतीय शास्त्रीय कलाओं की 24 संयुक्त मुद्राओं में से एक है। अंजलि मुद्रा के कई रूप हैं जैसे कि ब्रह्मंजलि।
इस मुद्रा को कई योगासनों में अन्तर्गत किया गया है। आधुनिक योग मुद्रा प्रणामासन में अंजलि मुद्रा में हाथों के साथ सीधे खड़े होना शामिल है।
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