अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ
जन्म 22 अक्टूबर 1900
शाहजहाँपुर, ब्रितानी भारत
मौत 19 दिसम्बर 1927(1927-12-19) (उम्र 27 वर्ष)
फ़ैज़ाबाद, यूनाइटेड प्रांत
उपनाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ
प्रसिद्धि का कारण काकोरी ट्रैन घटना के प्रमुख प्रदर्शक

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ (22 अक्टूबर 1900 – 19 दिसम्बर 1927) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के स्वतंत्रता सेनानी थे।[1][2] ये वीर शहीदों में से एक वीर नाम है इनकी शहादत हम कभी नही भूल सकते।।।

पूर्व जीवन

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ख़ान का जन्म ब्रितानी भारत के शाहजहाँपुर में शफ़िक़ुल्लाह खान और मज़रुनिस्सा के घर हुआ। वो एक मुस्लिम पठान परिवार[3][4] के खैबर जनजाति में हुआ था।[5][6] वो छः भाई बहनों में सबसे छोटे थे।[7]

वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने भारत में ब्रितानी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। लेकिन वर्ष 1922 में चौरी चौरा कांड के बाद महात्मा गांधी ने आन्दोलन वापस ले लिया।[8]

इस स्थिति में खान सहित विभिन्न युवा लोग खिन्न हुए। इसके बाद खान ने समान विचारों वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलकर नया संगठन बनाने का निर्णय लिया और वर्ष 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया।[9]

काकोरी रेल एक्शन

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अपने आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए, हथियार खरिदने और अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक गोलाबारूद इकट्ठा करने के लिए, हिन्दुस्तानी सोशिलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सभी क्रान्तिकारियों ने शाहजहाँपुर में 8 अगस्त 1925 को एक बैठक की। एक लम्बी विवेचना के पश्चात् रेलगाडी में जा रहे सरकारी खजाने को लूटने का कार्यक्रम बना। 9 अगस्त 1925 को खान सहित उनके क्रान्तिकारी साथियों राम प्रसाद 'बिस्मिल', राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह, शचीन्द्रनाथ बख्शी, चन्द्रशेखर आज़ाद, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, बनवारी लाल, मुरारी शर्मा, मुकुन्‍दी लाल और मन्मथनाथ गुप्त ने मिलकर लखनऊ के निकट काकोरी में रेलगाड़ी में जा रहा ब्रितानी सरकार का खजाना लूट लिया।[7][10][11]

रेलगाडी के लूटे जाने के एक माह बाद भी किसी भी लुटेरे की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी। यद्यपि ब्रिटेन सरकार ने एक विस्तृत जाँच का जाल आरम्भ कर दिया था।[7] 26 अक्टूबर 1925 की एक सुबह, बिस्मिल को पुलिस ने पकड़ लिया और खान अकेले थे जिनका पुलिस कोई सुराख नहीं लगा सकी। वो छुपते हुए बिहार से बनारस चले गये, जहाँ उन्होंने दस माह तक एक अभियांत्रिकी कंपनी में काम किया। उन्होंने अभियान्त्रिकी के आगे के अध्ययन के लिए विदेश में जाना चाहते थे जिससे स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके और वो देश छोड़ने के लिए दिल्ली चले गये। उन्होंने अपने एक पठान दोस्त की सहायता ली जो पहले उनका सहपाठी रह चुका था। दोस्त ने उन्हें धोखा देते हुए उनका ठिकाना पुलिस को बता दिया[8][7] और 7 दिसंबर 1926 की सुबह पुलिस उनके घर आयी तथा उन्हें गिरफ्तार किया।

खान को फैज़ाबाद कारावस में रखा गया और उनके विरुद्ध एक मामला आरम्भ किया गया। उनके भाई रियासतुल्लाह खान उनके कानूनी अधिवक्ता थे। कारावास के दौरान अशफ़क़ुल्लाह खान ने क़ुरान का पाठ किया और नियमित तौर पर नमाज पढ़ना आरम्भ कर दिया तथा इस्लामी माह रमज़ान में कठोरता से रोजे रखना आरम्भ कर दिया। काकोरी डकैती का मामला बिस्मिल, खान, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाकर पूरा किया गया।।[7][12][13]

निधन और विरासत

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खान को 19 दिसम्बर 1927 को फ़ैज़ाबाद कारावास में फ़ांसी की सजा दी गयी।[8] उनके क्रान्तिकारी व्यक्तित्व, प्रेम, स्पष्ट सोच, अडिग साहस, दृढ़ निश्चय और निष्ठा के कारण लोगों के लिए वो शहीद माने गये।[7][14]


यह क्रांतिकारी व्यक्ति मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम, अपनी स्पष्ट सोच, अडिग साहस, दृढ़ता और निष्ठा के कारण अपने लोगों के बीच शहीद और एक किंवदंती बन गया।

लोकप्रिय मीडिया चित्रण

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खान और उसके साथियों के कार्य को हिन्दी फ़िल्म रंग दे बसंती (2006) में फ़िल्माया गया है जिसमें खान का अभिनय कुणाल कपूर ने किया। स्टार भारत की टेलीविजन शृंखला चन्द्रशेखर में चेतन्य अदीब ने खान का अभिनय किया है।

वर्ष 2014 में डीडी उर्दू पर भारतीय टेलीविजन शृंखला मुजाहिद-ए-आज़ादी - अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ प्रसारित की गयी जिसमें गौरव नंदा ने अभिनय किया।[15]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. S. Waris 2003, p. 8-14.
  2. राव, एन॰पी॰ शंकरनारायण. Ashfaqulla Khan (in अंग्रेज़ी). लिटेंट.
  3. "Ashfaqullah Khan – निर्भय क्रांतिकारी अशफ़ाक उल्ला खान". Jagran blog. Retrieved 2021-03-07.
  4. "अंग्रेजों की नाक के नीचे से लूटा था खजाना, 27 की उम्र में शहीद हुए थे अशफाक उल्ला खां". आज तक. Retrieved 2021-03-07.
  5. जोसेफ, रवीना (2015-09-03). "The martyr monologue". द हिन्दू (in Indian English). ISSN 0971-751X. Retrieved 2021-03-07.
  6. वारिस, प्रो॰ फ़ारुख एस॰. UNSUNG HEROES Volume-II. इंडस सोर्सबुक्स. p. 8. ISBN 978-81-88569-33-5.
  7. "Ashfaqulla Khan: The Immortal Revolutionary". भारत सरकार की वेबसाइट. Archived from the original on 2002-11-05. Retrieved 7 मार्च 2021.
  8. <Aug 2, Aparna Singh / TNN /; 2004; Ist, 02:42. "Daredevilry of sons of the soil | Lucknow News - Times of India". द टाइम्स ऑफ़ इंडिया (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2021-03-07. {{cite web}}: |last2= has numeric name (help)CS1 maint: numeric names: authors list (link)
  9. तनेजा, नलिनी. "A radical legacy". द हिन्दू (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2021-03-07.
  10. "Explained: Who was Ashfaqullah Khan, and why did the British hang him?". द इंडियन एक्सप्रेस (in अंग्रेज़ी). 2020-01-10. Retrieved 2021-03-07.
  11. December 19, India Today Web Desk; December 19, 2017UPDATED:; Ist, 2017 17:14. "Kakori Conspiracy: Why were Ram Prasad Bismil, Ashfaqulla Khan and Roshan Singh hanged?". इंडिया टुडे (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2021-03-07. {{cite web}}: |first3= has numeric name (help)CS1 maint: extra punctuation (link) CS1 maint: numeric names: authors list (link)
  12. एस॰ रवि (22 मार्च 2018). "Wielding the pen and pistol". द हिन्दू. Retrieved 7 मार्च 2021.
  13. "Kakori Martyrs Were Symbols of Communal Harmony in India's Freedom Struggle". द वायर.
  14. Service, Tribune News. "Tributes paid to martyr Ashfaqulla Khan". Tribuneindia News Service (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2021-03-07.
  15. "DD Urdu Program Schedule" (PDF). doordarshan.gov.in. 27 जुलाई 2019.[मृत कड़ियाँ]

ग्रंथसूची

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