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आण्डाल, (तमिल : ஆண்டாள்) दक्षिण भारत की सन्त महिला थीं। वे बारह आलवार सन्तों में से एक हैं। उन्हें दक्षिण की मीरा कहा जाता है।
अंदाल का जन्म विक्रम सं. 770 में हुआ था। अपने समय की यह प्रसिद्ध आलवार संत थीं। इनकी भक्ति की तुलना राजस्थान की प्रख्यात कृष्णभक्त कवयित्री मीरा से की जाती है। प्रसिद्धि है कि वयस्क होने पर भगवान श्रीरंगनाथ के लिए जो माला यह गूँथतीं, भगवान् को पहनाने के पूर्व उसे स्वयं पहन लेतीं और दर्पण के सामने जाकर भगवान से पूछतीं, प्रभु, मेरे इस शृंगार को ग्रहण कर लोगे? तत्पश्चात् उक्त उच्छिष्ट माला भगवान् को पहनाया करतीं। विश्वास है कि इन्होंने अपना विवाह श्रीरंगनाथ के साथ रचाया और उसे बड़ी धूमधाम से संपन्न किया।[1] विवाह संस्कार के उपरांत यह मतावली होकर श्रीरंगनाथ जी की शय्या पर चढ़ गईं और इनके ऐसा करते ही मंदिर में सर्वत्र एक आलोक व्याप्त हो गया। इतना ही नहीं, तत्काल इनके शरीर से भी विद्युत के समान एक ज्योतिकिरण फूटी और अनेक दर्शकों के देखते देखते यह भगवान के विग्रह में विलीन हो गई। इस घटना से संबद्ध विवाहोत्सव अब भी प्रति वर्ष दक्षिण के मंदिरों में मनाया जाता है। तथा इनकी रचनाओं में माधुर्य भाव की भक्ति होती है।
इन्होंने दो ग्रन्थों की रचना की है-
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