ऍचआइवी-सम्बंधित जानकारी पर एक शृंखला का भाग |
एचआइवी-सम्बंधित जानकारी |
---|
एचआईवी (HIV) जांच या परीक्षण सीरम, थूक या पेशाब में मानवी इम्यून डेफिशियेंसी वाइरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिये किया जाता हैं। ऐसे परीक्षण एचआईवी (HIV) एंटीबॉडियों, एंटीजनों या आरएनए (RNA) का पता लगा सकते हैं।
संक्रमण से लेकर किसी भी परिवर्तन की जानकारी के लिये की गई परीक्षा तक की अवधि को विंडो अवधि (window period) कहते हैं। उपप्रकार बी के लिये एचआईवी (HIV)-1 एंटीबॉडी परीक्षणों की औसत विंडो अवधि 45 दिन होती है। एंटीजन जांच विंडो अवधि को 30 दिन और एनएटी (NAT) (न्यूक्लिक एसिड जांच) 20 दिनों तक कम कर सकती है परिणाम सही आने की उमीद 45 दिन में 65% 90 दिन में 97% 180 दिन में 99% 240 दिन में 99.99%
सूचना- अगर आपको पता चल चुका है कि आप hiv वायरस के संपर्क में आये है तो 48 घंटो के अंदर अंदर अपने डॉक्टर को बताए !ताकि वो कुछ दवाइयों के प्रयोग से आपको इस वायरस से बचा सके
चिकित्सकीय जांचों को अकसर निम्न नामों से वर्णित किया जाता है:
सभी निदान के लिये की जाने वाली परीक्षाओं की कुछ सीमाएं होती हैं और कभी-कभी उनके प्रयोग से त्रुटिपूर्ण या शंकापूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं।
अविशिष्ट प्रतिक्रियाएं, अतिगामाग्लोब्युलिनरक्तता या एंटीजनी रूप से एचआईवी (HIV) के समान अन्य संक्रामक कारकों के प्रति उत्पन्न एंटीबॉडियों को मौजूद रहने पर मिथ्या सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। आटोइम्यून रोग, जैसे सिस्टेमिक लूपस एरिथिमेटस के कारण भी विरल रूप से मिथ्या सकारात्मक नतीजे आ सकते हैं। अधिकांश मिथ्या नकारात्मक परिणाम विंडो अवधि के कारण होते है; अन्य कारक जैसे संक्रमण के पश्चात की रोकथाम भी कभी-कभी मिथ्या नकारात्मक परिणाम का कारण हो सकती है।[2]
दाता के रक्त और ऊतक की जांच के लिये चुनी गई परीक्षाएं इतनी भरोसेमंद होनी चाहिये कि यदि एचआईवी (HIV) मौजूद हुआ तो उसका पता लग जाए (अर्थात्, उच्च संवेदनशीलता आवश्यक है). पश्चिमी देशों में ब्लड बैंकों द्वारा एंटीबॉडी, एंटीजन और न्यूक्लिक एसिड परीक्षाओं को संयुक्त रूप से प्रयोग में लाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानानुसार 2000 के अनुसार [update] विश्व भर में अपर्याप्त रक्त जांच के परिणामस्वरूप दस लाख नए एचआईवी (HIV) संक्रमण हुए हैं।
यूएसए में 1985 से सभी रक्त दानों की एचआईवी (HIV)-1 और एचआईवी (HIV)-2 के लिये एक एलिसा (ELISA) परीक्षा और एक न्यूक्लिक एसिड परीक्षा की जाती है। ये निदानकारक परीक्षाएं दाता के सावधानीपूर्वक चयन के साथ की जाती हैं। 2001 के अनुसार [update], यूएस में खून चढ़ाने से हुए एचआईवी (HIV) का जोखम प्रत्येक रक्त चढ़ाने की क्रिया के लिये 25 लाख में से एक था।[3]
किसी भी व्यक्ति में एचआईवी (HIV) संक्रमण का निदान करने के लिये प्रयुक्त परीक्षा का उच्च दर्जे की संवेदनशीलता और विशिष्टता वाला होना आवश्यक है। युनाइटेड स्टेट्स में इसके लिये एचआईवी (HIV) एटीबाडियों के लिये दो परीक्षाओं को संयुक्त करने वाले एक अल्गोरिद्म का प्रयोग किया जाता है। यदि एलिसा (ELISA) विधि से की गई प्रारंभिक परीक्षा में एंटीबॉडियों का पता लगता है, तो वेस्टर्न ब्लॉट विधि से की गई एक दूसरी परीक्षा से एटीबाडियों से जुड़ी परीक्षा की किट में एंटीजनों का आकार निश्चित किया जाता है। इन दोनों विधियों का योग अत्यंत सटीक होता है (नीचे देखें).
एचआईवी (HIV) परीक्षण पर यूएनएड्स/डबल्यूएचओ नीति कथन में कहा गया है कि उन स्थितियों का, जिनमें लोग एचआईवी (HIV) परीक्षण करवाते हैं, मानव अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में सूत्रीकरण किया जाना चाहिये जिसमें नैतिकता के सिद्धांतों का सम्मान किया गया हो। [4] इन सिद्धांतों के अनुसार, व्यक्तियों में एचआईवी (HIV) परीक्षण निम्न प्रकार से होना चाहिये:
स्वास्थ्य सेवा अधिकारियों का नैतिक उत्तरदायित्व, जिसके अनुसार उन्हें एचआईवी (HIV) से संक्रमित व्यक्तियों के लैंगिक साथियों को यह बतलाना होता है कि उन्हें वाइरस से संक्रमित होने का जोखिम है जोकि काफी विवाद का विषय है।[5] कुछ कानूनी न्यायक्षेत्रों में ऐसी सहमति दी गई है जबकि अन्य कुछ में यह वर्जित है। अनेक सरकारी परीक्षण स्थलों पर आजकल परीक्षण के गोपनीय तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे संक्रमित व्यक्तियों की निगरानी बेनामी परीक्षण, जिसमें सकारात्मक परीक्षण के परिणामों को एक संख्या दी जाती है, की अपेक्षा अधिक सरलता से हो सकती है। गोपनीयता के मुद्दे विवाद का विषय हैं।
ऐसा परीक्षण जिसमें परीक्षण के लिये दिये गए नमूने को केवल एक संख्या दी जाती है। सकारात्मक परिणाम की स्थिति में नमूने पर एचआईवी (HIV) से संक्रमित व्यक्ति का नाम नहीं लिखा जाता. जिन स्थलों पर यह सेवा उपलब्ध है वे परीक्षण की इस सुविधा का विज्ञापन कर सकती है।
युनाइटेड स्टेट्स में सभी स्वास्थ्य सेवा स्थलों पर सभी रोगियों की एचआईवी (HIV) के लिये जांच करना सेवा का एक उभरता हुआ मानक है।[6] 2006 में रोग नियंत्रण के केंद्रों ने घोषणा की 13-64 वय के सभी अमेरिकियों की स्वास्थ्य सेवा से सामना होने पर स्वैच्छिक, नैत्यिक परीक्षण के लिये एक पहल की घोषणा की। संक्रमित व्यक्तियों का अनुमानित 25% उनकी स्थिति से अनभिज्ञ था; सफल होने पर इस प्रयास से नये संक्रमणों में 30% की कमी होने की उम्मीद थी।[7] सीडीसी व्यापक नैत्यिक परीक्षण की रूकावटों, जैसे लिखित स्वीकृति या परीक्षण के पूर्व विस्तृत सलाह की आवश्यकता को हटाने की सिफारिश करता है।[7]
एचआईवी (HIV) एंटीबॉडी परीक्षणों को खास तौर पर वयस्कों के नैत्यिक नैदानिक परीक्षण के लिये विकसित किया गया है; ये परीक्षण सस्ते हैं और अत्यंत सटीक हैं।
एंटीबॉडी परीक्षण विंडो अवधि में, जो एचआईवी (HIV) संक्रमण और एचआईवी (HIV) सीरोपरिवर्तन के प्रति मापन योग्य एटीबाडियों के उत्पादन के बीच का तीन सप्ताह से छह महीनों का अंतराल सकते हैं। अधिकांश लोगों में पता लगाने योग्य एंटीबॉडियों की उत्पत्ति संक्रमण के लगभग 30 दिनों के बाद हो जाती हैं, हालांकि कुछ लोग देर से सीरोपरिवर्तित होते हैं। अधिकतर (97%) लोगों में पता लगाने योग्य एंटीबॉडी एचआईवी (HIV) संक्रमण के तीन महीनों बाद उत्पन्न हो जाती हैं। आधुनिक एंटीबॉडी परीक्षण के साथ छह महीनों की विंडो अवधि अत्यंत ही विरल है।[8] विंडो अवधि में संक्रमित व्यक्ति अन्य लोगों में एचआईवी (HIV) फैला सकता है, हालांकि एंटीबॉडी परीक्षण से उनके एचआईवी (HIV) संक्रमण का पता नहीं चलता. विंडो अवधि में रेट्रोवाइरसविरोधी उपचार से एंटीबॉडियों के विकास में देर हो सकती है और विंडो अवधि 12 महीनों से अधिक तक बढ़ सकती है।[2] ऐसा उन रोगियों में नहीं होता है जिनका संक्रमित होने के बाद रोकथामक उपचार किया गया हो। ऐसे रोगियों को 28 दिनों के सामान्य उपचार के बाद विभिन्न अंतरालों पर एलिसा परीक्षण करवाने चाहिये, जो कभी-कभी 6 महीनों की सामान्य विंडो अवधि से भी अधिक हो सकते हैं। एक्स- लिंक्ड अगामाग्लोबुलिनरक्तता से ग्रस्त रोगियों में भी एंटीबॉडी परीक्षण मिथ्या नकारात्मक नतीजे दे सकते हैं; ऐसे रोगियों में अन्य नैदानिक परीक्षणों का प्रयोग करना चाहिये।
स्वास्थ्य-सेवा कार्यकर्ताओं में देर से हुए एचआईवी (HIV) सीरोपरिवर्तन की तीन घटनाओं का उल्लेख किया गया है,[9] इन घटनाओं में स्वास्थ्य-सेवा कार्यकर्ताओं में संक्रमण के 6 महीनों से अधिक समय के बाद[10] एचआईवी (HIV) एंटीबॉडी परीक्षण नकारात्मक पाए गए लेकिन 12 महीनों के बाद वे सीरो-सकारात्मक हो गए।[11] एक घटना में डीएनए (DNA) श्रंखलाकरण से संक्रमण के स्रोत का भी पता चल गया। देर से हुए दो सीरोपरिवर्तनों के साथ-साथ हेपेटाइटिस सी वाइरस (एचसीवी (HCV)) का संक्रमण भी देखा गया। एक मामले में सह-संक्रमण होने पर एचसीवी (HCV) संक्रमण तेजी से जानलेवा सिद्ध हुआ, लेकिन यह ज्ञात नहीं है कि एचसीवी (HCV) एचआईवी (HIV) संक्रमण के जोखिम या उसके क्रम पर कोई सीधा प्रभाव डालता है या यह अन्य संक्रमण संबंधित कारकों का संकेतक है।
एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसार्बेंट एसे (एलिसा) या एंजाइम इम्यूनोएसे (ईआईए), एचआईवी (HIV) के लिये सामान्य रूप से प्रयोग किया जाने वाला पहला जांच परीक्षण था, य़ह अत्यंत संवेदनशील परीक्षण है।
एलिसा परीक्षण में व्यक्ति के सीरम को 400 गुना तनु किया जाता है और एक ऐसी प्लेट पर लगाया जाता है, जिस पर एचआईवी (HIV) एंटीजन लगे होते हैं। यदि एचआईवी (HIV) के एंटीबॉडी सीरम में मौजूद हुए तो वे इन एचआईवी (HIV) एंटीजनों से बंधित हो सकते हैं। इस प्लेट को फिर सीरम के अन्य सभी अंशों को हटाने के लिये धो लिया जाता है। एक विशेष रूप से बनाई गई द्वितीयक एंटीबॉडी- एक एंटीबॉडी जो मानवीय एंटीबाडियों सें बंधित होती है - को तब प्लेट पर लगाया जाता है और फिर उसे दोबारा धो लिया जाता है। यह द्वितीयक एंटीबॉडी पहले से एक एंजाइम से रसायनिक रूप से बंधित होती है। इस तरह प्लेट में उससे बंधित द्वितीयक एंटीबॉडी की मात्रा के अनुपात में एंजाइम होता है। एंजाइम के लिये एक सबस्ट्रेट लगाया जाता है और एंजाइम के उत्प्रेरण से रंग या प्रतिदीप्ति में परिवर्तन हो जाता है। एलिसा के नतीजों को एक संख्या के रूप में प्रस्तुत किया जाता है; इस परीक्षण का सबसे विवादास्पद पहलू है, सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम के बीच अंतर के बिंदु का निर्धारण करना।
एलिसा परीक्षण की तरह ही, वेस्टर्न ब्लॉट भी एक एंटीबॉडी पहचानने का परीक्षण है। लेकिन एलिसा विधि की तुलना में वाइरस के प्रोटीनों को पहले अलग करके गतिहीन कर दिया जाता है। परवर्ती कदमों में सीरम की एटीबाडियों का विशिष्ट एचआईवी (HIV) प्रोटीनों से बंधन होता देखा जाता है।
विशिष्ट रूप से एचआईवी (HIV) से संक्रमित कोशिकाएं खोल दी जाती हैं और उनके भीतर के प्रोटीनों को जेल की एक पट्टी पर रख दिया जाता है, जिस पर विद्युत धारा का प्रवाह किया जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रोटीन उनके आकारों के अनुसार भिन्न गतियों से चलते रहते हैं, जबकि उनका विद्युत चार्ज सोडियम लारिल सल्फेट नामक एक सरफैक्टैंट द्वारा समान रखा जाता है। कुछ व्यावसायिक वेस्टर्न ब्लॉट परीक्षण किटों में सेलूलोज एसीटेट की पट्टी पर पहले से एचआईवी (HIV) प्रोटीन होते हैं। प्रोटीनों के एक बार अच्छी तरह से पृथक हो जाने के बाद उन्हें एक झिल्ली पर स्थानांतरित कर दिया जाता है और परीक्षण एलिसा की तरह किया जाता है – व्यक्ति का तनुकृत सीरम झिल्ली पर लगाया जाता है और सीरम के एंटीबॉडी कुछ एचआईवी (HIV) प्रोटीनों से बंध सकते हैं। जो एंटीबॉडी बंधित नहीं होते उन्हें धोकर निकाल दिया जाता है और एंजाइम से जुड़ी एंटीबॉडियां, जिनमें व्यक्ति की एंटीबाडियों से जुड़ने की क्षमता होती है, यह निर्धारित करती हैं कि व्यक्ति के सीरम में किन एचाआईवी (HIV) प्रोटीनों के प्रति एंटीबॉडियां हैं।
वेस्टर्न ब्लॉट परीक्षण की व्याख्या के लिये कोई सार्वभौमिक मापदंड नहीं हैं – इसके लिये आवश्यक वाइरस बैंडों की संख्या भिन्न हो सकती है। यदि वाइरस बैंडों का पता न चले, तो परीक्षण नकारात्मक होता है। यदि जीएजी, पीओएल और ईएनवी जीन-उत्पादन समूहों के लिये कम से कम एक-एक वाइरस बैंड मौजूद हों तो नतीजा सकारात्मक होता है। वेस्टर्न ब्लॉट की व्याख्या के लिये तीन-जीन-उत्पाद वाली पहुंच को जन स्वास्थ्य या चिकित्सकीय कामकाज में शामिल नहीं किया गया है। जिन परीक्षणों में वाइरस बैंडों की संख्या आवश्यकता से कम हो, उन्हें अनिश्चित माना जाता है – अनिश्चित परिणाम वाले व्यक्ति का दोबारा परीक्षण किया जाना चाहिये, क्योंकि बाद के परीक्षण अधिक निर्णायक हो सकते हैं। अनिश्चित वेस्टर्न ब्लॉट वाले लगभग सभी एचआईवी (HIV)-संक्रमित व्यक्तियों में एक महीने के बाद परीक्षण करने पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं – छह महीनों तक लगातार अनिश्चित परिणाम आने पर यह समझा जाता है कि परिणाम एचआईवी (HIV) संक्रमण के कारण नहीं हैं। सामान्यतः स्वस्थ कम जोखिमयुक्त जनसमुदाय में वेस्टर्न ब्लॉट पर अनिश्चित नतीजे 5000 में से एक रोगी में होते हैं।[12] ऐसी जगहों जैसे पश्चिमी अफ्रीका में जहां एचआईवी (HIV)-2 सबसे अधिक पाया जाता है, उच्च जोखिम वाले संक्रमण से ग्रस्त व्यक्तियों में अनिर्णायक वेस्टर्न ब्लॉट एचआईवी (HIV)-2 के संक्रमण को सिद्ध कर सकता है।[13]
द्रुत एंटीबॉडी परीक्षण गुणात्मक इम्यूनोएस्से होते हैं जिनका उद्देश्य एचआईवी (HIV) संक्रमण के निदान में मदद के लिये सुश्रूषा के स्थान पर प्रयोग करना होता है। ये परीक्षण जांच किये जा रहे व्यक्ति की चिकित्सकीय स्थिति, इतिहास और जोखिम कारकों के साथ काम में लिये जाने चाहिये। द्रुत एंटीबॉडी परीक्षाओं की विशिष्टता कम जोखिम वाले जनसमुदायों में परखी नहीं गई है। इन परीक्षणों को द्रुत एचआईवी (HIV) परीक्षण नतीजों के लिये विकसित उचित बहु-परीक्षणीय कलनविधि में प्रयुक्त किया जाना चाहिये।
यदि एचआईवी (HIV) के प्रति कोई एंटीबॉडी नहीं पाई गई तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह व्यक्ति एचआईवी (HIV) से संक्रमित नहीं है। एचआईवी (HIV) से संक्रमित होने के कई महीनों बाद एंटीबॉडी अनुक्रिया पहचाने जा सकने वाले स्तरो तक पहुंचती है, जिससे उस अवधि में एचआईवी (HIV) के एंटीबाडियों के लिये किये गए द्रुत परीक्षणों से वास्तविक संक्रमण स्थिति का संकेत नहीं मिलता। अधिकांश लोगों में एचआईवी (HIV) एंटीबाडियां दो से छह सप्ताहों में पहचाने जा सकने वाले स्तर पर पहुंच जाती हैं।
हालांकि इन परीक्षणों में उच्च विशिष्टता होती है, फिर भी मिथ्या सकारात्मक परिणाम देखे जाते हैं। किसी भी सकारात्मक परिणाम की वेस्टर्न ब्लॉट का प्रयोग करने वाली प्रयोगशाला में पुष्टि की जानी चाहिये।
ओराक्विक (OraQuick) एक एंटीबॉडी परीक्षण है जो 20 मिनटों में परिणाम उपलब्ध कराता है। रक्त, प्लाज्मा या मौखिक द्रव को एक शीशी में एक विकासकारी घोल में मिश्रित किया जाता है और नतीजों को एक स्टिक जैसे परीक्षक उपकरण से पढ़ा जाता है। यह सामान्यतः एचआईवी (HIV) 1 और एचआईवी (HIV) 2 की पहचान करता है।
ओराश्योर (Orasure) एक एचआईवी (HIV) परीक्षण है जो गालों और मसूढ़ों के ऊतकों से प्राप्त श्लेष्मीय द्रव का प्रयोग करता है। यह एक एंटीबॉडी परीक्षा है जो पहले एलिसा और फिर वेस्टर्न ब्लॉट का प्रयोग करता है।
यूनी-गोल्ड (Uni-Gold) एक द्रुत एचआईवी (HIV) एंटीबॉडी परीक्षण है जो 10-12 मिनटों में परिणाम उपलब्ध करता है। विकासकारी घोल वाले उपकरण पर रक्त की एक बूंद रखी जाती है। एचआईवी (HIV) 1 के लिये यूनी-गोल्ड एकमात्र एफडीए द्वारा स्वीकृत परीक्षण है।
क्लियरव्यू कम्प्लीट एचआईवी (HIV) 1/2 और क्लियरव्यू एचआईवी (HIV) 1/2 स्टैट-पैक रक्त, सीरम या प्लाज्मा नमूनों में एचआईवी (HIV) 1 और 2 एंटीबाडियों को पहचानने के लिये द्रुत परीक्षण हैं। इसमें परिणाम 15 मिनटों में प्राप्त हो जाते हैं।
एक मूत्र-परीक्षण भी उपलब्ध है जिसमें एलिसा और वेस्टर्न ब्लॉट दोनों तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
होम एक्सेस एक्सप्रेस एचआईवी (HIV)-1 परीक्षण एकमात्र एफडीए स्वीकृत घरेलू परीक्षण है – रोगी अपने रक्त की एक बूंद लेकर प्रयोगशाला को भेज देता है और परिणाम व सलाह फोन पर उपलब्ध की जाती है।
आईडायग्नास्टिक्स द्रुत एचआईवी (HIV) परीक्षण, उनकी वेबसाइट के अनुसार, एक एफडीए द्वारा गैरस्वीकृत घरेलू परीक्षण है। कम्पनी इनटेक प्राडक्ट्स, इंक. द्वारा उत्पादित एक रक्त और मूत्र परीक्षण का विक्रय करती है। मानव गर्भावस्था परीक्षण की तरह ही रोगी अपने रक्त/मूत्र की एक बूंद लेकर उसे एक कैसेट पर डालता है। ये परिणाम 15 मिनटों में साक्षात पढ़े जाते हैं।[14][अविश्वनीय स्रोत?] इस परीक्षण की सटीकता की पुष्टि एफडीए द्वारा नहीं की गई है और इसे य़ुनाइटेड स्टेट्स में विक्रय की अनुमति नहीं है।[15]
इन्स्टी एचआईवी (HIV)-1/एचआईवी (HIV)-2 द्रुत एंटीबॉडी परीक्षण शरीर के बाहर किया जाने वाला एक द्रुत गुणात्मक परीक्षण है, जो मानव के संपूर्ण रक्त, सीरम या प्लाज्मा में मानवी इम्यूनोडेफिशियेंसी वाइरस प्रकार 1 के प्रति एंटीबाडियों का पता लगाता है। यह परीक्षण चिकित्सा सुविधाओं, क्लिनिकल प्रयोगशालाओं, आपात्कालीन सुश्रूषा स्थितियों और चिकित्सक के कार्यालयों में प्रशिक्षित अधिकारियों द्वारा जांच एस्से के लिचे विकसित किया गया है, जो 60 सेकंडों से भी कम समय में नतीजे उपलब्ध कर सकता है। यह एस्से इंस्टी झिल्ली इकाईयों, नमुना तनुकारक, वर्ण विकासक और शुद्धीकरण घोल से युक्त एक किट में पैक किया हुआ होता है और सुश्रूषा के स्थान पर प्रयोग की पैकेजिंग या प्रयोगशाला मेंप्रयोग के उपयुक्त पैकेजिंग में उपलब्ध है।[16]
रिवील एचआईवी (HIV) शरीर के बाहर किया जाने वाला एक द्रुत गुणात्मक परीक्षण है जो संपूर्ण रक्त, सीरम या प्लाज्मा में एचआईवी (HIV) के प्रति एंटीबाडियों का पता लगाता है। रिवील आजकल उपलब्ध सबसे तेज द्रुत एचआईवी (HIV) परीक्षणों में से एक है और अन्य कुछ द्रुत परीक्षणों की अपेक्षा प्रारंभिक संक्रमण के संकेतों की बेहतर पहचान करता है।[17] रिवील एचआईवी (HIV) को कनाडा, युनाइटेड स्टेट्स, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका में स्वीकृति प्राप्त है।[18]
अकेले एलिसा परीक्षण को एचआईवी (HIV) के निदान के लिये प्रयुक्त नहीं किया जा सकता, भले ही परीक्षण से एचआईवी (HIV)-1 के प्रति एंटीबॉडी की उपस्थिति की उच्च संभावना का अंदाजा क्यौं न लगता हो। युनाइटेड स्टेट्स में ऐसे एलिसा परीक्षणों को वेस्टर्न ब्लॉट से पुष्टि के बिना पाजिटिव (सकारात्मक) रिपोर्ट नहीं माना जाता है।
एलिसा एंटीबॉडी परीक्षणों को इस बात का उच्च स्तर का विश्वास दिलाने के लिये विकसित किया गया था कि दान किया गया रक्त एचआईवी (HIV) से संक्रमित नहीं (NOT) है। इसलिये यह निर्णय करना संभव नहीं है कि सकारात्मक एलिसा परीक्षण के कारण रक्ताधान के लिये अस्वीकृत रक्त वास्तव में एचआईवी (HIV) से संक्रमित है। कभी-कभी दाता को कई महीनों बाद पुनः परीक्षित करने पर नकारात्मक एलिसा एंटीबॉडी परीक्षण प्राप्त होता है। यही वजह है कि पाजिटिव एचआईवी (HIV) परीक्षण के परिणाम को रिपोर्ट करने के पहले हमेशा पुष्टिकारक वेस्टर्न ब्लॉट किया जाता है।
एचआईवी (HIV) संक्रमण से असंबंधित कारकों के काऱण होने वाले विरल मिथ्या सकारात्मक परिणाम वेस्टर्न ब्लॉट की अपेक्षा एलिसा परीक्षण के साथ अधिक देखे जाते हैं। मिथ्या पाजिटिव हाल में हुए तीव्र संक्रमणों और एलर्जियों जैसे रोगों से संबंधित हो सकते हैं। 1991 के पतझड़ में हुए अनेक मिथ्या पाजिटिव परीक्षणों के लिये प्रारंभ में उस फ्लू के मौसम में प्रयोग किये गए इंफ्लुएंजा के टीकों को जिम्मेदार ठहराया गया लेकिन बाद में की गई जांच से इस क्रास-प्रतिक्रियात्मकता का संबंध अनेक अपेक्षाकृत अविशिष्ट परीक्षण किटों से जोड़ा गया।[19] एक मिथ्या सकारात्मक परिणाम से स्वास्थ्य के लिये अधिक जोखिमकारक रोग होने का संकेत नहीं मिलता। जब एलिसा परीक्षण को वेस्टर्न ब्लॉट से संयुक्त किया जाता है तो मिथ्या पाजिटिवों की दर अत्यंत कम हो जाती है और नैदानिक सटीकता बहुत बढ़ जाती है (नीचे देखें).
आधुनिक एचआईवी (HIV) परीक्षण अत्यंत सटीक होता है। एचआईवी (HIV) जांच से संबंधित जोखिमों और लाभों के सबूतों का जुलाई 2005 में यूएस प्रिवेंटिव सर्विसेज़ टास्क फोर्स द्वारा अध्ययन किया गया।[20] लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि:
...the use of repeatedly reactive enzyme immunoassay followed by confirmatory Western blot or immunofluorescent assay remains the standard method for diagnosing HIV-1 infection. A large study of HIV testing in 752 U.S. laboratories reported a sensitivity of 99.7% and specificity of 98.5% for enzyme immunoassay, and studies in U.S. blood donors reported specificities of 99.8% and greater than 99.99%. With confirmatory Western blot, the chance of a false-positive identification in a low-prevalence setting is about 1 in 250 000 (95% CI, 1 in 173 000 to 1 in 379 000).
सस्ते एंजाइम इम्यूनोएस्से जांच परीक्षणों के लिये यहां दी गई विशिष्टता दर यह संकेत देती है कि 1000 सकारात्मक एचआईवी (HIV) परीक्षण परिणामों में से लगभग 15 मिथ्या सकारात्मक होंगे। परीक्षण के परिणाम की पुष्टि (अर्थात् परीक्षण को दोहराकर, यदि यह उपलब्ध हो तो) से मिथ्या सकारात्मकता की संभावना अंततः 250,000 परीक्षणों में 1 तक कम हो सकती है। इसी तरह संवेदनशीलता की दर यह संकेत देती है कि 1000 नकारात्मक एचआईवी (HIV) नतीजों में से 3 वास्तव में मिथ्या नकारात्मक परिणाम होंगे। लेकिन युनाइटेड स्टेट्स में अधिकांश परीक्षण केंद्रों पर एचआईवी (HIV) की घटना की दरों को देखते हुए, इन परीक्षणों का नकारात्मक भविष्यवाणी मूल्य अत्यंत उच्च है, यानी कोई नकारात्मक परिणाम 10000 परीक्षणों में से 9997 से अधिक बार (99.97%) सही होगा। इन परीक्षणों के बहुत उच्च भविष्यवाणी मूल्य के कारण ही सीडीसी यह सिफारिश करती है कि नकारात्मक परीक्षण परिणाम को इस बात का निर्णायक सबूत माना जाय कि वह व्यक्ति एचआईवी (HIV) से संक्रमित नहीं है।
वास्तविक संख्याएं परीक्षित जनसमुदाय के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि किसी भी मेडिकल परीक्षण (यह मानते हुए कि कोई भी परीक्षण 100% सटीक नहीं होता) की व्याख्या प्रारंभ में विश्वास के दर्जे या रोग के होने या न होने की संभावना पर निर्भर करती है। सामान्यतः पूर्व संभावना का अनुमान परीक्षण के स्थान पर या जनसमुदाय में रोग की घटना की जानकारी का प्रयोग करके लगाया जाता है। एचआईवी (HIV) परीक्षणों सहित सभी परीक्षणों के सकारात्मक अनुमान मूल्य और नकारात्मक अनुमान मूल्य रोग के होने की पूर्व संभावना और परीक्षण की विधि की सटीकता को ध्यान में रखकर किया जाता है, जिससे विश्वास का एक नया स्तर निश्चित होता है कि किसी व्यक्ति को रोग है या नहीं (इसे पीछे की संभावना भी कहा जाता है). जनसमुदाय में एचआईवी (HIV) संक्रमण की दर के बढ़ने के साथ इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि सकारात्मक परीक्षण सटीक रूप से एचआईवी (HIV) संक्रमण का संकेत देता है। इसी तरह से नकारात्मक अनुमानित मूल्य एचआईवी (HIV) घटना के बढ़ने के साथ घट जाता है। इस तरह, अत्यंत कम जोखिम वाले समुदाय, जैसे मुफ्त रक्तदान करने वालों, की अपेक्षा उच्च जोखिम वाले समुदाय में सकारात्मक परीक्षण के, जैसे अज्ञात सहयोगियों के साथ अकसर असुरक्षित गुदा-संभोग करने वाले लोगों में, एचआईवी (HIV) संक्रमण का सही प्रतिनिधित्व करने की संभावना होती है।
यह याद रखना आवश्यक है कि संयुक्त राज्यों में एचआईवी (HIV) परीक्षण के चालू तरीकों की सटीकता की अनेक अध्ययनों द्वारा पुष्टि की गई है और सामान्य जनता में 0.0004 से 0.0007 की मिथ्या-सकारात्मक दर और 0.003 की मिथ्या-नकारात्मक दर रिपोर्ट की गई हैं।[21][22][23][24][25][26][27][28]
पी24 एंटीजन परीक्षण एचआईवी (HIV) के पी24 प्रोटीन (जिसे सीए भी कहते हैं), जो वाइरस का कैप्सिड प्रोटीन होता है, की उपस्थिति का पता लगाता है। पी24 प्रोटीन के लिये विशिष्ट मोनोक्लोनल एंटीबाडियां रोगी के रक्त में मिश्रित हो जाती हैं। रोगी के रक्त में मौजूद कोई भी पी24 प्रोटीन मोनोक्लोनल एंटीबाडी से चिपक जाता है और पी24 के नमूने में मौजूद रहने पर एंजाइम-संलग्न एंटीबाडी के पी24 की मोनोक्लोनल एंटीबाडियों से चिपकने से रंग में परिवर्तन होता है।
इस परीक्षण को आजकल यूएस [1] और [2] ईयू में रक्तदानों की जांच के लिये प्रयोग में नहीं लाया जाता है, क्योंकि इसका उद्देश्य विंडो अवधि में मिथ्या नकारात्मक परिणामों के जोखिम को कम करना था। न्यूक्लिक एसिड परीक्षण इस कार्य के लिये अधिक उपयोगी है और एनएटी परीक्षण करने पर पी24 एंटीजन परीक्षण आजकल नहीं किया जाता है। पी24 एंटीजन परीक्षण सामान्य जांच के लिये उपयोगी नहीं है क्योंकि इसी विशिष्टता बहुत कम होती है और संक्रमण के बाद शरीर में पी24 प्रोटीन के प्रति एंटीबाडियों के बनने के पहले की थोड़ी सी समयावधि में ही यह परीक्षण काम आता है।
न्यूक्लिक एसिड पर आधारित परीक्षण विशिष्ट एचआईवी (HIV) जीनों जैसे एचआईवी (HIV)-वन गैग, एचआईवी (HIV)-टू गैग, एचआईवी (HIV)-ईएनवी या एचआईवी (HIV)-पीओएल में स्थित एक या अधिक कई लक्ष्य श्रंखलाओं का पता लगाने या बढ़ाने का काम करते हैं।[29][30]. 2001 से संयुक्त राज्यों में दान किये गए रक्त की जांच न्यूक्लिक एसिड पर आधारित परीक्षणों से की जा रही है, जिससे संक्रमण और रोग की जानकारी के बीच की विंडो अवधि करीब 12 दिन हो गई है। चूंकि ये परीक्षण, अपेक्षाकृत महंगे हैं, इसलिये रक्त की जांच पहले 8-24 नमूनों को जमा करके फिर उनका परीक्षण किया जाता है। यदि यह समूह सकारात्मक पाया गया तो प्रत्येक नमूने को अलग-अलग पुनर्परीक्षित किया जाता है। इस परीक्षण का एक भिन्न प्रकार के एचआईवी (HIV)-1 से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिये रोग के विकास के अन्य प्रयोगशाला परीक्षणों और क्लिनिकल प्रस्तुति के साथ प्रयोग के उद्देश्य से विकसित किया गया है।
आरटी-पीसीआर परीक्षण में, वाइरल आरएनए (RNA) को रोगी के प्लाज्मा से निकालकर रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी) डाल कर वाइरल आरएनए (RNA) को सीडीएनए (cDNA) में परिवर्तित किया जाता है। फिर वाइरस के जीनोम के दो अनूठे प्राइमरों का प्रयोग करके पालिमरेज़ श्रंखला प्रतिक्रिया शुरू की जाती है। पीसीआर एम्प्लीफिकेशन के पूर्ण होने पर उससे प्राप्त डीएनए (DNA) उत्पादों का संकरीकरण करके नलिका की भित्ति से संलग्न विशिष्ट आलिगोन्यूक्लियोटाइडों में उन्हें परिवर्तित कर दिया जाता है और एंजाइम से संलग्न एक प्रोब से दर्शाया जाता है। नमूने में मौजूद वाइरस की मात्रा को पर्याप्त सटीकता से मापकर तीन गुना परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है।
क्वांटीप्लेक्स बी-डीएनए (DNA) या शाखायुक्त डीएनए (DNA) परीक्षण में, प्लाज़्मा का अपकेंद्रीकरण करके वाइरस को सांद्र कर लिया जाता है, जिसको फिर खोलकर उसके वाइरल आरएनए (RNA) को मुक्त कर दिया जाता है। इसमें वाइरस के आरएनए (RNA) और नलिका-भित्ति से संलग्न कतिपय आलिगोन्यूक्लियोटाइडों से जुड़ने वाले विशेष आलिगोन्यूक्लियोटाइड डाले जाते हैं। इस तरह वाइरस के आरएनए को भित्ति पर लगा दिया जाता है। फिर इस आरएनए पर कई स्थानों पर जुड़ने वाले नए आलिगोन्यूक्लियोटाइड मिलाए जाते हैं; फिर इन आलिगोन्यूक्लियोटाइडों पर कई स्थानों पर जुड़ने वाले अन्य आलिगोन्यूक्लियोटाइड डाले जाते हैं। ऐसा संकेत को बढ़ाने के लिये किया जाता है। अंततः न्यूक्लियोटाइडों के अंतिम सेट से जुड़ने वाले एंजाइम से संलग्न न्यूक्लियोटाइड मिलाए जाते हैं-एंजाइम की क्रिया एक रंग की प्रतिक्रिया प्रारंभ करती है जिससे मूल नमूने में वाइरस आरएनए (RNA) का परिमाणन संभव होता है। इस परीक्षण द्वारा प्लाज्मा एचआईवी (HIV)-1 आरएनए (RNA) के लगातार मापन द्वारा एंटीरेट्रोवाइरल उपचार के प्रभावों की निगरानी को 25000 कापी प्रति मिली से अधिक वाइरस संख्या वाले रोगियों में वैधीकरण किया गया है।[31]
सीडी4 टी-सेल काउंट कोई एचआईवी (HIV) परीक्षण नहीं है, बल्कि एक विधि है जिससे रक्त में सीडी4 टी-कोशिकाओं की संख्या निर्धारित की जाती है।
सीडी4 गणना एचआईवी (HIV) की उपस्थिति की जांच नहीं करता है। इसका प्रयोग एचआईवी (HIV)-सकारात्मक लोगों में रोग-प्रतिरोधक प्रणाली की कार्यक्षमता की निगरानी के लिये किया जाता है। सीडी4 टी-कोशिकाओं की संख्या में कमी आने को एचआईवी (HIV) संक्रमण के बढ़ने का चिह्न माना जाता है। एचआईवी (HIV)-सकारात्मक लोगों में, कोशिका-गणन 200 कोशिका/माइक्रोलीटर होने पर या कतिपय अवसरवादी संक्रमणों के होने पर एड्स का आधिकारिक रूप से निदान होता है। सीडी4 गणना का एड्स के मापदंड के रूप में प्रयोग 1992 में शुरू हुआ था। 200 की संख्या इसलिये चुनी गई क्योंकि इसका संबंध अवसरवादी संक्रमण के होने की बहुत बड़ी संभावना से था। एड्स से ग्रस्त लोगों में सीडी4 संख्या के कम होने पर यह संकेत मिलता है कि कतिपय प्रकार के अवसरवादी संक्रमणों के प्रति रोकथाम के कदम उठाए जाएं.
कम सीडी4 टी-कोशिका गणनाएं विविध रोगों के साथ देखी जाती हैं, जिनमें कई वाइरस संक्रमण, जीवाणु संक्रमण, परजीवी संक्रमण, रक्तपूतिता, क्षयरोग, काक्सिडियोमाइकोसिस, ज्वलन, चोट, विदेशी प्रोटीनों के अंतर्शिरा इंजेक्शन, कुपोषण, अति-व्यायाम, गर्भावस्था, सामान्य दैनिक परिवर्तन, मानसिक दबाव और सामाजिक पृथक्करण शामिल हैं।[उद्धरण चाहिए]
इस परीक्षण का प्रयोग कभी-कभार उन लोगों की रोगप्रतिरोध प्रणाली की कार्यक्षमता का अनुमान लगाने के लिये भी किया जाता है, जिनकी सीडी4 टी-कोशिकाएं एचआईवी (HIV) संक्रमण को छोड़कर अन्य कारणों से कम हो जाती हैं, जिनमें अनेक रक्त के रोग, कई जीन-जन्य विकार और बहुत सारी रसायन-उपचार दवाएं शामिल हैं।
सामान्य तौर पर टी कोशिकाओं की संख्या जितनी कम होती है, रोगप्रतिरोध प्रणाली की कार्यक्षमता भी उतनी ही कम होगी। सामान्य सीडी4 संख्या 500 से 1500 सीडी4प्लस टी कोशिकाएं/माइक्रोलीटर होती है और यह संख्या स्वस्थ लोगों में हाल में हुए संक्रमण की स्थिति, पोषण, व्यायाम और अन्य कारकों के अनुसार कमोबेश होती रहती है। स्त्रियों में पुरूषों की अपेक्षा कोशिकाओं की संख्याएं कम होती हैं।
डुओ/संयुक्त परीक्षण भी उपलब्ध हैं जो एंटीजन और एंटीबाडी परीक्षणों को संयुक्त करते हैं, जिससे त्वरित संसूचन संभव हो सकता है।[32]
कनाडा की डॉक्टर नीतिका पई की एक ताज़ा खोज से पता चला है कि थूक के र परीक्षण से ऍचआइवी के होने या न होने का पता लगाया जा सकता है, जो पारंपरिक रक्त परीक्षण से तुलनीय है। आशा की जा रही है कि इस से भारत जैसे देश लाभान्वित होंगे जो स्वतःपरीक्षण तकनीक अपना सकेंगे।
बारीकबीनी विश्लेषण से पता चला है कि थूक-परीक्षण की विश्वसनीयता उतनी ही है जितनी कि ओराकुइक ऍचआइवी १/२ (OraQuick HIV 1/2) की है। परीक्षणों से पता चला है कि थूक-परीक्षण की विश्वसनीयता अधिक-जोखिमवाली आबादी में नतीजे ९९ प्रतिशत ठीक थे, जबकि कम-जोखिमवाली आबादी में नतीजे ९७ प्रतिशत ठीक थे[33]
2005 में द्रुत मौखिक एचआईवी (HIV) परीक्षण के मिथ्या सकारात्मक परिणामों की दर में वृद्धि के कारण, न्यूयार्क शहर के स्वास्थ्य और मानसिक स्वच्छता विभाग ने किसी भी प्रतिक्रियात्मक परिणाम के बाद, सकारात्मक परिणाम की वेस्टर्न ब्लाट परीक्षण से पुष्टि के पहले अंगुली से लिये गए संपूर्ण रक्त के परीक्षण का विकल्प प्रस्तुत किया। एनवाईसी डीओएचएमएच एसटी़डी (NYC DOHMH STD) क्लिनिकों में 2007 के अंत और 2008 के प्रारंभ में मिथ्या सकारात्मक परिणामों की और वृद्धि होने पर इन क्लिनिकों ने और मौखिक जांच न करने का निर्णय लिया और इसकी बजाय अंगुली से प्राप्त संपूर्ण रक्त का प्रयोग करके किये जाने वाले परीक्षण को बहाल किया।[34] एनवाईसी डीओएचएमएच (NYC DOHMH) में मिथ्या सकारात्मक परिणामों में वृद्धि के बावजूद सीडीसी अभी भी स्वास्थ्य क्लिनिकों में लोकप्रियता और प्रयोग में आसानी के कारण अनाक्रामक मौखिक द्रव नमूनों के प्रयोग का समर्थन करता है। सीटल किंग काउंटी में एचआईवी (HIV) कंट्रोल प्रोग्राम फार पब्लिक हैल्थ के निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार ओराक्विक तुलनात्मक नौदानिक परीक्षण द्वारा संक्रमित पाए गए 133 लोगों में से कम से कम 8 प्रतिशत को पहचानने में असफल रहा। [35][35] गुणवत्ता नियंत्रण और मिथ्या सकारात्मक परिणामों के निर्धारण के लिये रणनीतियां स्थापित की गई हैं। यह समझना चाहिये कि कोई भी प्रतिक्रियात्मक ओराक्विक परीक्षण एक शुरूआती सकारात्मक परिणाम होता है, जिसके लिये पुष्टिकारक परीक्षण की जरूरत होती है, भले ही वह किसी भी तरीके (शिरा से प्राप्त संपूर्ण रक्त, उंगली से प्राप्त संपूर्ण रक्त या मौखिक श्लेष्मा ट्रांसुडेट द्रव) से किया गया हो। [36] अन्य कई परिक्षण स्थल जहां मिथ्या सकारात्मक दरों में वृद्धि नहीं देखी गई है, वे अभी भी ओराश्योर के ओराक्विक एचआईवी एटीबाडी परीक्षणों का प्रयोग कर रहे हैं।[37][38]
एचआईवी (HIV) परीक्षणो की एड्स खंडनकर्ताओं (एक समूह जो यह मानता है कि एड्स होता ही नहीं या यह हानिकारक नहीं होता) द्वारा आलोचना की गई है। सेरोलाजी के परीक्षणों की सटीकता की एचआईवी (HIV) के पृथक्कीकरण और कल्चर और पीसीआर द्वारा एचआईवी (HIV) आरएनए (RNA) की पहचान, जो माइक्रोबायालाजी के व्यापक रूप से स्वीकृत “सुनहरे मानक” हैं, द्वारा पुष्टि की गई है।[23][24] जबकि एड्स के खंडनकर्ता एचआईवी (HIV) के वैयक्तिक अंशों पर ध्यान देते हैं, एलिसा और वेस्टर्न ब्लाट का संयुक्तिकरण अत्यंत ही सटीक है, जिनमें ऊपर बताए अनुसार अत्यंत ही कम मिथ्या-सकारात्मक और –नकारात्मक दरें देखी गई हैं। एड्स खंडनकर्ताओं के विचार अधिकांशतः पुराने वैज्ञानिक कागजातों के अत्यंत चुनिंदा विश्लेषण पर आधारित हैं और इस बात पर प्रशस्त वैज्ञानिक सहमति है कि एचआईवी (HIV) ही एड्स का कारण है।[39][40][41]
सामान्य जनता को मेल आर्डर या इंटरनेट से नकली परीक्षणों के बेचे जाने के कई मामले हुए हैं। 1997 में, कैलिफर्निया के एक व्यक्ति को नकली घरेलू परीक्षण किटों को मेल द्वारा बेचने की जालसाजी के आरोप में दंडित किया गया। 2004 में यूएस फेडरल ट्रेड कमीशन ने फेडरल एक्सप्रेस और यूएस कस्टम्स को वैनकूवर, बीसी (BC) के ग्रेगरी स्टीफेन वाँग द्वारा बनाई गई घरेलू एचआईवी (HIV) परीक्षण किटों के माल को जब्त कर लेने की आज्ञा दी। फरवरी 2005 में यूएस एफडीए ने मांट्रियाल, कनाडा के ग्लोबस मीडिया द्वारा बेची जा रही द्रुत एचआईवी (HIV) परीक्षण किटों और अन्य घरेलू प्रयोग की किटों के प्रयोग के विरूद्ध चेतावनी दी।
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
|month=
की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)