ग़ाज़ीपुर. | |||||||
— नगर — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | भारत | ||||||
राज्य | उत्तर प्रदेश | ||||||
संसदीय निर्वाचन क्षेत्र | गाजीपुर | ||||||
जनसंख्या • घनत्व |
3,622,727 (2011 के अनुसार [update]) • 1,072 | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
39.2 km² (15 sq mi) • 62 मीटर (203 फी॰) | ||||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: http://www.ghazipur.nic.in/ | |||||||
पाद-टिप्पणियाँ
Area name=Ghazipur area
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निर्देशांक: 25°34′29″N 83°32′09″E / 25.574687°N 83.535725°E
गाजीपुर भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर एवं गाजीपुर जिले का मुख्यालय है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह नगर उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा के बहुत समीप स्थित है। यहाँ की स्थानीय भाषा भोजपुरी एवं हिंदी है। यह बनारस से ७० कि०मी० पूर्व में स्थित है। गाजीपुर को लहुरी काशी भी कहा जाता है। गाजीपुर जिले के बहुत से युवा भारतीय सेना से जुङे हुए हैं इसलिए गाजीपुर जिले को वीरो की धरती भी कहा जाता है। मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद यहीं के रहने वाले थें। एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर इसी जिले का हिस्सा है। जहां आज भी लगभग सभी घरों के न्यूनतम एक लोग सेना में तैनात है।[1]
गाजीपुर, अंग्रेजों द्वारा १८२० में स्थापित, एशिया में सबसे बड़े अफ़ीम के कारखाने के लिए प्रख्यात है। यहाँ हथकरघा तथा इत्र उद्योग भी हैं। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस की मृत्यु यहीं हुई थी तथा वे यहीं दफन हैं। सैदपुर — यह गाजीपुर का एक सबसे व्यापक तहसील है सैदपुर के भीतरी में गुप्त साम्राज्य द्वारा बनाया गया स्तंभ लेख है जिसे इतिहास में भीतरी का स्तंभ लेख के नाम से जाना जाता है और यही एक सदियों पुराना विष्णु मंदिर भी है जो अब जर्जर अवस्था में है। [उद्धरण चाहिए]
गाजीपुर की स्थापना तुग़लक़ वंश के शासन काल में सैय्यद मसूद ग़ाज़ी द्वारा की गयी थी । ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक ग़ाज़ीपुर के कठउत पृथ्वीराज चौहान के वंशज राजा मान्धाता का गढ़ था। राजा मांधाता दिल्ली सुल्तान की अधीनता को अस्वीकार कर स्वतंत्र रूप से शासन कर रहा था। दिल्ली के तुगलक वंश के सुल्तान को इस बात की सूचना दी गई जिसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार सैयद मसूद अल हुसैनी ने सेना की टुकड़ी के साथ राजा मांधाता के गढ़ पर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजा मांधाता की पराजय हुई। जिसके बाद मृत राजा की संपत्ति का उत्तराधिकारी सैयद मसूद अल हुसैनी को बना दिया गया। इस जंग में जीत के बाद दिल्ली सुल्तान की ओर से सैयद मसूद अल हुसैनी को मलिक-अल-सादात गााजी की उपाधि से नवाजा गया। जिसके बाद सैयद मसूद गाजी ने कठउत के बगल में गौसुपर को अपना गढ़ बनाया।[2]
वैदिक काल में ग़ाज़ीपुर घने वनों से ढका था तथा उस समय यहाँ कई संतों के आश्रम थे।[3]इस स्थान का सम्बन्ध रामायण से भी है। कहा जाता है कि महर्षि परशुराम के पिता जमदग्नि यहाँ रहते थे।[4]प्रसिद्ध गौतम महर्षि तथा च्यवन ने यहीं शिक्षा प्राप्त की। भगवान बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन सारनाथ में दिया था जोकि यहाँ से अधिक दूर नहीं है।[5]बहुत से स्तूप उस काल के प्रमाण हैं।[6]ग़ाज़ीपुर सल्तनत काल से मुग़ल काल तक एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था।[7]
रामलीला मैदान लंका मैदान के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर के बीच में स्थित एक मैदान है, जहाँ रामलीला होता है। यह चारदीवारी से घिरा हुआ तथा दो मुख्य गेट के साथ सुव्यवस्थित है। जनसभा एवं प्रदर्शनी इत्यादि भी इसी मैदान में होते हैं। इसके किनारे एक तालाब भी है।
पवित्र नदी मानी जाने वाली "गंगा नदी" गाजीपुर से होकर बहती है।यह नदी गाजीपुर के सिधौना क्षेत्र से गोमती नदी का संगम करते हुए जिले में प्रवेश करती है| गाजीपुर में वाराणसी के घाटों की तरह कई गंगा घाट हैं जिनमें प्रमुख ददरीघाट, कलेक्टर घाट, स्टीमर घाट, चितनाथ घाट, पोस्ताघाट, रामेश्वर घाट, पक्का घाट, कंकड़िया घाट, महादेव घाट, सिकंदरपुर घाट,चकेरी धाम घाट,महादेव घाट,सगत घाट,रंग महल घाट,राम जानकी घाट,महावीर घाट, (सैदपुर), बराह घाट (औडिहार) ,श्मशान घाट(सबसे पूर्व दिशा ) तथा मुख्य रूप से सिकन्दरपुर घाट जो करण्डा परगना मे प्रचलित घाटो मे शामिल हैं। अतः इसे "लहुरी काशी" भी कहते हैं।
यह गाजीपुर शहर का एकमात्र स्टेडियम है, जिसका नाम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पड़ा है। स्टेडियम आम तौर पर विभिन्न जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए प्रयोग किया जाता है। जनपद गाजीपुर में मिनी स्टेडियम मिर्चा,उसिया,बारा,देवैथा,रामपुर फुटबॉल, कुश्ती इत्यादि गांव में स्टेडियमों की संख्या ज्यादा है
सैदपर से 10 किलोमीटर पूर्व की दिशा मे मां गंगा के किनारे पर बसा है। इस मन्दिर की स्थापना काशी के राजा ने सैकड़ो साल पहले करायी थी। मन्दिर के पश्चिम दिशा में राजा की नील और चुने के कारख़ाने टूटे अवस्था मे आज भी विद्यमान है, पास में ही अधिकारिक आवास भी मौजूद है। नवनिर्मित मन्दिर के निर्माणकर्ता एक महंत जी है।
ग़ाज़ीपुर जिले का सबसे बडा मन्दिर है। धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र है ।यह शहर से 30 किलोमीटर दूर कासिमाबाद क्षेत्र में स्थित शहर का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। यह भी माना जाता है कि भगवान श्री राम के पिता, दशरथ ने इसी स्थान पर श्रवण कुमार को वाण मारा था।
ग़ाज़ीपुर जिले का दुसरा सबसे बडा मन्दिर है। धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र है।यह मंदिर गहमर के पास है ।
मौनी धाम (देवकली चोचकपूर) मेला और स्नान के लिये,पवहारी बाबा आश्रम (कुर्था) स्वामी विवेकानंद के उपदेश लिये, गंगा दास आश्रम (करण्डा) मा मुलायम सिह और माननीय योगी जी के लिये । ये झासी की रानी के लिये युध्द मे सहायता भी किये थे। हथिया राम मठ आश्रम अपंग लोगो के इलाज के लिये, भूड़कूडा आश्रम सनातन धर्म के लिये (जखनिया), चौमुख धाम आश्रम धार्मिक आस्था का केन्द्र (देवकली ), किनाराम आश्रम (देवकली के अन्दर), नागा धाम आश्रम (करण्डा) मेला और स्नान के लिये, विछुडन नाथ, बूढे महादेव धार्मिक आस्था का केन्द्र, साई तकिया आश्रम (सैदपुर), चंडी का धाम धार्मिक आस्था का केन्द्र (देवकली ), नवाजु धाम आश्रम ( जमनिया) दुध के लिये प्रसिद्ध है। पशुओं के रोग मुक्त के लिये (मसोन धाम आश्रम) ,सगत घाट (मतन्ग ऋषि की तपोभूमि) ,रंग महल सन्त श्याम दास की समाधि, रामा नंद मठ, सैदपुर और औडिहार मे स्थित। इस स्थान को हुडो के युध्द के लिये जाना जाता है और इत्यादि छोटे बडे धाम और आश्रम स्थित है। ये आश्रम और धाम अपनी छवि से गाजीपुर को सुशोभित करते है।