ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे

1870 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की सीमायें

ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (हिन्दी अनुवाद: विशाल भारतीय प्रायद्वीप रेल), जिसे वर्तमान में भारतीय मध्य रेल के नाम से जाना जाता है और जिसका मुख्यालय बंबई (अब मुंबई) के बोरी बंदर (बाद में, विक्टोरिया टर्मिनस और वर्तमान में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) में था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे का गठन 1 अगस्त 1849 को ब्रिटिश संसद के एक अधिनियम द्वारा, 50,000 पाउंड की शेयर पूंजी के साथ किया गया था। 17 अगस्त 1849 को इसने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक 56 किमी लंबी प्रयोगात्मक लाइन के निर्माण और संचालन के लिए एक औपचारिक अनुबंध किया, जिसके अंतर्गत बंबई को खानदेश, बेरार तथा अन्य प्रेसीडेंसियों के साथ जोड़ने के लिए एक ट्रंक लाइन बिछाई जानी थी।[1] इस काम के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक न्यायालय ने जेम्स जे बर्कली को मुख्य आवासीय अभियंता तथा उनके सहायकों के रूप में सी बी कार और आर डब्ल्यू ग्राहम को नियुक्त किया।[2] 1 जुलाई 1925 को इसके प्रबंधन को सरकार ने अपने हाथों में ले लिया।[3] 5 नवम्बर 1951 को इसे मध्य रेल के रूप में निगमित किया गया।

बंबई के आसपास

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1855 के चित्र में छोटा थाने पुल है।
1855 में थाने से कल्याण जाती एक गाड़ी। चित्र में गाड़ी लंबा थाने पुल के ऊपर से गुजर रही है।

16 अप्रैल 1853 को 3:35 बजे ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की पहली रेलगाड़ी बंबई (अब मुम्बई) के बोरी बंदर से थाने (अब ठाणे) जाने के लिए रवाना हुई।[4] रेलगाड़ी को इस 21 मील (33.8 किमी) के सफर को तय करने में 57 मिनट का समय लगा।[5] 14 डिब्बों वाली इस रेलगाड़ी जिनमें 400 यात्री सवार थे को, तीन लोकोमोटिव जिनका नाम सुल्तान, सिंध और साहिब था, खींच रहे थे।[2]

इस रेल लाइन के विस्तार के अगले चरण में थाने से कल्यान (अब कल्याण) के बीच का हिस्सा 1 मई 1854 को यातायात के लिए खोला गया। भारत का पहले रेल पुल जो ठाणे कोल (ठाणे क्रीक) पर स्थित है सन 1854 में बन कर तैयार हुआ था। इस हिस्से का निर्माण कार्य दुष्कर था क्योंकि इसमें कोल के ऊपर से एक द्विमार्गी पुल और दो सुरंगों का निर्माण शामिल था।

12 मई 1856 को लाइन का विस्तार कर इसे खोपोली बरास्ता पलसधरी तक बढ़ाया गया और 12 जून 1858 को इसके खंडाला-पूना (अब पुणे) खंड को यातायात के लिए खोला गया। पलसधरी–खंडाला खंड में भोर घाट का कठिन मोड़ शामिल था और इसके निर्माण में पाँच साल का समय लगा। इस दौरान 21 किमी के निर्माणाधीन खंड का सफर खोपोली गांव से होकर पालकियों, टट्टुओं और बैलगाडियों से पूरा किया जाता था।

रेल लाइन का कसारा खंड 1 जनवरी 1861 को और थाल घाट से लेकर इगतपुरी के ढलवां खंड को 1 जनवरी 1865 को खोला गया। इस प्रकार सह्याद्री को पूरी तरह पार करने में सफलता मिली।

बंबई से मद्रास

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दक्षिण पूर्व की मुख्य लाइन का विस्तार भोर घाट से आगे पूना, शोलापुर और रायचूर तक किया गया जहां, इसे मद्रास रेलवे से जोड़ा गया। 1868 में रेलमार्ग 888 किमी लंबा था जो 1870 में बढ़ कर 2388 किमी हो गया।[6][7]

बंबई से कलकत्ता

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कल्याण से आगे, उत्तर-पूर्व मुख्य लाइन को थाल घाट से नसीराबाद के पास स्थित भुसावल तक बढ़ाया गया। भुसावल से आगे लाइन को दो मार्गों में बांटा गया जिनमें से एक कपास की खेती के लिए मशहूर अमरावती जिले से गुजर कर नागपुर तक जाती थी, जबकि दूसरी लाइन जबलपुर तक जाती थी जहाँ इसे 1867 में खुली ईस्ट इंडियन रेलवे की इलाहाबाद-जबलपुर शाखा लाइन से जोड़ा गया और इस प्रकार बम्बई से सीधे कलकत्ता की यात्रा करना संभव हो गया। इस मार्ग को आधिकारिक तौर पर 7 मार्च 1870 को खोला गया था और यह फ्रांसीसी लेखक जूल्स वर्न की पुस्तक अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज़ के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी।

उद्घाटन समारोह में वायसराय लॉर्ड मेयो ने कहा कि "यह वांछनीय है, यदि संभव हो तो, जल्द से जल्द एक समान प्रणाली के अंतर्गत पूरे देश में रेल लाइनों का जाल बिछा दिया जाना चाहिए"।

सन्दर्भ

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  1. Rao, M.A. (1988). Indian Railways, नई दिल्ली: National Book Trust, p.15
  2. Khan, Shaheed (April 18, 2002). "The great Indian Railway bazaar". द हिन्दू. Archived from the original on 16 जुलाई 2008. Retrieved 15 जुलाई 2011.
  3. "Chapter 1 - Evolution of Indian Railways-Historical Background". Ministry of Railways website. Archived from the original on 1 जून 2009. Retrieved 15 जुलाई 2011.
  4. Costa, Roana Maria (17 अप्रैल 2010). "A sepia ride, from Boree Bunder to Tannah". Mumbai: द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया . p. 6.
  5. Rao, M.A. (1988). Indian Railways, नई दिल्ली: National Book Trust, p.17
  6. Rao, M.A. (1988). Indian Railways, नई दिल्ली: National Book Trust, pp.17-8
  7. Mihill Slaughter (1861). Railway Intelligence. Vol. 11. The Railway Department, Stock Exchange, London. p. 202. Archived from the original on 25 अक्तूबर 2012. Retrieved 17 जुलाई 2011. {{cite book}}: Check date values in: |archive-date= (help)