जी बी कालज के नाम से भी काहा जाता था ओर एच पी जी बी के जीबी वाइरस सी एक विषाणु है। जी बी वइरस सी पहले हेपाटेटिस जी वाइरस ( Hepatitis G virus ) के नाम से जाता था ओर यह हच पी जी वी नामक वाइरस से भी जाना जाता है।यह वाइरस फ्लेवीवीरीदे परिवार व पेगीवाइरस कुल का सदस्य है। यह मानव को घातक सि जैसा लगता है लेकिन वास्तव में यह मानव की बीमारी नही है। बहुत सारे ऐसे कुछ समाचार व खबरे है जो यह बताता है कि एच आई वी मरिज जी वी सी से ग्रस्त होता है वह लम्बे समय तक जीवित रहता है, लेकिन कुछ लोगों में यह एड अलग ही होता है।[1]
जी बी सी पहले क्रोनिक हेपाटेटिस से जुडा हुआ जाना जाता था। हेपाटेटिस जी ओर जी बी वइरस सि अर न ए वइरस है इसको एक एक स्वतंत्र रूप से सन १९९५ पहचान की गाया है[2] जी वी वइरस सी (ओर जो वास्त्व में,जीबीवी -ए ओर जी बी वी- बी) का नाम जी बारकर डॉक्टर के नाम पर पडा। जो १९६६ में नन -ए( non- A) नन- बी ( non- B) हेपटेटिस बीमारी का शिकार हुआ था।[3]
जी बी वी वाइरस फ्लेवीवीरीदे परिवार से है ओर जातीवृति के आधार पर हेपाटेटिस सी वइरस जोडा हुआ है। जी बी वी - ए ओर जी बी वी- बी टामेरिन वाइरस है लेकिन जी बी वी-सि मानव को संक्रमित करता है।
जी बी वी- सी सक्रमण१/६ प्रतिशत दुनिया भर में फैल हुआ बीमारी है। माता ,पीता ओर रक्त दान ओर योन सम्बन्ध से यह रोग दुसरों में फैल जाता है।लगभग १०-२५ प्रतिशत हेपाटेटिस सि से ग्रसित मरीज ओर १४-३६ प्रतिशत व्यक्ति नाशा करते है। जिनको एच आई वी के सुन्य ग्रस्त है उन्हे यह जीबीवी-सी का सक्रमण दिखाई देता है। यह वाइरस ६ जीनोटाइप ओर उपजाति के रूप में विभाजित कीया गाया है। जीनोटाइप १ जदातर इस अफ्रिका मे पाया जाता है ओर इस को पाच उपजाति के रूप में विभाजित कीया गाया है। जीनोटाइप २को तीन उपजाति है इसको युरोपओर अमेरिका पाया जाता है। जीनोटाइप ३ सार्वजनिक है ओर आशीया ओर जापन ओर चीन पाया जाता है।[4][5] जीनोटाइप ४सर्वाधिक रूप में हैदक्षिण-पूर्व आशीया ओर जीनोटाइप ५ केवल दक्षिणअफ्रिका देख सकता है। जीनोटाइप ६इन्डोनोशिया में है।
लगभग २ प्रतिशत स्वस्थ य अमेरिका लोगजो रक्त दान करते है वे जी बी वी -सी के सकमित है। ओर १३ प्रतिशत रक्त दानी व्यक्ति को असंक्रमित रक्त में प्रतिरक्षीE2 प्रटीन ( E2 protein)होते है। जी बी वी-सी सीधा संचरण योन सम्बन्ध ,आंत्रेतर के द्वारा होता है इस क सबुत मील है। काहा गया हे की जीसको एडस हुआ है उनमे इस तरह का भी किटाणू पाया गाया है। कुछ पढ़ाई दिखता है एच इ वी गति य बढ़ाव को ([[progression of HIV]] )सावधान करता है।कहा गाया है कि इस तरह का रोग काही समाय तक रहता है जो की पिठी -से पिठी रहत है ओर हमें इस का समय तो पत नही है ओर अभि तक पाया नही गाय है।