ठानाले गुफाएँ Thanale Caves नाडसूर गुफाएँ | |
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![]() ![]() ठानाले/नाडसूर गुफाएँ और विहार संख्या 7 के भीतर | |
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स्थान | रायगढ़ ज़िला, महाराष्ट्र, भारत |
निर्देशांक | 18°34′09″N 73°19′09″E / 18.569222°N 73.319068°Eनिर्देशांक: 18°34′09″N 73°19′09″E / 18.569222°N 73.319068°E |
प्रकार | बौद्ध गुफाएँ |
ठाणाले गुफाएँ (Thanale Caves) या नाडसूर गुफाएँ (Nadsur Caves) भारत के महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ ज़िले की सुधागढ़ तालुका के ठानाले ग्राम में स्थित 23 बौद्ध गुफाओं का एक समूह है। यह मुम्बई से 72 किमी पश्चिमोत्तर और पाली से 18 किमी दूर स्थित है। यह प्रथम शताब्दी ईसापूर्व में बनाए गए थे। इनमें दो चैत, दो स्तूप और अन्य विहार हैं। यह महाराष्ट्र और भारत की सबसे प्राचीन तक्षित-शिला गुफाओं में शामिल हैं और चौल के प्राचीन व्यापारिक मार्ग पर स्थित हैं।[1][2][3][4]
तत्कालीन सुप्रसिद्ध पुरातत्त्वज्ञ हेन्री कझिन्स ने इन गुफाओं पर शोधकार्य किया है। १९११ साल में उन्होंने इन गुफाओं पर आधारित एक पुस्तक प्रकाशित की थी।
स्वातंत्र्य संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज से छुटकारा पाने के लिए क्रांतिकारी वासुदेव बलवन्त फड़के ने इन गुफाओं का आश्रय लिया था और वह यहां भूमिगत होकर रहे थे।