गणित में डीरिख्ले परीक्षण (Dirichlet's test) किसी श्रेणी के अभिसरण के परीक्षण की एक विधि है। इसका नामकरण इसके लेखक पीटर गुस्ताफ लजन डीरिक्ले के 'जर्नल डी मैथेमेटिक्स प्योर एट अप्पलिक़्यीक्स' (एक फ्रांसीसी जर्नल जिसकी शब्दावली का हिन्दी अनुवाद "शुद्ध और अनुप्रयुक्त गणित के जर्नल" है।) में प्रकाशन के बाद उनके मरणोपरान्त किया गया।[1]
परीक्षण के कथन के अनुसार यदि एक वास्तविक अनुक्रम है और सम्मिश्र अनुक्रम है जो निम्न सम्बंधों को सन्तुष्ट करते हैं:
- for every positive integer N
जहाँ M एक नियतांक है, तब श्रेणी
अभिसारी होगी।
माना और है।
घटकों में संकलन से हम प्राप्त करते हैं।
चूँकि के लिए M से परिबद्ध है, n→∞ के लिए ये पद शून्य की ओर अग्रसर होंगे।
अन्य विधि से, चूँकि अनुक्रम ह्रसमान है, सभी k के लिए धनात्मक है, अतः द्वारा परिबद्ध है। अतः Bn का आंशिक योग और उसके गुणक का मान Bn का आंशिक योग (एक मान M) और समान गुणज से कम होगा।
लेकिन , जो एक अंतर्वेधन श्रेणी है और इसका मान के बराबर है अतः n→∞ के लिए की ओर अग्रसर है। अतः अभिसारी है।
इसी तरह भी सीधे तुलना परीक्षण से अभिसरित होती है। श्रेणी निरपेक्ष अभिसरण से अभिसरित होती है। इसिलिए अभिसारी है।
डीरिख्ले परीक्षण की एक विशेष स्थिति सामान्यतः प्रत्यावर्ती श्रेणी परीक्षण के लिए निम्न स्थिति में काम में ली जाती है
- .
इसकी अन्य उपप्रमेय यह है कि
अभिसारी है जब एक ह्रसमान अनुक्रम है जो शून्य की ओर अग्रसर है।
अनन्त समाकल में भी अभिसरण के लिए इस परीक्षण को प्रयुक्त किया जाता है।
- ↑ Démonstration d’un théorème d’Abel. Journal de mathématiques pures et appliquées 2nd series, tome 7 (1862), p. 253-255 Archived 2011-07-21 at the वेबैक मशीन.
- Hardy, G. H., A Course of Pure Mathematics, Ninth edition, Cambridge University Press, 1946. (pp. 379–380).
- Voxman, William L., Advanced Calculus: An Introduction to Modern Analysis, Marcel Dekker, Inc., New York, 1981. (§8.B.13-15) ISBN 0-8247-6949-X.