दिल | |
---|---|
"दिल" का पोस्टर | |
निर्देशक | इन्द्र कुमार |
लेखक |
राजीव कौल प्रफुल्ल पारेख कमलेश पांडे (संवाद) |
पटकथा |
राजीव कौल प्रफुल्ल पारेख |
निर्माता |
इन्द्र कुमार अशोक ठकेरिया |
अभिनेता |
आमिर खान माधुरी दीक्षित अनुपम खेर सईद जाफ़री देवेन वर्मा |
छायाकार | बाबा आज़मी |
संपादक | हुसैन बर्मावाला |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
निर्माण कंपनियां |
फिल्म सिटी कमलिस्तान स्टूडियोज़ नटराज स्टूडियोज़ |
वितरक |
मारुति इंटरनेशनल वीडियो साउंड टी-सीरीज़ |
प्रदर्शन तिथियाँ |
22 जून, 1990 |
लम्बाई |
171 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
दिल बॉलीवुड की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है जो 1990 में उसी दिन प्रदर्शित हुई थी जिस दिन घायल हुई थी। आमिर खान, माधुरी दीक्षित, अनुपम खेर और सईद जाफ़री प्रमुख कलाकार हैं। इन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में संगीत आनंद-मिलिंद ने दिया है। जारी होने पर फिल्म सुपरहिट रही थी और इसने फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार में कई नामांकन के साथ एक पुरस्कार अर्जित किया था। यह फिल्म गीतकार समीर के लिये भी अपार सफलता थी (आशिकी इसके उपरांत जारी हुई थी)।
हजारी प्रसाद (अनुपम खेर) एक कंजूस और लालची किस्म का आदमी है जो दिन रात अपने इकलौते पुत्र राजा, (आमिर खान) के लिए किसी धनी लड़की का सपना देखता रहता है। राजा की दिलचस्पी केवल अपने पिता के पैसे महंगी पार्टियों में खर्च करने में है। एक दिन कॉलेज जाते वक्त, निकट से गुजर रही एक जीप राजा पर कीचड उछाल जाती है। जीप चलने वाली लड़की मधु, (माधुरी दीक्षित) का अक्खड़ व्यवहार राजा को नागवार गुजरता है। राजा अँधा होने का ढोंग कर मधु को बेवकूफ बनाता है। जब असलियत खुलती है तो उसकी नक़ल करता है। दोनों इसके साथ ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं और एक दूसरे को मजा चखाने का बहाना ढूँढने लगते हैं। राजा मधु को डांस रिहर्सल के दौरान अपने प्रयास से गिरा देता है। उसके बाद मधु उसको कॉलेज के चैम्पियन बॉक्स़र से लड़ने के लिए मजबूर कर देती है। उस घूंसेबाजी के संग्राम में राजा जीत जाता है।
उधर लड़की ढूंढते ढूंढते हजारी प्रसाद को आभास होता है की उसका रद्दी और कबाड़ का धंधा राजा की भव्य शादी में आड़े आएगा। एक दिन एक महंगे होटल में भ्रमण के दौरान उसका सामना एक करोड़पति मिस्टर मेहरा (सईद जाफ़री) से हो जाता है जिसकी सिर्फ़ एक ही लड़की है। हजारी भाड़े के कलाकार लेकर अपने स्टाफ के तौर पर भर्ती कर लेता है। मेहरा की तरह वह भी दो बड़े से कुत्ते लेकर सुबह सुबह समुद्र किनारे दौड़ लगाने पहुँच जाता है जिधर मेहरा घूम रहा होता है। मेहरा के साथ साथ घुमते हुए वो भिखारियों को बहुत से नकली रूपये लुटाता है। जल्दी ही वह मेहरा का दोस्त बन जाता है। मेहरा और हजारी अपने बच्चों की शादी एक दूसरे से करने को तैयार हो जाते हैं। जब राजा अपनी होने वाली बीवी से मिलता है तो उसे पता चलता है की वह लड़की मधु है। मधु और राजा शादी की सम्भावना से ही इनकार कर देते हैं।
मधु ने एक सप्ताहांत कॉलेज के टूर बात बहुत ज्यादा बढ़ा दी जब उसने राजा पर बलात्कार करने की कोशिश का झूठा आरोप लगाया। राजा क्रोधित होता है कि उसकी प्रतिष्ठा बर्बाद हो गई है और उसे बेईमानी और विचारहीनता के लिए दंडित करता है, यह बताते हुए कि कई लोग अपना बदला लेते लेकिन वह अलग है। मधु तुरंत राजा के साथ प्यार में पड़ जाती है। सगाई की पार्टी में, श्री मेहरा को हजारी की सच्ची वित्तीय परिस्थितियों के बारे में पता चला। उग्र होकर, वह हजारी को सबके सामने अपमानित करते हैं। हजारी बहुत ज्यादा बुरा मानता है। राजा और मधु को एक दूसरे को फिर से मिलने केलिए उनके माता-पिता द्वारा मना कर दिया जाता है।
फिर भी, दोनों गुप्त रूप से मिलते रहते हैं। जब श्री मेहरा ने इसका पता लगाया, तो उन्होंने राजा को कुछ ठगों के द्वारा पीटने की व्यवस्था की। वह मधु को दूर भेजने का फैसला करते हैं जहां वह राजा से संपर्क नहीं कर पाएगी। ऐसा करने से पहले, राजा मधु के घर में घुस गया और दोनों वही विवाह कर लेते हैं। श्री मेहरा ने मधु को घर से निकाल दिया और घोषित किया कि वह उनके लिए मर चुकी है। हजारी ने भी राजा को अस्वीकार कर दिया जब उन्हें पता लगा कि उसने उनके सबसे बड़े दुश्मन की बेटी से विवाह किया है। फिर जोड़ा एक छोटे से झोपड़ी में चला जाता है और राजा को एक निर्माण मजदूर के रूप में काम मिल जाता है। अपनी गरीबी के बावजूद, वे खुश हैं।
निर्माण स्थल पर राजा को गंभीर रूप से चोट लग जाती है। मधु आपातकालीन ऑपरेशन के भुगतान करने के लिए पैसे के लिए उसके पिता से प्रार्थना करती है। हजारी सहमत हो जाता है, लेकिन केवल तभी जब वह अपने सुहाग को भूल जाए। वह अपने मंगलसूत्र को हटा देती है और निराशा में अपने पिता के घर लौटती है। जब राजा ठीक हो जाता है, तो हजारी उसे बताता है कि मधु अपने पिता के पास लौट गई और अस्पताल में कभी नहीं आई और उसे मरने के लिये छोड़ दिया। यह मानते हुए कि मधु ने उसे विलासिता के जीवन में लौटने के लिए छोड़ दिया है, राजा अपने माता-पिता के पास लौट आता है। बाद में, उसे अपनी मां (पद्मारानी) से पता चला कि मधु उसके पिता के ब्लैकमेल की वजह से अस्पताल में नहीं आई थी। वह अपने पिता को बहुत झिड़क देता है और मधु को विमान से लंदन जाने से रोकने के लिए दौड़ता है। लेकिन हवाई जहाज पहले ही चला जाता है। उसके पिता को अपनी गलती का अहसास होता है और सौभाग्य से वो मधु को विमान लेने से रोक लेते हैं। दोनों के माता-पिता की सुलह हो जाती है और सब खुशहाल जीवन पाने में कामयाब रहे।
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "खंभे जैसी खड़ी है" | उदित नारायण | 5:25 |
2. | "दम दमा दम" | उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | 6:40 |
3. | "मुझे नींद ना आए" | उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | 6:13 |
4. | "हम प्यार करने वाले" | उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल | 6:56 |
5. | "हमने घर छोड़ा है" | उदित नारायण, साधना सरगम | 6:17 |
6. | "ओ प्रिया प्रिया" | सुरेश वाडकर, अनुराधा पौडवाल | 6:03 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
1991 | माधुरी दीक्षित[1] | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | जीत |
इन्द्र कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित | |
आमिर खान | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
समीर ("मुझे नींद ना आए") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
सुरेश वाडकर ("ओ प्रिया प्रिया") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
अनुराधा पौडवाल ("मुझे नींद ना आए") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | नामित | |
आनंद-मिलिंद | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
अनुपम खेर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | नामित |