रूम ऑन द रूफ रस्किन बॉन्ड का लिखा एक उपन्यास है। यह बॉन्ड का पहला साहित्यिक प्रयास था। बॉन्ड ने इस उपन्यास को सिर्फ सत्रह वर्ष की आयु में लिखा[1] और 1957 में जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार जीता । [1] [2] उपन्यास रस्टी के इर्द-गिर्द घूमता है, जो देहरादून में रहने वाला सत्रह वर्षीय एंग्लो-इंडियन अनाथ लड़का है। अपने अभिभावक, श्री हैरिसन के सख्त व्यवहार के कारण वह अपने भारतीय दोस्तों के साथ रहने के लिए अपने घर से भाग जाता है।
यह कहानी 16 साल के एक अनाथ एंग्लो-इंडियन लड़के रस्टी की है। जो अपने माता पिता की मृत्यु के बाद से ही उनके एक अंग्रेज़ दोस्त मिस्टर हैरिसन के साथ देहरादून के एक अमीर कस्बे देहरा में रहता है। मिस्टर हैरिसन चाहते हैं की रस्टी भारतीय बच्चों से दूर रहे, ताकि उसका पालन-पोषण अंग्रेज़ बच्चों की तरह हो सके। पर एक दिन रस्टी की दोस्ती दो भारतीय बच्चों, सोमी और रनवीर से हो जाती है। जिनके साथ रस्टी भारतीय इलाकों और बाज़ारों में घूमने फिरने लगता है और उनके साथ होली भी खेलता है। यह बात मिस्टर हैरिसन को अच्छी नहीं लगती और वो रस्टी की पिटाई कर देते हैं। गुस्से में रस्टी मिस्टर हैरिसन के साथ बगावत करके, उनका घर छोड़ कर सोमी और रनवीर के पास भारतीय इलाकों की ओर भाग जाता है।
सोमी की मदद से रस्टी को वाइन के एक अमीर कारोबारी मिस्टर कपूर के घर, उनके बच्चे किशन कपूर को अंग्रेजी पढ़ाने की नौकरी मिल जाती है। मिस्टर कपूर का कारोबार अब बंद हो चुका था और उनका घर उनकी जमापूंजी पर चल रहा था, जिसकी वजह से मिस्टर कपूर रस्टी के सामने तनख्वाह की जगह अपने घर की छत पर एक कमरा और भोजन देने की पेशकश रखते हैं, जिसे रस्टी ख़ुशी ख़ुशी मान लेता है।
किशन को पढ़ाते पढ़ाते रस्टी और मिस्टर कपूर की जवान बीवी मीना कपूर में नज़दीकियां बढ़ने लगती हैं और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। पर यह नज़दीकियां ज्यादा दिन तक बनी ना रहीं। कुछ ही दिनों में मिस्टर कपूर की सारी जमा पूँजी खर्च हो जाती है, जिसकी वजह से वो मीना के साथ किसी नए काम की तलाश में दिल्ली चले जाते हैं। जहाँ रास्ते में उनकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमे मीना की मौत हो जाती है।
ये खबर सुन कर रस्टी ओर किशन को काफी दुःख पहुँचता है। और कुछ ही दिनों में किशन को हरिद्वार अपने मौसी के घर रहने जाना पड़ता है। अब रस्टी अपने उस छत वाले कमरे में सारा सारा दिन मीना की यादों में निकालने लगता है। फिर एक दिन रस्टी सब कुछ छोड़ छाड़ कर इंग्लैंड जाने का मन बना लेता है। पर जाने से पहले वो एक आखरी बार किशन से मिलना चाहता है।
पर हरिद्वार जा कर रस्टी को पता चलता है कि किशन की मौसी वहां नहीं रहती। बल्कि वहां पर मिस्टर कपूर अपनी दूसरी बीवी के साथ रहते हैं। यह देखकर रस्टी को बहुत गुस्सा आता है। उसने सोचा कि अभी मीना को गुज़रे एक महीना भी नहीं बीता और मिस्टर कपूर ने दूसरी शादी भी कर ली। किशन के बारे में पूछने पर मिस्टर कपूर रस्टी को बताते हैं कि किशन घर से भाग गया है और यहीं हरिद्वार में ही कहीं चोरी चकारी करके ज़िंदगी गुज़ार रहा है। सुन कर रस्टी को और भी बुरा लगता है। वह हरिद्वार में किशन को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है।
आखिर एक दिन रस्टी किशन को ढूंढ ही लेता है। किशन उसे इंग्लैंड जाने से रोकता है तो रस्टी उसे अपने साथ देहरादून चलने के लिए कहता है। दोनों ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे की बात मान लेते हैं और देहरादून आ कर उसी छत वाले कमरे में रहने लगते हैं। किशन घर के पास ही चाट की दुकान लगा लेता है और रस्टी मुहल्ले के लड़कों को इंग्लिश पढ़ाने का काम करने लगता है। [3]