धर्मावलंबियों की संख्या | |
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360,000-370,000 (2011) ( सिर्फ भारत में) | |
महत्वपूर्ण आबादी वाले क्षेत्र | |
अरुणाचल प्रदेश | 362,553 |
असम | 700-800 |
दोनी-पोलो या डोनी-पोलोवाद [lower-greek 1] , पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम में रहने वाले तानी और अन्य तिब्बती-बर्माई लोगों के मध्य प्रचलित एक स्थानीय धर्म है[6], जिसका सिद्धांत जीववाद और ओझावाद पर आधारित है। "डोनी-पोलो" नाम का अर्थ "सूर्य-चंद्रमा" है जिसमें डोनी यानी सूर्य एक महिला का प्रतीक है जबकि पोलो यानी चन्द्रमा एक पुरुष का प्रतीक है। 1970 के दशक में इस क्षेत्र में तेजी से फैलते ईसाई धर्म और संभवत हिंदू धर्म में शामिल किए जाने की संभावना के जवाब में इसकी पुनरोद्धार और संस्थागतकरण की प्रक्रिया शुरु की गयी और इसे डोनी-पोलो नाम भी दिया गया।[7]
धर्म ने एक समागम-व्यवस्था विकसित की है; गाए जाने वाले भजनों की रचना, ओझाओं की अनुष्ठानिक भाषा तानी में; एक औपचारिक दार्शनिक-धर्मशास्त्रिक की शुरुवात; और देवताओं की प्रतिमाओं और मंदिरों का निर्माण। पुनरुद्धार के अग्रदूत तालोम रुक्बो थे।[8] डोनी-पोलो कार्बी के हेम्फू-मुकरंग धर्म और ह्रसो के न्याज़ी-नो से संबंधित है।[9]