दोसुती ( या दोसुत्ती ) भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पादित मोटे कपास से बना वस्त्र था जिसके ताने और बाने में दो-दो सूत साथ-साथ चलते थे। मूल रूप से, यह गाँवों में बनाया जाने वाला हाथ से हथकरघे पर बुना जाने वाला कपड़ा था।
१९वीं शताब्दी में पंजाब और गुजरात मोटे सूती वस्त्र बनाने के लिये प्रसिद्ध थे जबकि भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग अधिक नाजुक सूती वस्त्रों (जैसे ढाका की मस्लिन) के लिए प्रसिद्ध था। पंजाब में १९वीं शताब्दी में अनेक प्रकार के सूती वस्त्र बनते थे जो अपने भार, मोटाई और सूतों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किये जाते थे। दोसुती दो धागों को ताने-बाने में पिरोकर बनाया गया कपड़ा था (जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है)। दोसुती का उपयोग डस्टर जैसे मोटे कामों के लिए किया जाता था। उस समय बनने वाले अन्य कपास उत्पाद थे -एकसुती (एकल धागे से बना वस्त्र) , तीनसुती (तीन धागे से बना) , और चौसुती (चार धागों से बना) आदि। [1] [2] [3] [4]
डेढ़सुती, दोसुती का एक प्रकार है। इसके ताने में दो सूत और बाने में एक सूत होता है। [5][6]
पंजाब इस प्रकार के वस्त्रों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध था। दोसुती जैसे कपड़े भी जेल में भी बुने जाते थे।
दोसुती कपास का उपयोग झाड़न (डस्टर), गरीब लोगों के लिए कपड़े, शर्ट, तौलिए और बिस्तर के प्रयोजनों के लिए किया जाता था। [1] [2] [7]
वर्तमान समय में दोसुती को खादी उद्योग के हथकरघा उत्पाद के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
of cotton is imported into the district from Saháranpur, Umballa, Muzaffargarh, Máler Kotla, Jagádhri, Patiala and ... The cloths manufactured are Susi, Gulbadan, Gahra, Dhoti, Dosuti, Khes, Lungis, Daris, and checks and stripes in great ...