नमक हराम | |
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नमक हराम का पोस्टर | |
निर्देशक | ऋषिकेश मुखर्जी |
लेखक |
गुलज़ार, डी एन मुखर्जी, बीरेश चटर्जी, चंद्रकांता सिंह, मोहिनी एन सिप्पी |
निर्माता |
जयेंद्र पंड्या, राजाराम, सतीश वागले |
अभिनेता |
राजेश खन्ना, रेखा, सिमी गरेवाल, ए के हंगल, असरानी, अमिताभ बच्चन |
छायाकार | जयवंत पठारे |
संपादक | दास धैमाड़े |
संगीतकार |
राहुल देव बर्मन गुलज़ार (गीत) |
निर्माण कंपनी |
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वितरक |
आर एस जे प्रोडक्षंस, अल्ट्रा डिस्ट्रीब्युटर्स, वर्ल्डवाइड एंटरटेनमेंट ग्रुप |
प्रदर्शन तिथियाँ |
19 नवम्बर, 1973 |
लम्बाई |
147 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
नमक हराम 1973 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया है। संगीत राहुल देव बर्मन का है, गुलज़ार की पटकथा और आनंद बख्शी के बोल हैं। फिल्म में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन हैं। इसमें रेखा, असरानी, रज़ा मुराद, ए के हंगल, सिमी गरेवाल और ओम शिवपुरी भी हैं। राजेश खन्ना को इस फिल्म के लिए 1974 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (हिन्दी) के लिए तीसरा बीएफजेए पुरस्कार मिला और अमिताभ बच्चन ने 1974 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।
आनन्द के बाद राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन अभिनीत यह दूसरी ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म थी। "दिये जलते हैं", "नदिया से दरिया" और "मैं शायर बदनाम" सबसे यादगार धुनें हैं, जो सभी किशोर कुमार द्वारा गाये गए हैं और राजेश खन्ना पर चित्रित हैं। नमक हराम बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी।
सोमनाथ 'सोमू' (राजेश खन्ना) दिल्ली में अपनी विधवा माँ और कुंवारी बहन, सरला के साथ एक कुटिया में रहता है। वो कलकत्ता में रहने वाले अमीर परिवार में जन्में, विक्रम महाराज उर्फ विक्की (अमिताभ बच्चन) का दोस्त रहता है। विक्की के पिता, दामोदर को एक दिन दिल का दौरा पड़ जाता है, जिसके बाद उन्हें दो महीने के लिए आराम करने को कहा जाता है। विक्की अपने पिता के व्यापार को संभालने लगता है, और उसी बीच वो कई पुराने कर्मचारी और यूनियन लीडर से पंगा ले लेता है, जिससे वे लोग हड़ताल पर चले जाते हैं। उसके पिता उस मामले में हस्तक्षेप करते हैं और विक्की को उन सभी से माफी मांगते को कहते हैं। विक्की माफी मांग लेता है और सब कुछ सामान्य हो जाता है।
विक्की अपने इस अपमान के बारे में सोमू को बताता है और वो दोनों बिपिनलाल (ए के हंगल) को सबक सिखाने की सोचते हैं। सोमू और विक्की कलकत्ता में चले जाते हैं। सोमू उसी के मिल में मजदूर का काम करने लगता है और अपने साथी-मजदूरों के साथ काफी दोस्ती करने लगता है। वो उनकी कई तरह से मदद करता है और बाद में यूनियन लीडर का चुनाव लड़ कर जीत जाता है, जिससे बिपिनलाल की जगह सोमू यूनियन लीडर बन जाता है। मालिक के रूप में विक्की और यूनियन लीडर के रूप में सोमू के होने से उन्हें कोई भी रोक नहीं पाता है।
विक्की के पिता, दामोदर को इस बात का पता चलता है कि उसका बेटा कोई मध्यम वर्गीय छोरे के प्रभाव में आ चुका है। ये बात जानकर वो तिलमिला उठता है। दामोदर अपने बेटे को सोमू के प्रभाव से हटाने के लिए कई सारे काम करता है, जिससे अंत में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है कि एक दोस्त की दूसरे दोस्त के हाथों में मौत हो जाती है।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत राहुल देव बर्मन द्वारा रचित।
गाने | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
1. | "दिये जलते हैं फूल खिलते हैं" | किशोर कुमार | 3:21 |
2. | "नदिया से दरिया, दरिया से सागर" | किशोर कुमार | 4:10 |
3. | "मैं शायर बदनाम" | किशोर कुमार | 5:03 |
4. | "वोह झूठा है वोट न उसको देना" | किशोर कुमार | 3:29 |
5. | "सूनी रे सेजरिया" | आशा भोसले, उषा मंगेशकर | 3:26 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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१९७४ (1974) |
अमिताभ बच्चन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | जीत |
असरानी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
राजेश खन्ना | बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ हिंदी अभिनेता | जीत |