डॉ.भंवरसिंह सामौर (जन्म 15 अगस्त 1943) एक भारतीय लेखक, कवि, इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। [1] सामौर को उनकी कृति 'संस्कृति री सनातन दीठ' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2020 ( राजस्थानी भाषा में) से सम्मानित किया गया है। [2] उनका करियर 50 से अधिक वर्षों का है, जिसमें राजस्थानी और हिंदी भाषाओं में इतिहास, साहित्य और कविता पर लेखन शामिल है। [3] डॉ. सामौर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चूरू से सेवानिवृत्त हिन्दी व्याख्याता हैं। [4]
सामौर को राजस्थानी भाषा का विशेषज्ञ माना जाता है। वे वर्तमान में राजस्थानी-अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश पर कार्य कर रहे हैं। [5]
फरवरी 2020 में उन्हें कविश्री काग बापू लोक साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। [6]
सामौर राजस्थान के चूरू में लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी के व्याख्याता के रूप में कार्य किया। [4] उन्होंने गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज, रतनगढ़ के वाइस-प्रिंसिपल के रूप में भी सेवा प्रदान की। [1]
सामौर समाज सेवा में भी अग्रणी है, बोबासर में लोकभारती भवन के माध्यम से पुस्तकालय आंदोलन, समाज सेवा शिविरों की शुरुआत की ताकि कोई भूखा न सोए। इस कार्यक्रम को बाद में राज्य सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया और राजस्थान में इसका विस्तार किया गया। सामौर ने गुजरात के लगभग 50 गांवों में पुस्तकालयों की स्थापना में भी सहायता की। [3]
भंवरसिंह ने 2006 में साहित्य अकादमी संगोष्ठी के दौरान सत्रों की अध्यक्षता भी की थी। [8]
सामौर राजस्थानी शब्दकोष परियोजना के विकास के लिए गठित भाषाई विशेषज्ञ समिति के सदस्य हैं, जिसका उद्देश्य राजस्थानी भाषा पर पद्म श्री डॉ. सीताराम लालस के कार्यों को डिजिटलआइज़ और विस्तारित करना है। [9]