भगवानदास पटेल (जन्म 19 नवंबर 1943) एक गुजराती लोककथाकार हैं।उन्होंने गुजरात के आदिवासी साहित्य में शोध का बीड़ा उठाया है [1] और राज्य के मौखिक साहित्य को मुख्य साहित्यिक समुदाय के ध्यान में लाया है। [2] 1995 में, उन्होंने रामायण का पहला आदिवासी संस्करण संकलित करकेप्रकाशित कराया जिसका नाम "भीली लोकाख्यान : रोम सीतमानी वारता" (अर्थ : भील लोगों की रामकथा) है।[3]
उनके द्वारा रचित अन्य ग्रन्थ ये हैं- लीला मोतिया, फुलरोनी वाडी, अरवल्ली पहाडनी आस्था, डुंगरी भीलोना अरेला, अरवल्लीनी वही वातो, भीलोनु भारथ आदि।