भद्रकाली | |
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प्रलय, निर्मोहिता और काल की देवी | |
![]() त्रिमूर्ति द्वारा पूजित मां भद्रकाली | |
संस्कृत लिप्यंतरण | भद्र कालि |
संबंध | देवी, महाकाली, पार्वती, सती |
मंत्र | ॐ ग्लौम् भद्रकाल्यै नमः |
अस्त्र | त्रिशूल, कैंची, कटार, डमरू, चक्र, शंख, भाला, गदा, वज्र, ढाल, खप्पर, खड्ग, कृपाण, अंकुश, खंजर, दानव सिर |
जीवनसाथी | वीरभद्र (भगवान शिव का उग्र रूप) |
संतान | पोनभद्र , कल्हनभद्र , जखभद्र , अतिसुरभद्र , ब्रह्मभद्र और दहीभद्र |
सवारी | शव |
शास्त्र | सभी धार्मिक ग्रंथ |
भद्रकाली (शाब्दिक अर्थ : 'अच्छी काली')[1] हिन्दुओं की एक देवी हैं जिनकी पूजा मुख्यतः दक्षिण भारत में होती है। वे देवी दुर्गा की अवतार तथा भगवान शंकर के वीरभद्र अवतार की शक्ति अथवा पत्नी हैं। भद्रकाली और वीरभद्र जी के छ: पुत्रों थे। जो पुत्र माता भद्रकाली के गर्भ से उत्पन्न हुए थे उनके नाम हैं -:
ये सभी अपने पिता वीरभद्र के समान ही बलशाली एवम् उग्र रूप वाले और अपनी माता भद्रकाली के समान ही दुष्टों का नाश करने वाले और धर्मी मनुष्य की रक्षा करने वाले हैं।