भारत में सभी मोटरचालित वाहनों को एक पंजीकरण संख्या (या लाइसेंस नम्बर) दिया जाता है। लाइसेंस पट्ट को नामपट्ट या वाहन पंजीकरण प्लेट भी कहते हैं। यह संख्या सभी प्रदेशों में जिला स्तर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) द्वारा दिया जाता है। यह चालन अनुज्ञप्ति पट्ट वाहन के आगे और पश्च दिशा में लगाया जाता है। नियमानुसार सभी पट्टियाँ लातिन वर्णों सहित आधुनिक भारतीय अंक प्रणाली में होने चाहिए।[1]
चालन अनुज्ञप्ति पट्ट निजी कारों और द्वि-चक्र वाहन मालिक सफेद पृष्ठभूमि के साथ काले अक्षरों में होना चाहिए (उदाहरण के लिए PY 01 B 7185)। व्यावसायिक वाहन जैसे टैक्सी, ट्रक के लिए पीली पृष्ठभूमि के साथ काले अक्षरों में लिखे हुए अनुज्ञप्ति पट्ट होने चाहिए (जैसे : DL 2L 0001)। विदेशी दूतावासों से सम्बंधित वाहन हल्के नीले रंग की पृष्ठभुमि के साथ सफेद अक्षरों में लिखे होने चहिए (जैसे : 22 UN 14)।[2]) भारतीय राष्ट्रपति और राज्यपाल की आधिकारिक कारें अनुज्ञप्ति पट्ट रहित होती हैं। इसकी जगह वे लाल पट्टि पर सुनहरे अक्षरों में समुद्भृत (उभरा हुआ) भारत का राष्ट्रीय प्रतीक रखते हैं।
वर्तमान पंजीकरण क्रम सूची के तीन भाग हैं जो निम्न प्रकार हैं:
इस संख्या निर्धारण योजाना के कुछा लाभ हैं:
भारतीय सशस्त्र सेनाएँ (सेना, नौसेना और वायु सेना) से संबंधित वाहनों के पंजीकरण प्रारूप में पाँच भाग होते हैं:
कुछ राज्यों में (जैसे - दिल्ली, गुजरात और बिहार) जिले से सम्बंधित अंक का प्रथम शून्य छोड़ दिया जाता है अतः दिल्ली का जिला संख्या 2, DL 2 दिखाई देगा न कि DL 02.
दिल्ली राज्य में पंजीकरण संख्या में एक अतिरिक्त कूट होता है:
DL 1C AA 1111
यहाँ DL दिल्ली का दो कूट अक्षर हैं। अतिरिक्त C (वाहन श्रेणी के लिए) एक अक्षर है जो द्वि-चक्र वाहनों के लिए 'S' (एस), कारों और खेल उपयोगिता वाहनों के लिए 'C' (सी), सार्वजनिक यात्री वाहनों जैसे बसों के लिए 'P' (पी), त्रिचक्र वाहनों जैसे रिक्शा के लिए 'R' (आर), पर्यटन लाइसेंस वाहनों और टैक्सियों के लिए 'V' (वी) तथा पिकअप ट्रक, वैन और किराये पर किए जाने वाले वाहनों के लिए 'Y' (वाय) काम में लिया जाता है। यह प्रणाली अन्य राज्यों में भी लागू होता है। (उदाहरण के लिए राजस्थान जहाँ का कूट 'RJ' (आरजे) दो अक्षर का कूट है और 'P यात्री वाहनों के लिए और 'Y' भाड़ा वाहनों के लिए है।)
भारत के सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश सभी अपने-अपने दो अक्षर वाले कूट रखते हैं। यह दो अक्षरों वाला प्रसंग 1980 में हरकत में आया। उससे पूर्व प्रत्येक जिला और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय तीन अक्षर का कूट रखते थे जो किसी राज्य को निरुपित नहीं करते थे। यह एक उच्च कोटि तक भ्रमित करते थे- उदाहरण के लिए MMC 6238 (एमएमसी ६२३८) देश में कहीं भी सटीक नहीं हैं।
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उदाहरण HP 08 (एचपी ०८), यहां 08 हिमाचल प्रदेश में चोपल जिले को निरुपित करता है। चूँकि सभी राज्य दो और अधिक जिले रखते हैं जिलों को वाहन पंजीकरण का प्रभार दिया Mpo7mH 3078
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]
the vehicles will have OD instead of OR