भारत में औषधीय उद्योग या भारत में दवा उद्योग वर्ष 2030 तक अनुमान अनुसार 130 अरब डॉलर तक पहुँच जायेगा।[1] भारत दुनिया में सामान्य दवा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। उसकी कुल वैश्विक दवा निर्यात में 20% हिस्सेदारी है। वह मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा टीका आपूर्तिकर्ता भी है। दुनिया में निर्मित सभी टीकों का 60% से अधिक हिस्सा भारत में बनता है। भारतीय दवा उत्पादों को अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और ब्राजील सहित विभिन्न विनियमित बाजारों में निर्यात किया जाता है।[2]
भारत में दवाओं के प्रमुख केंद्र हैं (उत्तरपश्चिम से वामावर्त): वडोदरा, अहमदाबाद, अंकलेश्वर, वापी, बद्दी, सिक्किम, कोलकाता, विशाखापत्तनम, हैदराबाद, बैंगलोर, चेन्नई, मडगांव, नवी मुंबई, मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और पीथमपुर हैं। भारत की कुछ बड़ी दवा कम्पनियाँ हैं:- सन फार्मास्युटिकल, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स, मैनकाइंड फार्मा और लुपीन लिमिटेड।
2021 तक, भारत टीका निर्माण में दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है। 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा कि भारत के पास टीकों के वैश्विक बाजार में 40% से अधिक हिस्सेदारी है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है।[3] इसने कोविड-19 के लिए कोविशील्ड का निर्माण किया था।[4] जबकि भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से भारत की पहली कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन विकसित की थी।