"" मथुरभाई सवाणी "" का जन्म 12 जनवरी 1963 को, गुजरात के भावनगर जिले के खोपाला गाँव में हुआ था | मथुरभाई सवाणी गुजरात के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे जल संरक्षण और सामाजिक के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने सौराष्ट्र जलधारा ट्रस्ट (गैर-सरकारी संगठन) के नाम से एक संस्था बनाई। मथुर माधाभाई सवाणी को समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।[1] वे गुजरात राज्य से हैं।
उन्होंने 1997 में जल संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सौराष्ट्र जलधारा ट्रस्ट की स्थापना की। उन्होंने जागरूकता अभियान चलाया और गुजरात के सूखे और पानी की कमी वाले सौराष्ट्र क्षेत्र में भ्रमण किया। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी और सरकारी समर्थन से पूरे सौराष्ट्र में चेक डैम बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। बाद में उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए "बेटी बचाओ अभियान" चलाया।
सन 1980 के बाद से हमारे देश मे पानी की गंभीर समस्या थी। उस समय पीने का पानी और कृषि या उधोग के लिए पानी मिलना बहुत मुश्किल था। जलसंचय और उचित जल प्रबंधन ही एकमात्र विकल्प था। दुनिया भर में आवश्यक लोकहित के कार्य करने के लिए कुदरत कई लोगों को नियुक्त करती है। यही समाधान के लिए कुदरत ने पद्मश्री मथुरभाई सवानी को नियुक्त किया और उन्होंने सन 1998 से जलसंचय अभियान शुरू किया।
पद्मश्री मथुरभाई सवानी कई लोगों से परिचित थे क्योंकि वे डायमंड के व्यापारी थे, सूरत में रहने वाले गुजरात के 12000 गाँव के लोगो को अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेमभाव जगाने के लिए सूरत में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसके परिणाम स्वरूप अपने वतन के प्रत्येक गाँव मे जलसंचय समिति बनने लगी, और गाँव छोडकर व्यवसायिक उद्देश्य से देश के अन्य शहर और अन्य देश मे गए लोगो को जलसंचय अभियान मे शामील किया। जलसंचय के बारे में जन जागृतता फेलाने के लिए अनेकविध कार्यक्रम और पदयात्राए आयोजित की गईं, विभिन्न सरकारी योजनाओं की रचना करने के लिए सरकार को अनुरोध किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री केशुभाई पटेल और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जी के द्वारा जलसंचय अभियान को बहुत तेजी से आगे बढाया गया।
पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने इस अभियान मे लाखों कार्यकर्ताओं को जोड़ा। व्यापारी लोग के जरिए ग्राम समितियों को आर्थिक सहयोग मिले ऐसा एक माहौल बनाया। इसके कारण संख्याबंध चेकडैम, खेत-तालावडी और तालाब बने। इसके अलावा खेती में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए जागृतता फेलाने का एक प्रयास किया गया कि हर किसान ड्रिप इरिगेशन पध्धती से खेती करें, जिसके परिणामरूप आज 24 लाख हेक्टर्स में ड्रिप इरिगेशन पध्धती से खेती हो रही हैं.
सन 1998 में गुजरात का कृषि उत्पादन 7 हजार करोड़ का था। जलसंचय अभियान के कारण लोगों मे जागृतता आने से पानी की समस्या हल हुई और हरियाली क्रांति का निर्माण हुआ, जिसके कारण आज गुजरात का कृषि उत्पादन 1 लाख 75 हजार करोड़ तक पहुंच गया है जिसमें जलसंचय अभियान की अह्म भूमिका है। पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने सरकार और जनता को साथ रखकर जलसंचय अभियान का अदभुत कार्य किया है। https://saujaldharatrust.com/
सन 2003 में जब पद्मश्री मथुरभाई सवानी जलसंचय अभियान के तहत जूनागढ़ जिले के दौरे पर थे तो गांव के लोगो ने कहा कि मथुरभाई जलसंचय का हमारे गांव में बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन हमारे गांव में 200 से अधिक अविवाहित लड़के हैं, इसलिए आप जलसंचय अभियान के साथ “बेटी बचाओ अभियान” को जोड़ना चाहिए। इसी बात पर मंथन करते हुए मथुरभाई सवानी ने सन 2003 से बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत की। जलसंचय अभियान के लिए हुई प्रत्येक ग्रामसभा में मथुरभाई बेटी बचाओ की बात करते थे और उस समय 1000 लड़को की तुलना में कुछ क्षेत्र में 700 लड़की का जन्म होता था और कई क्षेत्र में 800 लड़की का जन्म होता था। इस अभियान को और गति देने के लिए वर्ष 2006 में सूरत में एक ऐतिहासिक बेटी बचाओ महालाडू कार्यक्रम आयोजित किया था, इस कार्यक्रम में 2 लाख 52 हजार घरों से एक मुट्ठी अन्न और पानी एकत्र किया गया, जिनके उपयोग से 35 फीट ऊंचे और 15 हजार मण बूंदी का महालाडू बनाया गया। कार्यक्रम में 12 लाख से ज्यादा लोग मौजूद रहे थे और उन्होंने महालाडू की उपस्थिति में शपथ लिया कि हमारे घर में कभी भी कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी। इस महालाडू के प्रसाद को 35 लाख बोक्स में भरकर गुजरात के 18 हजार गांवों में भेजा गया और हर घर में प्रसाद की साक्षी मे शपथ ली गई कि हम कभी कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे। इस महालाडू को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया था।
इस बेटी बचाओ अभियान को पूरे देश में पहुचाने के लिए सूरत में रहने वाले 25 राज्य के आगेवनो के साथ रखकर मथुरभाई सवानी के नेतृत्व में वर्ष 2008 में "सूरत से सोमनाथ" तक "सर्व समाज बेटी बचाओ यात्रा" की गई थी। इस प्रकार मथुरभाई सवानी और उनकी टीम के जरिए बेटी बचाओ अभियान के लिए कई कार्यक्रम किए गए हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जी ने "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान पूरे देश में पहुंचाया, जिस के परिणाम स्वरूप आज 1000 लड़को के सामने 925 लड़की का जन्म हो रहा है। लोगों ने कन्या भ्रूण हत्या के राक्षसी विचार को जलाकर बेटी बचाओ अभियान को बहुत महत्व दिया। इस ऐतिहासिक बेटी बचाओ अभियान में मथुरभाई सवानी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गुजरात में पाटीदार समुदाय एक मुख्य समुदाय है, यह समुदाय कडवा पटेल और लेऊआ पटेल दो भागों में विभाजित था। समग्र समाज के विकास के लिए इन दोनो समाजो को एक जुट करना बहुत आवश्यक था, इसके लिए मथुरभाई सवानी ने उधोगपति श्री ओधवजीभाई पटेल- मोरबी, उंझा संस्था के अध्यक्ष केशुभाई शेठ, श्री गोविंदभाई धोलकिया- सूरत, आदि लोगो को साथ रख कर मथुरभाई सवानी ने दोनों समाजों को जोड़ने का कार्य चालू किया। और वर्ष 2003 में सूरत मे समस्त पाटीदार समाज की स्थापना की गई और श्री लालजीभाई टी पटेल को संगठन का अध्यक्ष बनाया गया। दोनों समाजों को एक साथ रखने के लिए इस संगठन के माध्य जरिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। https://spstsurat.com/
समस्त पाटीदार समाज के माध्यम से अनेक सेवा कार्य शुरू हुए, गुजरात का मुख्य शहर अहमदाबाद होने से अहमदाबाद में समस्त पाटीदार समाज की स्थापना करना बहुत आवश्यक था, अमदाबाद में इतनी सारी बैठको के बाद अंत में विश्व पाटीदार समाज की स्थापना अहमदाबाद में हुई जिसको आज हम सरदारधामके नाम से जानते हैं। जिसकी जिम्मेदारी श्री गगजीभाई सुतारिया और अन्य नेताओं ने संभाली और सरदारधाम के माध्यम से बड़े पैमाने पर जन उपयोगी कार्य शुरू किए गए। इस प्रकार पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने इन दोनों समाजों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। https://sardardham.org/
पद्मश्री मथुरभाई सवानी सने 1990 से सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं, जब उन्होंने गढडा तालुका में सामूहिक लग्न शुरू किया और सूरत में रहने वाले गढडा तालुका के मध्यम वर्ग 1251 परिवारो के लिए नो प्रोफिट नो लॉस के आधार पर "गढ़पुर टाउनशिप" का निर्माण किया। इस टाउनशिप में कक्षा 1 से 12 तक के स्कूल, मंदिर, बाग बगीचे और सभी सुविधाओं के साथ एक ऐतिहासिक टाउनशिप का निर्माण किया गया था।
1960 से गुजरात के हजारों गांवों से लोग सूरत में आकर बसे। जहां सूरत की धरती ने रोटी, , सम्मान और दुनिया को देखने का मौका दिया। सूरत के सभी लोगो को उम्मीद थी कि सूरत शहर में हर तरह की अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाली एक हॉस्पिटल बने, और वर्ष 2009 से, पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने शहर के आगेवानो के साथ मिलकर एक अस्पताल बनाने के प्रयास शुरू किए और 400 दाताओं को जोड़कर 900 बेड का "किरण मल्टी सुपर स्पेशियलिटी होस्पिटल" बनाया। सूरत की भूमि पे कभी न होने वाले ऑपरेशन किरण होस्पिटल मे अभी हो रहे हैं। किरण होस्पिटल में हर महीने 40 से 50 हजार लोग सेवा का लाभ उठा रहे हैं। https://kiranhospital.com/
इसके अलावा पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने देश को अच्छे डॉक्टर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किरण मेडिकल कॉलेज का निर्माण कराया, इस मेडिकल कॉलेज के माध्यम से हर साल देश को 250 डॉक्टर उपलब्ध कराए जाएंगे। https://kiranmedicalcollege.ac.in/
सूरत दुनिया का डायमंड मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र है, इसलिए सूरत को डायमंड व्यापार का केंद्र बनाने के उद्देश्य से श्री वल्लभभाई लखाणी ने सभी के साथ मिलकर सूरत में सूरत डायमंड बुर्स बनाने की योजना बनाई। पद्मश्री मथुरभाई सवानी ने इन सूरत डायमंड बुर्स के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गांधीनगर मे गिफ्ट सीटी है वैसा सूरत मे ड्रीम सीटी बनाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल सरकार के सहयोग से सूरत में 562 हेक्टर में ड्रीम सिटी का निर्माण किया गया जिसमें दुनिया का नंबर 1 सूरत डायमंड बुर्स बन गया। इस निर्माण के दौरान पद्मश्री मथुरभाई ने सरकारश्री के साथ उचित समन्वय बनाए रखा और उन्होंने डायमंड बुर्स निर्माण में आने वाली सभी बाधाओं को समय पर दूर करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। https://www.suratdiamondbourse.in/
इसके अलावा, उत्तर गुजरात के 3,000 से अधिक स्वैच्छिक / शैक्षणिक संस्थानों, मंडलियों, सौराष्ट्र-कच्छ और ग्राम समितियों को पुरस्कार और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
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