मुक्काबाज़ २०१८ की एक हिंदी सोपर्ट्स-ड्रामा फिल्म है, जिसके निर्देशक अनुराग कश्यप हैं। विनीत कुमार सिंह, ज़ोया हुसैन, जिमी शेरगिल तथा रवि किशन फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी स्वयं अनुराग कश्यप ने विनीत कुमार सिंह, मुक्ति सिंह श्रीनेत, के डी सत्यम, रंजन चंदेल तथा प्रसून मिश्रा के साथ मिलकर लिखी है। फैंटम फिल्म्स, रिलायंस इंटरटेनमेंट तथा कलर येलो प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता आनंद एल राय, विक्रमादित्य मोटवाने, मधु मंतेना तथा अनुराग कश्यप है। फिल्म की कहानी श्रवण सिंह (विनीत कुमार सिंह द्वारा अभिनीत) के इर्द गिर्द घूमती है, जो एक निचली जाति का मुक्केबाज है, और मुक्केबाजी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए निरन्तर संघर्षरत है।
फ़िल्म की कहानी विनीत कुमार सिंह ने २०१३ में मुक्ति सिंह श्रीनेत के साथ मिलकर लिखी थी। इसके बाद वह अपनी कहानी लेकर कई निर्माताओं के पास गए, परंतु उन सब ने इस पर काम करने से मना कर दिया। जुलाई २०१७ में घोषणा हुई थी कि अनुराग कश्यप आनंद एल राय के साथ मिलकर मुक्काबाज़ नामक एक फिल्म पर काम करेंगे। अनुराग ने फ़िल्म की कहानी फिर दोबारा लिखी। फ़िल्म की शूटिंग बरेली, लखनऊ तथा वाराणसी में २०१७ में हुई। फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सेट है।
७ जुलाई २०१७ को फिल्म का २१ सेकंड लम्बा ऑडियो टीज़र जारी किया गया, और फिर ७ दिसम्बर २०१७ को फिल्म का आधिकारिक पोस्टर तथा ट्रेलर जारी किया गया। इस फिल्म को सर्वप्रथम २०१७ के टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मुंबई फिल्म महोत्सव के विशेष प्रस्तुति अनुभाग में दिखाया गया था। इस फिल्म को समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई, और समीक्षकों ने विशेषकर कश्यप के निर्देशन और विनीत कुमार सिंह के अभिनय की प्रशंशा करी। उसके बाद १२ जनवरी २०१८ को इसे विश्व भर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया। ८.६ करोड़ के बजट पर बनी यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल १० करोड़ रूपये ही कमा पायी, और इसे फ्लॉप घोषित कर दिया गया।
श्रवन सिंह (विनीत कुमार सिंह) एक सच्चा तथा ईमानदार मुक्केबाज है, जो किसी दिन विश्व प्रसिद्ध बॉक्सर बनना चाहता है। ऐसा करने के प्रयासों में, श्रवण का सामना अक्सर भगवान दास मिश्रा (जिमी शेरगिल) से होता रहता है, जो एक स्थानीय डॉन है, और साथ ही साथ राज्य मुक्केबाजी संघ का प्रमुख भी। भगवान मिश्रा श्रवण को हर बार मुक्केबाजी प्रशिक्षण के बजाय घरेलू कार्यों और अन्य छिटपुट कामों में लगाए रखता है। आखिरकार, उन दोनों के मध्य युद्ध जैसी स्थिति समय उत्पन्न हो जाती है, जब श्रवण भगवान मिश्रा की भतीजी, सुनैना मिश्रा (जोया हुसैन) के प्यार में पड़ जाता है। आगे की कहानी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल और मुक्केबाजी महासंघ में व्याप्त भ्रष्टाचार और जातीयता का सामना करते हुए अपने इरादों को पूरा करने के, और अपने प्यार को जीतने के श्रवण के संघर्षों के बारे में है।[2]
इस फिल्म का विचार सर्वप्रथम अभिनेता विनीत कुमार सिंह को आया, जिन्होंने सिस्टम की खामियों की वजह से असफल रहे खिलाड़ियों के बारे में कहानियां लिखना शुरू किया।[6] २०१३ में उन्होंने मुक्ति सिंह श्रीनेत के साथ मिलकर एक कहानी लिखी और फिर वह अपनी कहानी के लिए निर्माताओं की खोज करने लगे।[7][8][9] सिंह अपनी कहानी लेकर कई निर्माताओं के पास गए, परंतु उन सब ने इस पर काम करने से मना कर दिया, क्योंकि सिंह की शर्त थी, कि अगर उनकी कहानी पर फिल्म बनती है, तो वह स्वयं मुख्य भूमिका निभाएंगे।[10] आखिरकार अनुराग कश्यप को एक दिन इस फिल्म के बारे में विनीत से पता चला, जिसके साथ वह पहले गैंग्स ऑफ़ वसईपुर (२०१२), बॉम्बे टॉकीज़ (२०१३) तथा अग्ली (२०१४) फिल्मों में काम कर चुके थे।[6] कश्यप को यह कहानी १९७६ की फिल्म रॉकी जैसी लगी, और फिर उन्होंने इस फिल्म के लिए स्वयं शोध करना शुरू किया।[8] इसके बाद जुलाई २०१७ में औपचारिक घोषणा की गयी थी कि अनुराग कश्यप आनंद एल राय के साथ मिलकर मुक्काबाज़ नामक एक फिल्म पर साथ काम करेंगे।[11] कश्यप के अनुसार, मुक्केबाज नरसिंह पंचम यादव के मामले ने उन्हें फिल्म के लिए प्रेरित किया, जिस पर २०१६ रियो ओलम्पिक के दौरान डोपिंग का आरोप लगा था।[8]
विनीत कुमार सिंह की शर्त अनुसार कश्यप ने उन्हें मुख्य पात्र के लिए चुन तो लिया, परन्तु इस भूमिका के लिए उन्हें ट्रेनिंग लेने को कहा।[8][12] सिंह ने अपनी ट्रेनिंग की शुरुआत मुंबई से की, जहाँ उन्होंने बॉक्सिंग कोच अनुदीप सिंह से एक साल तक मुक्केबाजी का प्रशिक्षण लिया। इस अवधि के दौरान सिंह ने अपने कोच को ये कभी नहीं बताया की यह ट्रेनिंग वो एक फिल्म की भूमिका के लिए ले रहे हैं।[10] इसके बाद वह पटियाला गए, जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान में वास्तविक मुक्केबाज़ों के साथ ट्रेनिंग ली।[10][6] यह फिल्म दिल्ली थिएटर अभिनेत्री ज़ोया हुसैन की पहली फिल्म है।[7] अनुराग कश्यप ने उनकी लघु फिल्म थ्री एंड हाफ टेक्स देखी थी, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने हुसैन को सुनैना मिश्रा के किरदार के लिए चुना।[13] एक गूंगी लड़की की अपनी भूमिका के लिए, हुसैन ने कई महीने गैर-मौखिक भाषा और चरित्र के व्यवहार को सीखने में बिताये।[6]
फ़िल्म की शूटिंग मई २०१७ में बरेली, लखनऊ तथा वाराणसी में हुई।[10][14] कश्यप ने अपने दूसरे यूनिट के निदेशक साकिब पांडर को मुक्केबाजी टूर्नामेंट कैमरे पर रिकॉर्ड करने के लिए भेजा, और कैमरे में रिकॉर्ड की गई सभी वास्तविक प्रतियोगिताओं का प्रयोग फिल्म में दिखाए गए एक राज्य टूर्नामेंट के दृश्य में किया था।[8] इसी समय उत्तर भारत में एक वास्तविक मुक्केबाजी टूर्नामेंट में भाग लेने के बाद उन्होंने यह भी महसूस किया कि कुछ सत्ताधीन लोगों के अलावा इन प्रतियोगिताओं में कोई दर्शक नहीं था, जो यह फैसला करते हैं कि किस बॉक्सर को किस राज्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, और किसे नहीं।[15] इन कहानियों का प्रयोग फिर फिल्म के कथानक को लिखने के लिए भी किया गया था।[15] फिल्म की शूटिंग में किसी भी मुक्केबाजी कोरियोग्राफर या एक्शन डायरेक्टर की सहायता नहीं ली गई।[8] फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सेट है, और एक सच्ची कहानी से प्रेरित है।[9]
फिल्म में संगीत न्यूक्लेया, रचिता अरोड़ा और विनीत कुमार सिंह ने दिया है, और गीत हुसैन हैदरी, विनीत कुमार सिंह और डॉक्टर सुनील जोगी ने लिखे हैं। १० गीतों वाली फ़िल्म की एल्बम को एरोस इंटरनेशनल लेबल ने रिलीज़ किया। प्रशांत पिल्लई ने फिल्म के पार्श्व संगीत की रचना की है।
रचिता अरोड़ा ने फिल्म में संगीत दिया है। कश्यप से उनके नाम की सिफारिश मकरंद देशपांडे ने की थी। कश्यप ने किसी नाटक के लिए बनाया उनका गीत सुना, और उससे प्रभावित होकर उन्हें फ़िल्म के लिए साइन किया।[8] गीतकार हुसैन हैदरी की भी यह पहली प्रमुख फ़िल्म है।[17]
"पैंतरा" गीत न्यूक्लेया ने कंपोज़ किया है। कश्यप को बेस संगीत से भरा एक हिन्दी रैप गीत चाहिए था, और इसके लिए उनके सारे पिछले प्रयास रहे थे।[18] न्यूक्लेया के अनुसार अनुराग कश्यप ने अमित त्रिवेदी के माध्यम से उनसे इस गीत के लिए सम्पर्क किया था।[19] मुम्बई में हुई एक मुलाकात में कश्यप ने न्यूक्लेया को गीत के बारे में सविस्तार बताया।[19] इसे गाने लिए उन्होंने रैपर डिवाइन को चुना। गीत को शुरुआत में विनीत सिंह ने लिखा था, और फिर डिवाइन ने उन्हें लय के हिसाब से थोड़ा बदला।[19]
फ़िल्म का पहला गीत "पैंतरा" १ दिसम्बर २०१७ को रिलीस किया गया था।[20] पूरी एल्बम २३ दिसम्बर २०१७ को रिलीस हुई।[21] गीत "बहुत हुआ सम्मान" का वीडियो ४ जनवरी २०१८ को रिलीस हुआ।[22]द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से समीक्षा लिखते हुए सुआंशु खुराना ने फ़िल्म की एल्बम को "ठोस, लेकिन कश्यप की पिछली फिल्मों के मुकाबले धीमा" कहा। उन्होंने ये भी लिखा कि "फिल्म में कुछ अच्छे गीत हैं, लेकिन यह लंम्बे समय तक लोगों की प्लेलिस्ट में स्थान प्राप्त करने वाली एल्बम नहीं है।[23]
मुक्काबाज़ को २०१७ टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और २०१७ मुंबई फिल्म महोत्सव के विशेष प्रस्तुति अनुभाग में में दिखाया गया था।[24][25] फिल्म को पहले १० नवंबर २०१७ को रिलीज़ किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन फिर इसे १२ जनवरी २०१८ तक आगे खिसका दिया गया था।[11] ७ जुलाई २०१७ को एक २१ सेकंड लंबा ऑडियो टीज़र रिलीज़ किया गया था।[26] फिल्म का आधिकारिक पोस्टर और ट्रेलर ७ दिसंबर २०१७ को जारी किया गया था।[27] ९ जनवरी २०१८ को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म को एक ऑडियो कट के बाद यू/ए सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया,[28] जिसके बाद १२ जनवरी को यह फिल्म विश्व भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई।[29]
बॉक्स आफिस पर फ़िल्म को धीमी शुरुआत मिली। रिलीस के दिन फ़िल्म ने ७५ लाख रुपये का व्यापार किया।[30] इसके बाद दूसरे दिन १.५१ करोड़,[31] और तीसरे दिन १.७१ करोड़ की कमाई के साथ फ़िल्म की पहले सप्ताहांत की कमाई ४.०४ रुपये रही।[32] पहले सप्ताहांत के बाद फ़िल्म की पकड़ ढीली होती गयी और इसने चौथे दिन ८१ लाख रुपये,[33] पांचवे दिन ७२ लाख,[34], छठे दिन ६१ लाख रुपये,[35] और सातवें दिन ५५ लाख रुपये का व्यापार किया।[36] इस प्रकार फ़िल्म की पहले सप्ताह की कमाई ६.५ करोड़ रुपये रही।[37] अपने पूरे प्रदर्शन काल में फ़िल्म ने कुल १० करोड़ रुपये का व्यापार किया। कुल कमाई के आधार पर ८.६ करोड़ रुपये में बनी इस फ़िल्म को फ्लॉप घोषित किया गया।
फ़िल्म को सर्वप्रथम लिबर्टी सिनेमा में मुम्बई फ़िल्म महोत्सव में दिखाया गया था, जहां इसे 'स्टैंडिंग ओवेशन' प्राप्त हुआ।[38] इसके बाद इसे टोरंटो फ़िल्म महोत्सव में दिखाया गया। हॉलीवुड रिपोर्टर के दबोरा यंग और स्क्रीन इंटरनेशनल के डेविड डी'आर्ची ने अपनी समीक्षाओं में फ़िल्म की सराहना की।[39][40] ब्रिटिश समाचारपत्र द गार्डियन ने फ़िल्म को ५ में से ३ अंक देते हुए इसे 'कश्यप की वापसी' करार दिया।[41]
१२ जनवरी २०१८ को इसके सिनेमाघरों में रिलीस होने के बाद इसे भारतीय समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली; विशेषकर विनीत सिंह के अभिनय की काफी प्रशंशा की गई।[42] एनडीटीवी के राजा सेन ने फ़िल्म को ५ में से ५ अंक देते हुए इसे कश्यप की अब तक कि सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म बताया।[43]हिंदुस्तान टाइम्स समाचारपत्र की समीक्षा में भी इसे ५ में से ४ अंक मिले, और उसमें इसे हाल के वर्षों की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म बताया गया।[44]टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे ५ में से ४ अंक देते हुए इसके १४५ मिनट के 'रनटाइम' की आलोचना की।[45]
↑ अआइईखान, फैज़ल (२४ सितम्बर २०१७). "Ringside view" [रिंगसाइड दृश्य]. द फाइनेंसियल एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). मूल से 7 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ७ दिसम्बर २०१७.