रविशंकर शुक्ल | |
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पद बहाल १ नवम्बर १९५६ – ३१ दिसम्बर १९५६ | |
उत्तरा धिकारी | भगवंतराव मंडलोई |
जन्म | 2 अगस्त 1877 सागर, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 31 दिसम्बर 1956 दिल्ली, भारत | (उम्र 79 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
रविशंकर शुक्ल (जन्म २ अगस्त १८७७ सागर,मध्यप्रदेश—मृत्यु ३१ दिसंबर १९५६ दिल्ली) एक वरिष्ठ कांग्रेसी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, २७ अप्रेल १९४६ से १४ अगस्त १९४७ तक सीपी और बेरार (CP & Berar) के प्रमुख, १५ अगस्त १९४७ से ३१ अक्टुबर १९५६ तक सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री और १ नवम्बर १९५६ को अस्तित्व में आये नये राज्य मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। अपने कार्यकाल के दौरान ३१ दिसम्बर १९५६ को आप का स्वर्गवास हो गया।
पंडित रवि शंकर शुक्ल का जन्म सागर जिले की रहली तहसील के गुड़ा ग्राम में २ अगस्त १८७७ को कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था।[1] आपके पिता का नाम पंडित जगन्नाथ शुक्ल और माता का नाम श्रीमती तुलसी देवी था। रवि शंकर जी ने ४ वर्ष की आयु में सागर के सुन्दरलाल पाठशाला में दाखिला लिया। ब्रिटिश राज में यह पाठशाला सीपी में स्थित ६ शालाओ में से एक थी। इस ही पाठशाला से ८ वर्ष की आयु में आपकी प्राथमीक शीक्षा पूर्ण हुई। माध्यमिक शीक्षा के पूर्ण होने के बाद पंडित जगन्नाथ शुक्ल राजनांदगाँव चले गये और अपने भाई पंडित गजाधर शुक्ल के साथ बेंगाल नागपुर कॉटन मिल चलने में सहभागी बने। कुछ वर्ष मिल चलाने के बाद वह रायपुर चले गये। इस दौरान रवि शंकर जी ने अपनी स्कुली शीक्षा रायपुए हाई स्कूल से पूर्ण कर ली। अब वह १७ वर्ष के थे। इंटर की परीक्षा आपने जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज से उत्तर्णि की। आपने स्नातक की पढ़ाई नागपुर के हिसलोप कॉलेज से पूर्ण करी। नागपुर में पढ़्ते हुए शुक्ल जी राष्ट्रीय आंदोलन के निकट आये। १८९८ में संपन्न हुये कांग्रेस के १३वे अधिवेशन में भाग लेने आप अपने अध्यापक के साथ अमरावती गये थे। नागपुर से ही आपने विधि की पढ़ाई पुरी करी। तदपश्चात आप सरायपाली आ गये सुखा राहत कार्य का निरिक्षण करने। अपनी ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के लिये शुक्ल जी को पदोन्नत कर नायाब तहसीलदार बना दिया गया। सन १९०१ में आपने सरकारी नौकरी छोड़ कर जबलपुर के हितकारिणी स्कूल अध्यापन कार्य शुरु किया।[2]
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