इस न्यायालय को सर्वप्रथम, 1866 में मुख्य न्यायालय (चीफ़ कोर्ट) के तौर पर उपनिवेशीय सरकार द्वारा स्थापित किया गया था जिसमें दो न्यायाधीश नियुक्त किये गए थे। 1919 में राजा जॉर्ज सप्तम् के आदेश द्वारा इसे उठा की उच्च न्यायालय के स्तर पर स्थापित किया गया और साथ ही मुख्य न्यायाधीश और छह जूनियर जज नियुक्त किए गए। स्थापना के समय इस अदालत का अधिकारक्षेत्र पूरे संयुक्त पंजाब पर था। इसके पश्चात भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने न्यायिक व्यवस्था में अनेक निर्णायक बदलाव लाए, जिसके तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति, आचार, न्यायालय में नियुक्त न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या और न्यायाधीश की अधिकतम आयु सीमा भी तय की गई।
1947 में पाकिस्तान की स्थापना के बाद पूर्वी पंजाब के लिए न्यायालय लाहौर के एक आदेश से एक अलग अदालत गठित और शेष क्षेत्र कि पाकिस्तान में शामिल था वह बदस्तूर न्यायालय लाहौर के अधिकार क्षेत्र में रहा। अतः भारत विभाजन के पश्चात लाहौर उच्च न्यायालय का अधिकारक्षेत्र घट कर केवल पश्चिमी पंजाब तक सीमित रह गया और पूर्वी पंजाब के लिये भारतीय न्यायपालिका के अंतर्गत नई उच्च न्यायालय गठित की गई। और लाहौर उच्च न्यायालय को पाकिस्तानी न्यायपालिका के अंतर्गत ले आया गया।
30 सितंबर 1955 को पाकिस्तान की संविधान सभा ने एक इकाई व्यवस्था के तहत प्रांत पश्चिमी पाकिस्तान का गठन किया और साथ ही महाराज्यपाल(गवर्नर-जनरल) को यह अधिकार दिया गया कि वह पश्चिमी पाकिस्तान उच्च न्यायालय का गठन करे, उसी की तहत पश्चिमी पाकिस्तान उच्च न्यायालय का गठन 1956 में किया गया।